वाशिंगटन। जहां एक तरफ दुनिया के विकसित देश Covid-19 के साने घुटने टेकते नजर आ रहे हैं वहीं भारत में इससे जंग जारी है। सरकार ने इसके लिए पूरे देश में 14 अप्रेल तक के लिए लॉकडाउन की घोषणा की है और इसमें देश की जनता भी पूरा साथ दे रही है। भारत के लोगों और सरकार की कोरोना वायरस से लड़ने की इन्हीं कोशिशों की दुनियाभर में चर्चा हो रही है। इस समय जबकि दुनिया कोरोना वायरस से पैदा महामारी से जूझ रही है। कई देशों की सरकारें कोरोना वायरस के संक्रमण वाले मरीजों की बढ़ती संख्या के सामने असहाय हैं। ऐसे में भारत में महामारी से निपटने के लिए की गई तैयारियां दुनिया भर में चर्चा का विषय बन रही हैं।
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) के राजनीतिक कार्यकर्ता डॉ. अमजद अयूब मिर्जा के अनुसार पाकिस्तान, PoK और गिलगित-बाल्टिस्तान के कोरोना को लेकर हालात दिनों-दिन बिगड़ते जा रहे हैं। बचाव के लिए सोशल डिस्टेंसिंग और क्वारंटाइन जैसे आवश्यक कदम कोई नहीं उठा रहा। सब अपनी मर्जी से जीवन जीने में लगे हुए हैं। ऐसा पाकिस्तान में नेतृत्व के असरदार न होने की वजह से हो रहा है।
इसके विपरीत भारत में 21 दिनों का लॉकडाउन चल रहा है और लोग उसका खूब पालन भी कर रहे हैं। इसकी मुख्य वजह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील है। यह उनका असर है कि उनकी कही बात को लोग एक बार में मान लेते हैं और उस पर अमल करते हैं। पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले सारे इलाके नेतृत्वहीनता का खामियाजा भुगत रहे हैं और कोरोना वायरस वहां अपने पांव पसार रहा है।
वाशिंगटन में रह रहे गिलगित-बाल्टिस्तान के राजनीतिक कार्यकर्ता सेंग एच सेरिंग के मुताबिक दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के नेता के रूप में प्रधानमंत्री मोदी रचनात्मक और सहयोगी रुख अपना रहे हैं। वह वैश्विक नेता के रूप में कार्यों को अंजाम दे रहे हैं और प्रेरणास्त्रोत बन रहे हैं।
कोई पीछे न छूट जाए.
चलने के लिए मजबूर कर रही है। कोरोना से लड़ने में यही चीज सबसे ज्यादा मददगार साबित हो रही है। उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान में कोरोना पीड़ितों की संख्या डेढ़ हजार को पार कर गई है और उसके रुकने के फिलहाल संकेत नहीं हैं।