कैबिनेट ने एमएसएमई की ऊपरी सीमा को संशोधित करने तथा एमएसएमई के लिए शेष दो पैकेज (क) संकटग्रस्त एमएसएमई के लिए 20,000 करोड़ रुपये का पैकेज और (ख) फंड ऑफ फंड्स के माध्यम से 50,000 करोड़ रुपये की पूंजी लगाने के तौर-तरीकों और रोडमैप को दी स्वीकृति
01 JUN 2020,
भारत सरकार के देश के एमएसएमई सेक्टर में नई जान फूंकने की दिशा में किए जा रहे प्रयासों के क्रम में आज यहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) की एक विशेष बैठक हुई, जिसमें आत्मनिर्भर भारत पैकेज के अंतर्गत शेष दो घोषणाओं के प्रभावी कार्यान्वयन के तौर-तरीकों और रोडमैप को स्वीकृति दे दी गई। इनमें शामिल हैं :
- पैकेज घोषणा में,सूक्ष्म विनिर्माण और सेवा इकाई (माइक्रो) की ऊपरी सीमा को बढ़ाकर 1 करोड़ रुपये का निवेश और 5 करोड़ रुपये का टर्नओवर किया गया है। छोटी इकाई की ऊपरी सीमा को बढ़ाकर 10 करोड़ रुपये का निवेश और 50 करोड़ रुपये का टर्नओवर किया गया है। इसी तरह मध्यम इकाई की सीमा को बढ़ाकर 20 करोड़ रुपये का निवेश और 100 करोड़ का टर्नओवर कर दिया गया है। उल्लेखनीय है कि यह संशोधन एमएसएमई विकास अधिनियम के 2006 में लागू होने के 14 वर्षों के बाद किया गया है। 13 मई, 2020 को पैकेज की घोषणा के बाद, कई प्रतिनिधिमंडलों ने यह तथ्य सामने रखा कि घोषित संशोधन अभी भी बाजार और मूल्य स्थितियों के अनुरूप नहीं है और ऊपरी सीमा को और संशोधित किया जाना चाहिए। इन अनुरोधों को ध्यान में रखते हुए, मध्यम विनिर्माण और सेवा इकाइयों की सीमा को और बढ़ाने का निर्णय लिया गया। अब इसके लिए 50 करोड़ रुपये के निवेश और 250 करोड़ रुपये के कारोबार की ऊपरी सीमा निर्धारित की गयी है। यह भी तय किया गया है कि निर्यात के सन्दर्भ में कारोबार को एमएसएमई इकाइयों की किसी भी श्रेणी के लिए कारोबार की सीमा में शामिल (जोड़ा) नहीं किया जाएगा चाहे वह सूक्ष्म, लघु या मध्यम, किसी भी श्रेणी का उद्यम हो। यह व्यापार करने में आसानी की दिशा में एक और कदम है। यह एमएसएमई क्षेत्र में निवेश को आकर्षित करने और रोजगार के अधिक अवसरों के सृजन करने में सहायता प्रदान करेगा। निम्न तालिका संशोधित सीमा का विवरण प्रदान करती है:
श्रेणी |
पुराना निवेश | पुराना टर्नओवर | नया निवेश | नया टर्नओवर |
सूक्ष्म | 25 लाख | 10 लाख | 1 करोड़ | 5 करोड़ |
लघु | 5 करोड़ | 2 करोड़ | 10 करोड़ | 50 करोड़ |
मध्यम | 10 करोड़ | 5 करोड़ | 50 करोड़ | 250 करोड़ |
- संकटग्रस्त एमएसएमई को सहायक कर्ज के रूप में पूंजी सहायता उपलब्ध कराने के लिए 20,000 करोड़ रुपये के प्रावधान को स्वीकृति दी गई है। इससे संकट में फंसे 2 लाख एमएसएमई को मदद मिलेगी।
- फंड ऑफ फंड्स (एफओएफ) के माध्यम से एमएसएमई के लिए 50,000 करोड़ रुपये की पूंजी लगाए जाने को स्वीकृति दी गई है। इससे एमएसएमई को क्षमता विस्तार में सहायता देने के लिए एक तंत्र स्थापित किया जाएगा। इससे उन्हें खुद को स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध कराने का भी अवसर मिलेगा।
आज की स्वीकृति से आत्मनिर्भर भारत के पूरे भाग के लिए तौर-तरीके और रोडमैप अस्तित्व में आ गए हैं। इससे एमएसएमई क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने और ज्यादा रोजगार के अवसर पैदा करने में सहायता मिलेगी।
