कोरोना को ठीक करने को लेकर दुनिया भर में रिसर्च चल रहे हैं. कई देशों की कंपनियां दवा के बेहद करीब पहुंचने के दावे कर रही हैं. इन सबके बीच अब भारत में भी आयुर्वेद की दवाओं का कोरोना के पॉजिटिव मरीजों पर क्लिनिकल ट्रायल शुरू हो गया है. राजस्थान के जयपुर में कोरोना के मरीजों पर आयुर्वेदिक दवाओं का परीक्षण किया जा रहा है.
जयपुर के रामगंज में 12000 लोगों पर आयुर्वेद की एक इम्यूनिटी की दवा की टेस्टिंग भी शुरू की गई है. केंद्रीय आयुष मंत्रालय यह ट्रायल क्लिनिकल रिसर्च ऑर्गनाइजेशन टीम के साथ मिलकर करा रहा है. बताया जा रहा है कि आयुष मंत्रालय के अधीन काम करने वाले राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान ने कोरोना को लेकर चार दवाएं बनाई हैं, जिनमें से एक का नाम है आयुष 64. इसे लेकर आयुष मंत्रालय उत्साहित है.
राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान जयपुर ने कोरोना के मरीजों पर इसका क्लीनिकल ट्रायल शुरू किया है. यह क्लिनिकल ट्रायल कोविड-19 के प्रथम स्टेज के मरीजों पर जयपुर के एक निजी अस्पताल में किया जा रहा है. आयुर्वेद संस्थान के निदेशक संजीव शर्मा का कहना है कि यह दवा सामान्य तौर पर पहले मलेरिया के लिए दी जाती थी, लेकिन इसमें कुछ बदलाव के साथ कोरोना के मरीजों को दी जा रही है.
उन्होंने कहा कि इसका अध्ययन करने के लिए क्लिनिकल रिसर्च ऑर्गनाइजेशन का सहयोग लिया जा रहा है. आयुर्वेद संस्थान के निदेशक ने कहा कि तीन से चार महीने में इसके रिजल्ट सामने आ जाएंगे. शुरुआती नतीजे अच्छे दिख रहे हैं. इसके अलावा 12000 लोगों को लेकर आयुर्वेदिक दवा संशमनी बूटी के इम्यूनिटी बूस्टर का ट्रायल भी शुरू किया गया है. रामगंज जैसे कंटेनमेंट एरिया के लोगों को इस दवा की दो-दो गोलियां सुबह-शाम खिलाई जा रही हैं. 45 दिन बाद परिणाम का अध्ययन किया जाएगा.
दरअसल, केंद्र सरकार की मंशा प्रदेश सरकार के साथ मिलकर सरकारी अस्पतालों में क्लीनिकल ट्रायल करने की थी, लेकिन गहलोत सरकार ने इसकी इजाजत नहीं दी है. ऐसे में दवा का ट्रायल फौजियों पर किया जा रहा है. इस संबंध में प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने कहा कि हमने इसकी इजाजत के लिए फाइल राज्यपाल को भेजी है. सूत्रों के अनुसार राजस्थान सरकार की ओर से यह सवाल उठाया जा रहा है कि भारत सरकार इसका क्लिनिकल ट्रायल आखिर दिल्ली में क्यों नहीं कर रही है?
अब तक के नतीजे सकारात्मक
बता दें कि राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान की तरफ से कोरोना को लेकर अलग-अलग स्तर पर रिसर्च किए जा रहे हैं. इनमें इम्यूनिटी बूस्टर किट भी है और च्यवनप्राश भी. जयपुर के हाई रिस्क जोन में रहने वाले करीब 5000 लोगों पर इसका ट्रायल पिछले 1 महीने से ज्यादा समय से चल रहा है और अब तक के नतीजे अच्छे रहने का दावा किया जा रहा है.