अमेरिका में कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए पूरे एक एकेडमिक सेशन के लिए सरकार ने स्कूल कॉलेज बंद करने का आदेश दिया है. ये फैसला वॉशिंगटन डीसी समेत देश के कम से कम 37 राज्यों में लागू किया गया है. अमेरिका ने संक्रमण पर काबू पाने के लिए ये फैसला लिया है. अब सवाल ये है कि क्या भारत में भी ऐसे हालात बन सकते हैं.
सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक संयुक्त राज्य अमेरिका के अधिकांश गर्वनर ने ये आदेश दिया है कि कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने में राज्यव्यापी स्कूल बंदी मददगार साबित होगी. बता दें कि 37 राज्यों में ये नियम लागू करने की सिफारिश की गई है.
वहीं अमेरिका के कई राज्य कह रहे हैं कि वो सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करते हुए स्कूल खोल सकते हैं. लेकिन जिस तरह के हालात हैं, उससे अंदाजा लगा सकते हैं कि अमेरिका में इस एकेडमिक सेशन में स्प्रिंग सीजन में शायद ही स्टूडेंट स्कूल जाएंगे.
अमेरिका की संघीय सरकार ने भी अमेरिका को विभिन्न चरणों में फिर से खोलने के लिए नये गाइडलाइन जारी किए हैं लेकिन स्कूल के खुलने पर ये प्रतिबंध जारी रहेगा.
बता दें कि फ्लोरिडा, टेक्सास और वॉशिंगटन के साथ साथ वॉशिंगटन डीसी समेत कई राज्यों ने इसके आदेश जारी किए हैं कि छात्र घर पर रहकर ही पढ़ाई करें. फ्लोरिडा राज्य ने कहा कि संघीय सरकार का ये निर्णय काफी सराहनीय है.
बता दें कि ये फैसला 37 राज्यों में लागू हो सकता है, इससे अमेरिका के 3 करोड़ स्कूली छात्र प्रभावित होंगे. इसके अलावा एरिजोना, हावर्ड और बोस्टन यूनिवर्सिटी भी बंद रहेगी. कई छात्र-छात्राओं ने सरकार के इस फैसले को सराहा है.बोस्टन यूनिवर्सिटी ने तो स्पष्ट कहा है कि 2020 में छात्रों को बुलाना उनकी सेहत के लिए खतरनाक साबित हो सकता है.
कैलिफोर्निया, इडाहो, साउथ डकोटा और टेनेसी ने कहा है कि छात्रों को दूरस्थ शिक्षा मॉडल के जरिये पढ़ाया जाएगा. इसके लिए ऑनलाइन माध्यमों से भी पढ़ाया जाएगा. अभी भी वहां ऑनलाइन माध्यम से ही पढ़ाई कराई जा रही है.
वहीं भारत में भी हालात पहले से खराब हो रहे हैं. दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएश की अध्यक्ष अपराजिता गौतम ने aajtak.in से बातचीत में कहा कि जिस तरह से वर्ल्डवाइड सूचनाएं आ रही हैं, उससे लग रहा है कि भारत में अगर हालात बिगड़े तो यहां भी सरकार ऐसे फैसले ले सकती है. लेकिन साथ ही सरकार को इसके लिए एक रूपरेखा तय करनी चाहिए ताकि बच्चों की एकेडमिक तैयारी के साथ साथ अभिभावकों, स्कूल और टीचर्स को भी किसी तरह का नुकसान न हो.