कोरोना वायरस संकट के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हफ्तेभर में आज दूसरी बार देश को संबोधित करेंगे. खुद प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा है कि वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के संबंध में कुछ महत्वपूर्ण बातें देशवासियों के साथ साझा करूंगा.
अब प्रधानमंत्री के संबोधन से पहले कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं, कुछ लोग कह रहे हैं कि वे आर्थिक पैकेज का ऐलान कर सकते हैं. लेकिन इन सबके बीच सोशल मीडिया में एक खबर खूब शेयर की जा रही है, जिसमें दावा किया गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अनुच्छेद 360 के तहत देश में आर्थिक आपातकाल की घोषणा कर सकते हैं.
भारत में कभी नहीं लगा है आर्थिक आपातकाल
भारत में अभी तो आर्थिक आपातकाल कभी लागू नहीं हुआ है, जबकि राष्ट्रीय आपातकाल और राष्ट्रपति शासन का इस्तेमाल हो चुका है. ऐसे में कोरोना संकट से जोड़कर जो आर्थिक आपातकाल लागू करने की बात हो रही है, वह तार्किक नहीं है, और महज एक अफवाह है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि अभी फाइनेंशियल इमरजेंसी लगाने का कोई प्लान नहीं है, उन्होंने सोशल मीडिया में चल रही खबरों को सिरे से खारिज कर दिया.
क्या होता आर्थिक आपातकाल में ?
अनुच्छेद 360 के तहत आर्थिक आपातकाल की घोषणा राष्ट्रपति उस वक्त कर सकते हैं, जब उन्हें लगे कि देश में ऐसा आर्थिक संकट बना हुआ है, जिसके कारण भारत के वित्तीय स्थायित्व या साख को खतरा है.
दरअसल, आर्थिक स्थिति बदतर होने पर या फिर सरकार दिवालिया होने के कगार पर आ जाती है, या फिर भारत की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त होने की कगार पर आ जाती है, तब इस आर्थिक आपातकाल के अनुच्छेद का इस्तेमाल किया जा सकता है.
देश में आर्थिक आपातकाल लागू होते ही आम नागरिकों के पैसों और संपत्ति पर देश का अधिकार हो जाएगा. भारतीय संविधान में 3 तरह के आपातकाल का जिक्र है.
– राष्ट्रीय आपातकाल (नेशनल इमरजेंसी)
– राष्ट्रपति शासन (स्टेट इमरजेंसी)
– आर्थिक आपातकाल (इकोनॉमिक इमरजेंसी)
हालांकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कोरोना महामारी से निपटने के लिए अमेरिका में राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा की है.