कोरोना वायरस के बिना लक्षण वाले मरीजों से संक्रमण फैलने का खतरा कम होता है. WHO (वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन) की एक ऑफिसर मारिया वैन करखोव ने जेनेवा में सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी जानकारी दी. बता दें कि इस महामारी में लक्षण ना दिखना ही हेल्थ एक्सपर्ट्स के लिए सबसे बड़ी समस्या है. मारिया ने अपने बयान में कहा, ‘वास्तव में एसिम्प्टोमैटिक रोगियों से किसी अन्य व्यक्ति के संक्रमित होने का खतरा काफी कम होता है. हमारे पास इस बारे में कई देशों से रिपोर्ट आई है जिन्होंने इसकी बारीकी से जांच की है.’
WHO की अधिकारी ने कहा कि जिन लोगों में कोरोना वायरस के लक्षण नहीं नजर आते हैं, उनके जरिए संक्रमण फैलने का खतरा 6 प्रतिशत से ज्यादा नहीं है. कई स्टडी के मुताबिक, यह वायरस बिना लक्षणों के लोगों फैल रहा है, लेकिन उनमें से कई या तो एनकोडेटल रिपोर्ट हैं या फिर किसी मॉडल पर आधारित हैं.
उन्होंने कहा, ‘वे बिना लक्षण वाले मामलों पर गौर कर रहे हैं. रिपोर्ट्स से पता चलता है कि एसिम्प्टोमैटिक रोगी के संपर्क में आने से वायरस के ट्रांसमिशन का खतरा कम होता है. हम इस पर लगातार काम कर रहे हैं. हम कई और भी देशों से आंकड़े जुटा रहे हैं ताकि इस सवाल का सही जवाब मिल सके.’
मारिया ने कहा कि कोविड-19 एक रिस्पिरेटरी डिसीज़ है जो खांसते या छींकते वक्त बाहर आए ड्रॉपलेट्स से फैलती है. उन्होंने कहा कि अगर सिर्फ सिम्प्टोमैटिक रोगियों पर ध्यान दिया जाए, उन्हें आइसोलेट किया जाए, संपर्क में आए लोगों को देखें और उन्हें भी क्वारनटीन करें तो इसका खतरा काफी कम हो सकता है.
WHO की अधिकारी ने यह भी कहा कि जिन मरीजों में कोरोना के लक्षण नहीं नजर आते हैं, उनकी हालत बहुत गंभीर नहीं है. यानी उनमें कोविड-19 के विशेष लक्षण नहीं दिखते हैं. तेज बुखार, सूखी खांसी, सांस में तकलीफ जैसी बड़ी समस्या उनमें कम देखने को मिलती है. उनमें थोड़ी बहुत समस्या देखने को मिल सकती है.
इंफेक्शियस डिसीज़ स्पेशलिस्ट डॉक्टर मनीषा जुठानी ने सीएनएन को बताया कि कोविड-19 के मरीज सिम्प्टोमैटिक और प्री-सिम्प्टोमैटिक दोनों हो सकते हैं. हालांकि प्री सिम्प्टोमैटिक रोगियों में लक्षण दिखने के दो या तीन दिन पहले से ही वे संक्रमण फैलाना शुरू कर देते हैं.
यूएस सेंट्रिस डिसीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि प्री सिम्प्टोमैटिक 40 प्रतिशत मरीज अस्वस्थ्य महसूस करने से पहले ही संक्रमण फैलाना शुरू कर देते हैं. यानी संक्रमण फैलने के बाद उन्हें शरीर में कोरोना के लक्षणों के बारे में पता चलता है.