कोरोना का मुफ्त इलाज की मांग करने वाले पर 5 लाख का जुर्माना

 

बांबे हाई कोर्ट ने मंगलवार को कोविड 19 के मुफ्त इलाज की मांग संबंधी जनहित याचिका के मामले में बड़ा फैसला दिया। हाई कोर्ट ने ये याचिका दाखिल करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता पर 5 लाख रुपए का जुर्माना लगाया। याचिकाकर्ता ने मांग की थी कि महाराष्ट्र सरकार को सभी कोरोना संक्रमितों का मुफ्त इलाज करना चाहिए।
सामाजिक कार्यकर्ता और शिक्षाविद सागर जोधले ने ये याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता ने कोर्ट से राज्य सरकार की तरफ से निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम के लिए तय बेड चार्ज को भी रद्द करने की मांग की। उन्होंने कहा कि निजी अस्पतालों की तरफ से कोविड 19 मरीजों के लिए तय दर आम लोगों के बूते में नहीं है, इसलिए कोर्ट महाराष्ट्र सरकार को निजी समेत सभी अस्पतालों में भर्ती कोरोना संक्रमितों का मुफ्त इलाज कराने का आदेश दें।
सुनवाई के बाद चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता व जस्टिस केके तातेड़ की पीठ ने याचिका को निरर्थक करार देते हुए कहा कि सरकार की तरफ से लिया गया निर्णय उचित है। कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता सागर जोंधाले को 5 लाख रुपए राज्य सरकार के खाते में जमा करने का आदेश दिया

सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने कहा कि सरकार कोरोना महामारी से लड़ने का पूरा प्रयास कर रही है, ऐसे में यह याचिका उसके प्रयासों पर सवाल उठाने वाली नजर आ रही है। कोर्ट ने कहा कि हमें सरकार की ओर से निजी अस्पताल में इलाज को लेकर जारी की गई अधिसूचना में कोई खामी नहीं दिखाई दे रही। ऐसे में ये याचिका निरर्थक लग रही है। इतना कहकर कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए याचिकाकर्ता सागर जोधरले पर 5 लाख रुपए का जुर्माना लगा दिया।

हालांकि याचिकाकर्ता जोधले ने अपनी मांग के समर्थन में कई प्रमाण रखे। यहां तक की उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का उदाहरण भी दिया। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा 21 मई 2020 को जारी अधिसूचना के मुताबिक कोरोना पीढ़ित मरीज यदि निजी अस्पताल में इलाज कराता है तो जनरल वार्ड में भी इलाज कराने के लिए उसे 75 हजार से एक लाख रुपए चुकाने होंंगे। ऐसे में ये आम आदमी के बस के बाहर है। याचिकाकर्ता ने सरकार की अधिसूचना को अमान्य घोषित करने करने के साथ ही सभी अस्पतालों में इलाज की दर को लेकर एक समरुप नीति बनाने का निर्देश देने की बात कही गई। पर हाई कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया।

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