सरकार की नींद उड़ाता शाहीन बाग आन्दोलन
श्रीगोपाल गुप्ता:
देश की राजधानी दिल्ली के दक्षिणी भाग में स्थित शाहीन बाग में सरकार द्वारा पारित नागरिक संसोधन एक्ट (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी ) के विरोध में 40 दिनों से चल रहे धरना प्रदर्शन से सरकार और भारतीय जनता पार्टी की रातों की नींद और दिन का चैन उड़ने लगा है!चालीस दिनों से विशुद्ध महिलाओं द्वारा चलाये जा रहे इस गांधीवादी मगर व्यस्थित आंदोलन ने सरकार को हलकान कर रखा है! दिल्ली विधानसभा के चुनाव के दौरान चल रहे इस शांति प्रिय आंदोलन के कारण भाजपा के लिये जहां दिल्ली फतह करने में रोड़ा बनता जा रहा है वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार भी इससे निपटने में अब तक असफल साबित हो रही है!बिना किसी राजनीतिक दलों व नेताओं के दिन-प्रतिदिन तेजी से आगे बढ़ता जा रहा ये शाहीन बाग का महिलाओं का आंदोलन पूरे देश को आहिस्ता-आहिस्ता अपनी मजबूत पकड़ में ले रहा है नतिजन देश के कई हिस्सों में लोग इससे प्रेरणा लेकर धरना प्रदर्शन पर बैठ गये हैं!कलमकार पंडितों के अनुसार यह धरना देश का अब तक सबसे बड़ा धरना प्रदर्शन है जो सन् 2011 के अन्ना हजारे के आंदोलन से भी बड़ा है और अचरज इस बात पर है कि हमेशा घरों में कैद रहने वाली महिलायें इस आंदोलन की अगूआ हैं! शाहीन बाग दक्षिण दिल्ली का वह इलाका है जो कालिंदी कुंज के रास्ते राजधानी दिल्ली को उत्तर प्रदेश को नोएडा और हरियाणा को जोड़ता है, मगर आंदोलन की धमक और ठोस वजह यह है कि 40 दिनों से यह मार्ग बंद है और सीएए और एनसीआर का पूरी मुस्तैदी के साथ विरोध कर रहीं औरतों ने इस महत्वपूर्ण हाइवे को जाम कर रखा है! जबकि जेएनयू और जामिया मिलिया में अपनी बर्बरता से कुख्यात दिल्ली पुलिस केवल निगरानी तक ही सीमित है जैसे उसकी भूमिका धरना व प्रदर्शन कारियों की सुरक्षा करना अधिक और जाम हाइवे को खुलवाने की कम! इधर लखनऊ में गत दिनों ग्रहमंत्री अमित शाह द्वारा सीएए और एनआरसी पर दिये गये दो टूक बयान की कोई कुछ भी कर ले सरकार इन दोनों कानूनों पर पीछे नहीं हटेगी ! इस पर कमर कसते हुये प्रदर्शनकारी महिलाओं ने भी सरकार और लेफ्टिनेंट गवर्नर की आंदोलन समाप्त करने की अपील को दरकिनार करते हुये दो टूक ऐलान कर दिया है कि जब तक ये कानून सरकार वापिस नहीं लेती हम नहीं हटेंगे!
दरअसल गत महिने भारतीय जनता पार्टी द्वारा सीएए और एनआरसी कानून बनाये जाने के साथ पूरे देश में विरोध प्रदर्शनों की बाड़ आ गई, देखते-देखते पूरे देश में इसका तीखा विरोध होने लगा! कानून के मुताबिक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से सन् 2014 तक आये हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध और जैन को भारतीय नागरिकता दी जायेगी जबकि मुस्लमानों को वही सन् 1971 की लक्ष्मण रेखा तय करनी होगी! विरोध प्रदर्शन के दौरान देश के कई हिस्सों में आगजनी, बबाल, मौतें व सार्वजनिक संपत्तियों को आग हवाले किया गया और बहुतों के खिलाफ दनादन मुकद्दमें दर्ज किये गये! इसी बीच दिल्ली की शाहीन बाग इलाके की मुस्लिम महिलायें जिनमें हिंदू महिलायें भी शामिल हैं, इन कानूनों के खिलाफ सड़क जाम कर धरने पर बैठ गई ,शुरु-शुर में लगा की यह आन्दोलन रस्मी है! मगर धीरे-धीरे आंदोलन तेजी पकड़ता गया और अब चुनाव के समय सरकार और भाजपा के लिये गले की फांस बनता जा रहा है! बहुत ही व्यस्थित तरीके से चलाये जा रहे इस गांधीवादी आंदोलन में राजनीतिक दल व नेताओं के भाषण और मंच उपस्थिति बर्जित है! यही कारण है कि गत 40 दिनों से चल रहे इस आंदोलन में राहुल गांधी, मुख्यमंत्री केजरीवाल जैसे नेता नहीं गये क्योओ आंदोलनकारी महिलायें जानती हैं कि इन नेताओं की शिरकत के साथ ही भाजपा कांग्रेस -भाजपा या फिर आप-भाजपा करने का मोका मिल जायेगा! सरकार आंदोलन को साम्प्रदायिक कर हिंदू-मुस्लिम न कर दे इसका भी उन्होने पूरा ध्यान रखा है! तिरंगे व महात्मा गांधी ,नेताजी सुभाष चंद्र बोस, अश्पाक खां व कलाम आजाद की तश्वीरों से सजे मंच पर किसी को भी गलत भाषा का इस्तेमाल करने पर कड़ाई से रोक है और आन्दोलन में कोई उत्पाती या माहौल न बिगाड़ पाये इसके लिए भी वांलटीयरों द्वारा सघन जांच इत्यादि की व्यवस्था है! फिलहाल सरकार अब इस आंदोलन से परेशानी में है, क्योंकि सरकार अब आंदोलनकारियों को मनाने में लग गई ,उसकी मीडिया को दी गई नशीहत फैल साबित हो गई है! रोक के बावजूद आंदोलन मीडिया में चरम पर है क्योंकि सात समुन्दर पार तक अन्तराष्ट्रीय मीडिया का साथ मिलने के कारण पूरे विश्व में छा गया है!