नई दिल्ली, 26 मई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत और चीन के बीच लद्दाख में सीमा विवाद को लेकर चल रही तनातनी पर मंगलवार को एक उच्चस्तरीय बैठक की। इस बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, चीफ आप डिफेंस स्टाफ जनरल विपिन रावत, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह औऱ तीनों सेनाओं के प्रमुख शामिल हुए। इसके अलावा प्रधानमंत्री ने इस मुद्दे पर विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला से भी बातचीत की।
पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास कई क्षेत्रों में भारत और चीनी सैनिकों के बीच लगातार विवाद की स्थिति है। वर्ष 2017 में डोकलाम गतिरोध के बाद दोनों के बीच यह सबसे बड़ी सैन्य तनातनी है। यह स्थिति इसलिए कि भारत ने पैंगोंगत्सो और गलवान घाटी में जबसे अपनी स्थिति मजबूत की है, तब से चीन न सिर्फ चिढ़ा हुआ है बल्कि नेपाल और पाकिस्तान का सहारा लेते हुए भारत को लगातार घेरने की कोशिश कर रहा है। चीन ने विवादित क्षेत्रों में अपने दो से ढाई हजार सैनिकों की तैनाती करते हुए अस्थायी निर्माण भी कर रहा है। 5 मई से उपजे विवाद के बाद अब तक दोनों देशों के सैनिकों के बीच 6 बार बैठक हो चुकी है, लेकिन सभी विफल रही हैं।
चीन चाहता है कि भारत नियंत्रण रेखा पर अपने भी क्षेत्र में निर्माण कार्य न करे, लेकिन भारत यह मानने को तैयार नहीं है। भारत का कहना है कि वह अपने क्षेत्र में निर्माण कार्य कर रहा है तो इससे चीन को क्या आपत्ति हो सकती है? भारत ने चीन से सीमा पर शांति बनाए रखने की भी बात कही है। इसके बावजूद भी चीनी सैनिक भारतीय क्षेत्र से वापस नहीं जा रहे। प्रधानमंत्री की इस बैठक से पहले रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भी जनरल रावत और तीनों सेना प्रमुखों के साथ तनाव के मामले पर लंबी समीक्षा बैठक की। सेना प्रमुख जनरल एम.एम. नरवणे ने मामले की स्थिति के बारे में पूरी जानकारी राजनाथ सिंह को दी। सेना प्रमुख दो दिन पहले ही लेह का दौरा करके वापस लौटे हैं।
बताया जा रहा है कि राजनाथ सिंह ने सैनिकों की तैनाती पर सवाल पूछे और चीनी तनाव के खिलाफ भारतीय सेना को पूरा सहयोग करने का आश्वासन दिया। इसके अलावा भारतीय सेना के शीर्ष सैन्य कमांडर बुधवार से शुरू हो रहे 3 दिवसीय सम्मेलन के दौरान पूर्वी लद्दाख के कुछ इलाकों में भारत और चीनी सैनिकों के बीच तनावपूर्ण गतिरोध की गहन समीक्षा करेंगे। बताया जा रहा है कि कमांडर जम्मू-कश्मीर की स्थिति पर भी चर्चा करेंगे। इसके साथ ही राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर भी इस दौरान चर्चा की जाएगी।