: भारत के विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता या यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) पर एक नोटिस जारी किया है. इसके जरिए यूसीसी पर टिप्पणियां और सुझाव मांगी गई है.
21वीं विधि आयोग द्वारा पांच साल पहले 2018 में भी इस तरह के कुछ सवाल जारी किए गए थे. समान नागरिक संहिता लंबे समय से भारतीय राजनीति में एक विवादास्पद मुद्दा रहा है और इसे भारतीय संविधान में एक सिद्धांत के रूप में शामिल किया गया है. पूर्व कानून मंत्री रिजिजू बोल चुके हैं कि समान नागरिक संहिता 1998 और 2019 के चुनावों के लिए भाजपा के घोषणापत्र का हिस्सा रहा है.
नवंबर 2019 में, नारायण लाल पंचारिया ने इसे पेश करने के लिए संसद में एक विधेयक पेश किया, लेकिन विपक्ष के विरोध के कारण इसे वापस लेना पड़ा था. मार्च 2020 में फिर बिल आया, लेकिन इसे संसद में पेश नहीं किया गया. विवाह, तलाक, गोद लेने और उत्तराधिकार से संबंधित कानूनों में समानता की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष भी याचिकाएं दायर की गई हैं. जानें यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने के बाद क्या-क्या बदलाव होंगे…
यूनिफॉर्म सिविल कोड पर तमाम जानकारी के लिए यहां
विवाह संबंधी इन कानूनों पर पड़ेगा असर
- हिन्दू विवाह अधिनियमॉ
- क्रिश्चियन मैरिज एक्ट
- पारसी मैरिज एक्ट
- स्पेशल मैरिज एक्ट
- आर्य समाज मैरिज एक्ट
- निजी धर्म-परंपरा के हिसाब से विवाह
सभी धर्म के लोगों के लिए समान होंगे नियम
- तलाक का प्रावधान सभी धर्मों के लिए समान होगा
- उत्तराधिकार कानून सभी धर्मों के लिए समान किया जाएगा
- गोद लेने के कानून सभी धर्मों के लिए समान होंगे
- संरक्षक और प्रतिपाल्य कानून सभी धर्मों पर समान रूप से लागू होगा
- जमीन और संपत्ति के बंटवारे का कानून सभी धर्मों पर लागू होगा
सभी धर्मों के निजी कानून इन क्षेत्रों में अप्रभावी हो जाएंगे
विवाह, तलाक, भरण-पोषण, संपत्ति अधिकार, गोद लेने और उत्तराधिकार, वसीयत होने की स्थिति में उत्तराधिकार कानून नहीं लागू होगा
UCC लागू होने पर ये होंगे बदलाव
- विवाह पर सभी धर्मों के लिए समान व्यवस्था.
- विवाह की संख्या निर्धारित यानी सिर्फ एक होगी.
- पर्सनल लॉ के बहुविवाह पर लगेगी रोक.
- सभी दंपति के लिए वैवाहिक पंजीकरण अनिवार्य.
- तलाक के लिए सभी धर्मों के लिए समान व्यवस्था.
- तलाक में दोनों ही पक्षों के लिए प्रावधान और नियम समान होंगे.
- पर्सनल लॉ के तहत तलाक प्रतिबंधित होंगे. जैसे मुस्लिमों में तलाक-ए-बाइन, तलाक-ए-हसन, तलाक-ए-अहसन और हलाला हैं, जबकि तलाक-ए-बिद्दत यानी तीन तलाक को सुप्रीम कोर्ट पहले ही अवैध करार दे चुका है.
- भरण-पोषण और विवाहित महिला के अधिकार पर समान व्यवस्था.
- तलाक लेने वाले जोड़ों के संरक्षण या माता-पिता की मृत्यु होने पर बच्चों के संरक्षकों का वर्गीकरण होना.
- सभी धर्मों की लड़कियों के विवाह की आयु समान न्यूनतम 18 साल की जाएगी. मुस्लिम धर्म में प्यूबर्टी प्रकट होने पर लड़कियों का विवाह करते हैं, जबकि लड़कियों के लिए विवाह की तय उम्र 18 साल है.
- संपत्ति पर लैंगिक समानता लायी जाएगी। यानी सभी धर्म में बेटे के अलावा बेटी (विवाहित या अविवाहित) माता-पिता की कमाई संपत्ति और विरासत की संपत्ति में समान रूप से अधिकारी होंगे. जबकि बेटे की मृत्यु पर उसकी विधवा पत्नी का अधिकार होगा. मुस्लिम धर्म में महिलाओं का संपत्ति पर हक नहीं रहता.
- सभी धर्मों की दंपति के लिए गोद लेने की प्रक्रिया आसान की जाएगी.
- वसीयत की मौजूदगी में उत्तराधिकार कानून नहीं लागू होना स्पष्ट होगा.
केंद्र कब रखेगी पहला कदम?
केंद्र सरकार विधि आयोग की रिपोर्ट आने पर ही यूसीसी पर अपना कदम बढ़ाएगी. विधि आयोग को अगले माह के दूसरे सप्ताह तक धार्मिक संगठनों और आम जनता से जो ईमेल के जरिए सुझाव मिलेंगे. उन पर वह धर्म, समाज और संविधान विशेषज्ञों से चर्चा करेगी. इसके बाद आयोग के सभी सदस्य हरेक सुझाव की समीक्षा करेंगे और फिर रिपोर्ट तैयार की जाएगी. रिपोर्ट तैयार करने के बाद विधि आयोग कानून मंत्रालय को रिपोर्ट सौंपेगा. साथ ही सार्वजनिक करेगा. इसके बाद ही सरकार यूसीसी पर आगे बढ़ेगी.