कोरोना की अंतहीन दर्द भरी गाथा,, देखो धुएं के साथ मेरी मां जा रहीं हैं…..
( ग्राउंड रिपोर्ट ) भोपाल के भदभदा विश्राम घाट पर वो आठ तारीख की शाम का वक्त था जब सूरज तकरीबन डूबने को था और अंधेरा हर कोने पर छा रहा था। आमतौर पर शमशान घाट का अंधेरा डरावना होता है मगर उस अंधेरे को और ज्यादा भयावह बना रहीं थीं वो लपटें…