कोविड-19 महामारी के प्रकोप के क्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राष्ट्र के निर्माण में एमएसएमई की भूमिका को मान्यता देने के लिए तत्परता से आगे आए थे। इसी क्रम में आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत एमएसएमई के लिए कई अहम घोषणाएं की गईं। इस पैकेज के अंतर्गत, एमएसएमई क्षेत्र के लिए न सिर्फ खासा आवंटन किया गया, बल्कि अर्थव्यवस्था के पुनरोद्धार के उपायों के कार्यान्वयन में भी प्राथमिकता दी गई। एमएसएमई क्षेत्र को फौरी राहत देने के लिए पैकेज के अंतर्गत कई घोषणाएं की गईं। इसमें सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण घोषणाएं इस प्रकार हैं :
- परिचालन संबंधी जिम्मेदारियां पूरी करने, कच्चा माल खरीदने और कारोबार फिर से शुरू करने के लिए एमएसएमई के लिए 3 लाख करोड़ रुपये के गिरवी मुक्त स्वचालित कर्ज।
- क्षेत्र को अधिकतम लाभ देने के लिए एमएसएमई की परिभाषा में संशोधन;
- घरेलू कंपनियों को ज्यादा अवसर मुहैया कराने के लिए 200 करोड़ रुपए तक की खरीद के लिए वैश्विक निविदाओं की अनुमति नहीं,
- सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों द्वारा 45 दिन के भीतर एमएसएमई के बकायों का भुगतान करना।
भारत सरकार इस दिशा में हर जरूरी कदम उठा रही है, जिससे इन प्रमुख फैसलों का एमएसएमई को जल्द से जल्द लाभ मिलना सुनिश्चित हो सके। इस संबंध में निम्नलिखित आवश्यक नीतिगत फैसले पहले ही लिए जा चुके हैं और कार्यान्वयन की रणनीति को लागू कर दिया गया है।
- तीन लाख करोड़ रुपये के गिरवी मुक्त स्वचालित कर्जों की योजना को सीसीईए द्वारा पहले ही स्वीकृति दी जा चुकी है और औपचारिक रूप से इसकी पेशकश की जा चुकी है।
- एमएसएमई की परिभाषा की ऊपरी सीमा में संशोधन के तौर-तरीके तय कर दिए गए हैं, जिससे एमएसएमई को अपनी क्षमताओं के ज्यादा से ज्यादा दोहन के अवसर मिलेंगे।
- इसी प्रकार, 200 करोड़ रुपये तक की खरीद के लिए अनिवार्य रूप से वैश्विक निविदाएं आमंत्रित नहीं करने के लिए सामान्य वित्तीय नियमों में संशोधन किया गया है। नए नियम पहले ही जारी कर दिए गए हैं और वे प्रभावी भी हो गए हैं। इससे भारतीय एमएसएमई के लिए कारोबार के नए अवसर मिलेंगे।
- एमएसएमई को 45 दिन की समयसीमा के भीतर भुगतान सुनिश्चित करने के लिए कैबिनेट सचिव, व्यय सचिव और सचिव, एमएसएमई के स्तर पर दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं।
- एमएसएमई पर बोझ कम करने के लिए, आरबीआई ने कर्ज अदायगी के लिए समय सीमा की छूट में और तीन महीने का विस्तार दिया है
इन सभी कदमों के प्रबंधन के लिए एमएसएमई मंत्रालय द्वारा एक मजबूत आईसीटी आधारित प्रणाली ‘चैंपियंस’ का शुभारम्भ किया गया है। इस पोर्टल से एमएसएमई को वर्तमान हालात में न सिर्फ सहायता मिल रही है, बल्कि कारोबार के नए अवसर हासिल करने के लिए दिशा-निर्देश तथा दीर्घावधि में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय चैम्पियन बनने में सहायता भी मिल रही है।
एमएसएमई मंत्रालय एमएसएमई और उन लोगों को जो उन पर निर्भर हैं, सभी को सहायता देने के लिए प्रतिबद्ध है। आत्मनिर्भर भारत पैकेज के अंतर्गत किए गए उपायों का फायदा उठाने के लिए एमएसएमई को प्रोत्साहन देने की दिशा में हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।
पृष्ठभूमि
एमएसएमई के नाम से पुकारे जाने वाले सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। देश के विभिन्न क्षेत्रों में खामोशी से परिचालन करने वाले 6 करोड़ से ज्यादा एमएसएमई मजबूत और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में अहम भूमिका निभाते रहे हैं। ये छोटे आर्थिक इंजन 29 प्रतिशत अंशदान के साथ देश के जीडीपी पर अहम प्रभाव डालते हैं। वे देश के निर्यात में लगभग आधा योगदान करते हैं। इसके अलावा एमएसएमई क्षेत्र में 11 करोड़ से ज्यादा लोगों को रोजगार मिला हुआ है।