भारत बंद’:सेंट्रल ट्रेड यूनियन ने देशव्‍यापी हड़ताल का किया आह्वान

 

 

भोपाल.  बुधवार को 10 सेंट्रल ट्रेड यूनियन ने देशव्‍यापी हड़ताल का आह्वान किया है। यह हड़ताल केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ है। इसमें ट्रेड यूनियन शामिल होंगी। कुछ स्‍वतंत्र फेडरेशन भी हड़ताल का समर्थन कर रही हैं। सेंट्रल बैंक की ओर से शाखा बंद रहने के एसएमएस उपभोक्ताओं को भेजे गए हैं। हड़ताल से आम जनजीवन प्रभावित होने की आशंका है। भारत बंद से बैंकिंग, औद्योगिक के अलावा परिवहन और सेवा क्षेत्र के कामगार भी शामिल होंगे।

 

सेंटर फॉर इंडियन ट्रेड यूनियंस (सीटू) का कहना है कि सरकारी कंपनियों और बैंकों का निजीकरण रोकने, न्यूनतम मजदूरी बढ़ाने, सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध कराने और उदारीकरण, सुधार संबंधी आर्थिक नीतियों पर सरकार के साथ बातचीत विफल होने पर राष्ट्रव्यापी हड़ताल ‘भारत बंद’ बुलाया गया है।

इन संगठनों में इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस, ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस, हिन्द मजदूर सभा, सेंटर फॉर इंडियन ट्रेड यूनियंस, ऑल इंडिया यूनाईटेड ट्रेड यूनियन सेंटर, ट्रेड यूनियन कार्डिनेशन सेंटर, सेल्फ इम्प्लॉयड वीमेंस एसोसियेशन, ऑल इंडिया सेंट्रल कौंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस, लेबर प्रोग्रेसिव फेडरेशन और यूनाईटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस से जुड़े श्रमिक संघ हिस्सा ले रहे हैं। हालांकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े भारतीय मजदूर संघ ने ‘भारत बंद’ का समर्थन नहीं किया है।

श्रमिक संघों का कहना है कि ‘भारत बंद’ के दौरान देश के प्रत्येक औद्योगिक क्षेत्र में धरने प्रदर्शन किये जाएगें और जन सभायें आयोजित होगीं। हालांकि चिकित्सा, खाद्य पदार्थों, अग्नि सेवा तथा जलापूर्ति जैसी आवश्यक सेवाओं को हड़ताल से बाहर रखा गया है। इसके अलावा श्रमिक संघों का कहना है कि कल स्कूल, कॉलेज तथा अन्य शैक्षिक संस्थान बंद रहेंगे। सार्वजनिक बैंकों में भी कामकाज नहीं होने की बात श्रमिक संघों ने कही है। इंडियन बैंक एसोसिएशन ने कहा कि कल भारत बंद के दौरान छह बैंक यूनियन हड़ताल में शामिल होगीं। हालांकि एटीएम सेवा और शाखाओं के कामकाज को हड़ताल से छूट दी गयी है। इसके अलावा ऑनलाइन भुगतान व्यवस्था भी हड़ताल से अप्रभावित रहेगी।

श्रमिक संगठनों का कहना

सरकार को सभी लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने की व्यवस्था करनी चाहिए और सार्वभौमिक रुप से राशन, स्वास्थ्य तथा शिक्षा सेवायें उपलब्ध करानी चाहिए।
न्यूनतम मजदूरी 21 हजार प्रति माह घोषित की जानी चाहिए। किसानों को कृषि उपजों के उचित मूल्य दिये जाने चाहिए और सभी को कम से कम 10 हजार रुपए प्रति माह पेंशन देनी चाहिए।
इसके अलावा सरकार को नागरिकता संशोधन कानून, श्रम संहितायें, सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण करने की योजनाओं को वापस लेना चाहिए।

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