Corona: कई देशों में कम पड़ रही हैं लाशों को दफनाने की जगह

 

क्या अमेरिका, क्या इटली, क्या फ्रांस, क्या स्पेन और क्या ईरान. तमाम देशों के नाम लेते जाइए, पर मुर्दों की किस्मत और मौत की कहानी एक जैसी ही मिलेगी. कब्रिस्तानों में ताबूतों का अंबार है. दफनाने के लिए जमीन कम पड़ती जा रही है. कहीं एंबुलेंस से लाशें आ रही हैं तो कही क्रेन के जरिए उन्हें कब्र में उतारा जा रहा है. कहीं कब्र को पाटने के लिए मशीनों का इस्तेमाल हो रहा है. तो कहीं इत्र की जगह दवाओं का स्प्रे किया जा रहा है.

फ्रांस में अंतिम संस्कार के इंतज़ार में लाशें!
फ्रांस की राजधानी पेरिस के एक नर्सिंग होम में बाहर से देखने में सबकुछ बिलकुल शांत लग रहा है. लेकिन जैसे जैसे आप इसके अंदर जाते जाएंगे. यहां वहां पड़ी लाशें आपको परेशान करने लगेंगी. किसी की लाश बिस्तर पर है. तो कोई फर्श पर पड़ी है. पेरिस के इस नर्सिंग होम में करीब दो महीनों से कोरोना के सैकड़ों मरीजों का इलाज चल रहा था. अब तक यहां 30 कोरोना पॉजिटिव की मौत हो चुकी है.

मगर अंतिम प्रक्रिया की वजह से बस चंद ही लाशें ऐसी हैं, जिन्हें अंतिम संस्कार मय्यसर हुआ है. बाकी लाशें अभी भी अपने अंतिम संस्कार के इंतजार में यहां पड़ी हैं. क्योंकि पेरिस के कब्रिस्तान में अब जगह कम पड़ने लगी हैं. और इन नई लाशों को दफनाने के इंतजाम में अभी वक्त लग रहा है. जिसकी वजह से यहां हालत ये है कि इंसानी लाशों की बू अंदर नहीं घुसने दे रही है. मगर यहां के मेडिकल स्टाफ के पास लोगों की जान बचाने के लिए कोई चारा भी नहीं हैं.

इटली में कम पड़ी कब्रिस्तान की जमीन!
कोरोना से त्रस्त देशों में बाजार भले बर्बाद हों मगर कब्रिस्तान में लोगों का आना-जाना लगा हुआ है. उसके बावजूद इटली में कोरोना की आपदा में लोगों को अपनों के अंतिम संस्कार के लिए इंतजार करना पड़ रहा है. मरने वालों की तादाद हर दिन इतनी बढ़ती जा रही है कि अंतिम संस्कार की सारी व्यवस्थाएं ध्वस्त पड़ चुकी हैं. जाहिर है इतनी ज्यादा लाशों को पूरे धार्मिक रीति रिवाजों के साथ अलग-अलग दफनाना बहुत मुश्किल है. इसीलिए इस चर्च में 90 शवों को एक साथ रखकर अंतिम क्रिया पूरी की जा रही है. एक साथ नब्बे लोगों के ताबूत पर पादरी अलविदा पढ़ रहे हैं. और ये काम कोरोना के कहर के बाद से वो लगातार हर रोज कर रहे हैं.

स्पेन में बिना रिश्तेदारों के अंतिम संस्कार!

इटली के बाद स्पेन में कोरोना की वजह से बहुत बुरा हाल है. मरने वालों की तादाद 20 हजार के करीब पहुंचने को है. लिहाजा शवों से वायरस के फैलने के खतरे को देखते हुए अंतिम संस्कार की प्रक्रिया ड्राइव थ्रू के जरिए की जा रही है. ड्राइव थ्रू में होता ये है कि अस्पताल से एक एक ताबूत को शव ले जाने वाली गाड़ी में रखा जाता है और फिर इन्हें चर्च में ले जाया जाता है. चर्च में पादरी बाहर आकर अंतिम रस्में पूरी करते हैं. इस दौरान सिर्फ पांच लोगों को ही वहां रहने की इजाजत दी जाती है.

 

लाशों को दफ्नाने के लिए ईरान ने बनाया कब्रिस्तान!
कोरोना की तबाही के बीच ईरान की सैटेलाइट तस्वीर सामने आई है. अंतरिक्ष से ली गई इस तस्वीर में नया कब्रिस्तान दिखने का दावा किया गया है. इसके मुताबिक ये कब्रिस्तान ईरान के कुम शहर का है. इसका एरिया 100 एकड़ बताया जा रहा है. इसलिए अंदाजा लगाइए कि ईरान में मरने वालों की तादाद इस तेजी से बढ़ी कि उन्हें लाशों को दफनाने के लिए नया कब्रिस्तान बनाना पड़ा. ईरान में भी कोरोना से मरने वालों का आंकड़ा 5 हजार के करीब पहुंच चुका है. लिहाजा कई लाशों को यहां भी सामूहिक रूप से दफनाया जा रहा है.

इतिहास की सबसे बड़ी त्रासदी
यकीनन दुनिया के इतिहास की ये सबसे बड़ी त्रासदी का दौर है. तारीख में इसे काले अक्षरों से लिखा जाएगा. लिखा जाएगा कि कैसे इस दौर में लोगों को मरने के बाद दो गज जमीन भी मय्यसर नहीं हो पा रही थी. कैसे लोग मरने के बाद अपनों को छोड़कर भाग रहे थे. कैसे एक-एक कब्र में कई मुर्दों को दफनाया गया था.

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