बेंगलुरु,। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने पुष्टि की है कि देश के तीसरे चंद्रमिशन के लिए सरकार ने मंजूरी दे दी है। ‘चंद्रयान -3’ पर काम चल रहा है और 2021 तक प्रक्षेपित किया जा सकता है। इसके अलावा गगनयान के लिए चार अंतरिक्ष यात्रियों का चयन किया गया है जिन्हें रूस में प्रशिक्षण दिया जायेगा। देश का दूसरा प्रक्षेपण केंद्र तमिलनाडु के थूथुकुडी में बनेगा।
इसरो प्रमुख के. सिवन ने यहां संवाददाता सम्मेलन में बुधवार को 2019 की उपलब्धियां और 2020 के टारगेट के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि सरकार ने चंद्रयान-3 को मंजूरी दे दी है और इस परियोजना पर कार्य चल रहा है। चंद्रयान-3 मिशन में ऑर्बिटर नहीं होगा। इसमें केवल लैंडर और रोवर होंगे। उन्होंने कहा कि इस मिशन की लागत 250 करोड़ रुपये होगी। इसरो चीफ ने नये साल के पहले दिन गगनयान और चंद्रयान-3 मिशन की तैयारियों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इन दोनों महत्वपूर्ण परियोजनाओं के लिए अधिकतर तैयारी पहले से ही चल रही है।
इसरो चीफ ने कहा कि अंतरिक्ष विज्ञान के जरिए हमारी कोशिश देशवासियों के जीवन को और बेहतर बनाने की है। उन्होंने कहा कि गगनयान मिशन पर जाने के लिए चार अंतरिक्षयात्रियों की भी पहचान की जा चुकी है। गगनयान प्रोजेक्ट का काम लगभग पूरा हो चुका है। महत्वाकांक्षी मानवयुक्त मिशन ‘गगनयान’ के लिए अंतरिक्ष यात्रियों का प्रशिक्षण रूस में जनवरी के तीसरे सप्ताह से शुरू होगा। इसके लिए चार अंतरिक्ष यात्री चुने गए हैं। सिवन ने चेन्नई के उस तकनीकी विशेषज्ञ को भी बधाई दी जिन्होंने हार्ड लैंडिंग के बाद गम हुए चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर की खोज की थी। उन्होंने यह भी कहा कि दुर्घटनाग्रस्त मॉड्यूल की तस्वीर जारी न करना अंतरिक्ष एजेंसी की नीति थी। विक्रम लैंडर की हार्ड लैंडिंग क्यों हुई, इस सवाल पर डॉ. सिवन ने कहा कि चंद्रयान-2 का लैंडर बहुत तेज गति होने की वजह से सही नेवीगेट (दिशा और रास्ता) नहीं कर पाया और इसकी वजह से हार्ड लैंडिंग हुई। ये गलत आरोप लगाया जा रहा है कि चंद्रयान-2 की असफलता की वजह से अन्य सैटेलाइट्स की लॉन्चिंग में देरी हुई है, ऐसा नहीं है। सैटेलाइट्स लॉन्च करने के लिए रॉकेट्स बनाने होते हैं। जैसे ही हमारे पास रॉकेट होता है हम लॉन्चिंग कर देते हैं लेकिन मार्च तक हम वो सारे सैटेलाइट्स लॉन्च कर देंगे जो 2019 के अंत तक तय किए गए थे।
उन्होंने बताया कि भारत ने सितम्बर, 2019 में चंद्रयान-2 मिशन की शुरुआत की थी जिसका उद्देश्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरकर पानी की खोज करना था। इससे पहले इस प्रकार का कोई मिशन नहीं हुआ था। इसरो ने चंद्रयान-2 पर अच्छी प्रगति की है, भले ही सफलतापूर्वक लैंड नहीं हो सका लेकिन ऑर्बिटर अभी भी काम कर रहा है। इससे अगले 7 वर्ष तक डेटा एकत्र किये जा सकते हैं। उन्होंने बताया कि देश में दूसरा प्रक्षेपण केंद्र तमिलनाडु के थूथुकुडी में बनाया जाना है। इसके लिये भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है।