भोपाल। कोरोना संक्रमण को लेकर लोगों में धारणा बन गई है कि एक बार संक्रमित होने के बाद दोबारा वे इस बीमारी की चपेट में नहीं आएंगे। हालांकि ऐसा नहीं है। विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना का संक्रमण दोबारा भी हो सकता है। हाल ही में भोपाल जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट से पता चला है कि एक दर्जन से ज्यादा लोग ठीक होने के एक महीने के अंदर दोबारा संक्रमित हो गए।
दोबारा संक्रमित होने वालों में एक डॉक्टर और एक नर्स भी शामिल है। 65 वर्षीय एक महिला की मौत भी हो चुकी है। दरअसल, नई गाइडलाइन के तहत कोरोना संक्रमित के ठीक होने पर जब अस्पताल से छुट्टी दी जाती है तो उसकी कोरोना जांच नहीं होती है। ऐसे में यह पता नहीं चलता है कि शरीर से कोरोना का वायरस खत्म हुआ या नहीं। कुछ लोग होम आइसोलेशन में भी रखे गए हैं। ऐसे में इन्हें 10 दिन बाद स्वत ही कोरोना मुक्त मान लिया जाता है।
बता दें कि लॉकडाउन लागू होने के बाद जो गाइडलाइन जारी की गई थी, उसमें कोरोना मरीज को अस्पताल से छुट्टी देने से पहले सैंपल लेने का प्रावधान था, जिसे अब हटा दिया गया है।
केस-1
अहीरपुरा जहांगीराबाद निवासी 65 वर्षीय फूलबती बाई पहली बार 24 अप्रैल को पॉजिटिव पाई गईं। इन्हें 7 मई को अस्पताल से छुट्टी दी गई। इसके एक सप्ताह बाद 14 मई को इनकी रिपोर्ट दोबारा पॉजिटिव आई और इनकी मौत हो गई।
केस-2
ओल्ड सुभाष नगर निवासी और हमीदिया में स्टाफ नर्स मोना अजीत की पहली रिपोर्ट 30 अप्रैल को पॉजिटिव आई। इन्हें आठ मई को छुट्टी दी गई।एक सप्ताह बाद इन्होंने दोबारा सैंपल दिया तो रिपोर्ट फिर से पॉजिटिव आई।
केस-3
डॉ. मयूर टायडे गांधी मेडिकल कॉलेज में बतौर डॉक्टर कोविड वार्ड में काम कर रहे थे। नौ मई को इनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई। 19 मई को इन्हें चिरायु अस्पताल से छुट्टी दी गई। 23 मई को दोबारा सैंपल लिया गया तो इन्हें दोबारा संक्रमित पाया गया।
केस-4
ग्राम पिपलिया निवासी राजेश राजपूत की पहली रिपोर्ट 13 मई को पॉजिटिव आई। 23 मई को अस्पताल से घर भेजा गया। दो जून को जब दोबारा सैंपल लिया गया तो रिपोर्ट पॉजिटिव निकली।
एक्सपर्ट व्यू
दुनिया की छह बेहतरीन लैब में इस संबंध में अध्ययन हो चुका है। इसमें पता चला है कि एक बार कोरोना के लक्षण खत्म होने के बाद वह पॉजिटिव भी आता है तो इससे ज्यादा खतरा नहीं है। क्योंकि दोबारा पॉजिटिव आने वाला व्यक्ति दूसरों को संक्रमित नहीं कर सकता है। यह पैक्ट वायरस होता है, जो कि पूर्ण वायरस न होकर सिर्फ उसके अंश होते हैं, जो शरीर के किसी हिस्से में रह गए हों। कई बार संक्रमण मुक्त होने के बाद चाय, काफी या अन्य पेय पदार्थ के जरिए वे संक्रमित हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में मरीज को सिर्फ नाक से सांस लेना चाहिए, ताकि उनमें दोबारा लक्षण न पनपें।
डॉ. सरमन सिंह, डायरेक्टर, एम्स भोपाल
दोबारा संक्रमण नहीं हो रहा है। कोरोना की जांच में 70 फीसद तक ही रिपोर्ट की प्रमाणिकता रहती है। सैंपल ठीक से नहीं लिया गया तो इससे भी जांच प्रभावित होती है। सैंपल को लैब तक भेजने के दौरान तय तापमान पर रखा गया या नहीं, इससे भी जांच पर असर पड़ता है। हमीदिया में भर्ती करीब 80 साल की एक महिला एक बार निगेटिव आने के बाद, इसलिए पॉजिटिव आ गई थी कि उसे टीबी की बीमारी थी। इससे संक्रमण पूरी तरह से ठीक नहीं हो पाया था।
डॉ. लोकेन्द्र दवे, एचओडी, छाती व श्वास रोग विभाग, हमीदिया अस्पताल, भोपाल