इनकम टैक्स विभाग ने अधिक प्रीमियम वाली यूनिट आधारित बीमा योजना (यूलिप) से प्राप्त रकम को कर योग्य बना दिया है। इसका उद्देश्य इसे म्यूचुअल फंड की तरह बनाना है।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने 18 जनवरी 2022 को 2.5 लाख रुपये से ज्यादा के वार्षिक प्रीमियम वाले यूलिप के संबंध में कैपिटल गेन की गणना के तौर-तरीकों को लेकर नियमों को अधिसूचित किया। अगले दिन उसने एक परिपत्र जारी किया, जिसमें टैक्सेशन के विभिन्न पहलुओं को बताया गया है।
आयकर विभाग ने बताया कि बीते केंद्रीय बजट में यूलिप के संबंध में की गयी घोषणा को प्रभावी बनाने के लिए सीबीडीटी ने नियमों और दिशानिर्देशों को अधिसूचित किया है।
उसने कहा कि यह कोई नया कराधान प्रावधान नहीं हैं, बल्कि केवल खास मामलों में यूलिप को भुनाने के लिए पूंजीगत लाभ की गणना के तरीके को स्पष्ट करता है।
वर्ष 2021 के वित्त अधिनियम के जरिये आयकर अधिनियम की धारा 10(10डी) में संशोधन किया गया।
इसके तहत एक फरवरी, 2021 या उसके बाद जारी उस यूलिप के तहत प्राप्त रकम को छूट नहीं दी जाएगी जिसमें किसी भी वर्ष के लिए देय वार्षिक प्रीमियम 2.50 लाख रुपये से अधिक है।
यह प्रावधान म्यूचुअल फंड निवेश और यूलिप निवेश के बीच समान अवसर उपलब्ध करने के लिये लाया गया है।
इसका असर यह होगा कि इसे भुनाने के समय ये आयकर के अन्तर्गत दीर्घकालिक लाभ माना जावेगा चुकिं युलिप की अवधि इंश्योरेंस के अन्तर्गत मिनिमम 5 वर्ष की होती है. इस पर अर्जित 100000/- रुपये से अधिक आय पर 20% की दर से आयकर देना होगा.
हमें यह ध्यान रहे की ये सिर्फ उन युलिप पालिसी पर लागू होगा जिनका वार्षिक प्रिमियम 2.50 रुपये से अधिक है. जिन पालिसी का प्रिमियम 2.50 तक है, वे पहले की तरह आयकर की धारा 10(10डी) के अन्तर्गत करमुक्त होंगी.
नोटीफिकेशन जारी कर आयकर विभाग ने इसे नियम बना दिया है जिसका पालन अब सारी इंश्योरेंस कंपनियों के साथ पालिसी धारक को भी करना होगा.
सीए अनिल अग्रवाल जबलपुर