चीन को जवाब देने को एयरफोर्स ने तैनात किए लड़ाकू विमान

 

 

लद्दाख के गलवान घाटी में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीनी सेना की कायराना हरकत के बाद भारतीय थल सेना और वायुसेना किसी भी परिस्थिति में जवाब देने के लिए पूरी तरह सतर्क और तैयार हैं. एक दिन पहले सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा कि न तो वहां कोई हमारी सीमा में घुसा हुआ है और न ही हमारी कोई पोस्ट किसी दूसरे के कब्जे में है. लद्दाख में हमारे 20 जांबाज शहीद हुए लेकिन जिन्होंने भारत माता की तरफ आंख उठाकर देखा था, उन्हें वो सबक सिखाकर गए.

वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन फिर से कोई हिमाकत न करे इसलिए वायुसेना ने पूरी तैयारी कर ली है. अगर ऐसी कोई परिस्थिति बनती है तो माकूल जवाब देने के लिए भारतीय वायु सेना ने वहां मिराज 2000 फाइटर जेट से लेकर चिनूक और अपाचे हेलिकॉप्टर तक की तैनाती कर दी है.

 

पूर्वी लद्दाख सेक्टर में चीन फिर से कोई धोखेबाजी न कर दे इसलिए तनाव के बीच भारतीय वायुसेना की गतिविधि लेह में बढ़ गई है. लेह के आसमान में भारतीय वायुसेना के विमान ऐसे दिन गश्त लगाते दिखे हैं, जब वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आर के एस भदौरिया लेह के एयरबेस पहुंचे थे.

वायुसेना प्रमुख का दौरा बिना किसी तय प्लान के हुआ था. इसलिए इसे मौजूदा परिस्थितियों में और अहम माना जा रहा है. लेह के साथ-साथ आर के एस भदौरिया श्रीनगर एयरबेस भी गए थे. श्रीनगर और लेह एयरबेस के दौरों से पहले वायु सेना प्रमुख CDS जनरल बिपिन रावत और सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे से मिले थे.

 

एयरफोर्स चीफ के दौरे के साथ ही वायुसेना ने लद्दाख के पास एक बेस पर अपने मिराज 2000 विमानों को तैनात किया है. सुखोई-30 विमानों को भी चीन से आने वाली चुनौती से निपटने के लिए फॉरवर्ड लोकेशंस पर तैनात किया गया है. इतना ही नहीं लद्दाख में अपाचे और चिनूक हेलीकॉप्टर्स की भी तैनाती की गई है

इसके अलावा अंबाला, आदमपुर और बरेली एयरबेस को भी किसी विपरीत परिस्थिति के लिए अलर्ट पर रखा गया है. चीन के खिलाफ भारत के सख्त सैन्य तेवर हैं.

चीन ने LAC को लेकर पूर्वी लद्दाख में मौजूदा परिस्थिति पैदा की है और वहां यथास्थिति को बदलना चाहता है. मौजूदा परिस्थिति खड़ी करने से पहले भी चौंतीस सौ किलोमीटर से ज्यादा लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन ने कई बार अतिक्रमण करने की कोशिशें की हैं. LAC पर शांति के लिए हुए भारत-चीन समझौतों की परवाह किए बिना चीन ने शातिर चालें चली हैं.

15 जून को गलवान में चीन ने जो किया उसके बाद इन सैन्य समझौतों की समीक्षा की मांग पूर्व सेना प्रमुख रिटायर्ड जनरल वी पी मलिक ने की है.. उन्होंने कहा, 1993, 1996 और 2005 के अव्यावहारिक भारत-चीन सैन्य समझौतों की समीक्षा हो. इसके लिए 1997 से ही मांग कर रहा हूं. आप सेना से उम्मीद नहीं कर सकते कि आर्टिकल 2 से 9 का पालन हो अगर आर्टिकल 10 का पालन नहीं हो रहा हो और LAC भी स्पष्ट न हो.

 

भारत से चीन चालबाजी कर रहा है इसमें कोई संदेह नहीं है लेकिन इस बार भारत सरकार चीन को कड़े संदेश दे रही है. मॉस्को जा रहे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह वहां चीन के नेताओं से मुलाकात नहीं करेंगे.

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