हमारी जनरेशन कमाल की जनरेशन है

 

हमारी जनरेशन कमाल की जनरेशन है। हमारे पास मोबाइल, एडवांस ग्राफिक्स वाले वीडियो गेम, और ये टेक्नोलॉजी नहीं थी जिसने जीवन को आसान बना दिया है पर हम वो जनरेशन हैं जिन्होंने इस युग को ये सब दिया है।

1970 से 2000 के बीच पैदा होने वाली जनरेशन गेम चेंजर है। आज भी जितने भी बड़े और बेहतरीन शिक्षा संस्थान हैं वहाँ पर भी संकल्पित और कुशल गुरु हमारी ही जनरेशन है।

हमने टेक्नोलॉजी को बदलते , बढ़ते और उपयोग में आते देखा है। हमने पेकमेन और कॉन्ट्रा जैसे वीडियो गेम को फ्री फायर और टेम्पल रन में बदलते देखा है। हमने कच्ची सड़कों को एक्सप्रेस वे में बदलते देखा है। हमने पीले बल्ब को एल ई डी लाइट्स में बदलते देखा है। हमने डायल वाले रिसीवर फोन को स्मार्ट फोन में बदलते देखा है। हमने सोलर कुकर से इंडक्शन की यात्रा और अब गैसहोब , टेबलटॉप औऱ माइक्रोवेव वाला किचन देखा है। हमने मारुति 800 से टेस्ला जैसी कारों को सड़कों पर चलते देखा है। हमने लेडीज़ और जेंट्स सायकिल को स्पोर्ट्स बाइक में बदलते देखा है।

We are the game changer…
ये बातें मैंने अपनी क्लास में अपने स्टूडेंट्स से कहीं और साथ ही कहा कि आप जो सन् 2000 के बाद पैदा हुए हैं देखिए कि आप इस समाज और दुनिया को क्या नया दे सकते हैं क्योंकि आपमें से कोई भी अभी गुरु नहीं बना है आप सभी ट्रेनीज़ ही हैं।

हम वो जनरेशन हैं जिन्होंने तहज़ीब, तमीज़ ,बड़ो से लिहाज़ ,मर्यादा और रिश्ते के संकोच ज़िंदा रखे हैं। हम ही वो जनरेशन हैं जिन्होंने अपने पापा को पापा यार कहने की हिम्मत नहीं की । हमारे दादा-दादी अलग घरों में नहीं रहे। हम वो जनरेशन हैं जिन्होंने परम्पराओं और त्यौहारों को जिया और ज़िंदा रखा।

ये नयी जनरेशन कैलकुलेटिव है और एग्रेसिव भी है। हमने बिना स्ट्रैस मेमेजमेंट के सेशन लिए स्ट्रेस और डिप्रेशन को कंट्रोल करना सीखा हालांकि हमारी जनरेशन ने ही स्ट्रेस, डिप्रेशन और लोनलीनेस की परिभाषा देकर उनकी थेरेपी डिवेलप की है। हमारी जनरेशन ने ही लड़के और लड़कियों को समाज औऱ परिवार में समान जगह देने की शुरुआत की । हमने लड़को को रसोई में आने का आमंत्रण दिया और लड़कियों के हाथ में हवाई जहाज और नासा की बागडोर भी दी। हमने पिता का बच्चे सम्हालना और माँ का कार ड्राइव करना सहज बनाया।

We are awesome हमने ही नैतिकता , मोरैलिटी, आडियोलॉजी और लाइफ वेलूज़ को डिटोरिएट और खत्म होते देखा। हमने ही आधुनिकता के दौर में पर्यावरण और प्रकृति को नुकसान पहुंचाया , पर वक़्त रहते सम्हाला भी और दुनिया को वापस नेचर , रिसाइकल , आर्युवेद, और अपनी जड़ों से जुड़े रहने का संदेश दिया । हमने इस दुनिया को रहने लायक और सरल, सुरक्षित और आधुनिक बनाया।

दुनिया को विश्व युद्ध के बाद और हज़ारों ट्रेरेरिस्ट अटैक देखने के बाद भी वापस बनते और सुंदर होते देखने वाली हमारी जनरेशन ही आज 20% नयी पीढ़ी को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की कृत्रिम टेक्नोलॉजी की समझ तक ले आयी है और हमारी जनरेशन ही आज बाकी की 80 % जनरेशन को धर्म, जाति के झंडे पकड़ा रही है।

वो जो पढ़ गए वो बढ़ गए। उनके दिमाग भीतर से गढ़ गए और जिन्होंने शिक्षा और क़िताबों का आदर नहीं किया औऱ जो सच्ची सीखों से भटक गए वो किसी धर्म या जाति के नाम पर किसी उन्मादी जुलूस का हिस्सा हुए और अटक गए।

हमारी जनरेशन ने नई पीढ़ी को सृजन और विनाश के समान साधन और सोच दी है। अब देखना ये है कि ये जनरेशन 2000 उस उपलब्ध ज्ञान और प्रयोगों के इस्तेमाल किस तरह करती है। हमने एक ही वक़्त में तीन पीढ़ियों को बदलते देखा है।

अपने से पहली, अपनी और अपने बाद की और हमने तीनों को ही सम्हाला है उनके बीच सामंजस्य बिठाया है। हम कमाल की जनरेशन हैं शाबाश है हमें।

2010 से 2024 के बीच जन्म लेने वाले बच्चों को ‘जेनरेशन अल्फा’ कहा जा रहा है, जिसे आई जेनरेशन (iGeneration) भी नाम दिया गया। क्योंकि यह पहली जनरेशन हो गई है जिसने आईफोन, आईपैड के शुरुआती दौर में ही दुनिया में कदम रख लिया था। यह अब तक की सबसे बड़ी जनरेशन है जिसकी आबादी 2025 तक 2 अरब हो जाएगी। अब इस जनरेशन को क्या दिशा मिलेगी उसकी जिम्मेदारी सन् 2000 के बाद वाली जनरेशन की है।
अब हम सीटबेल्ट बांधकर रोमांचक यात्रा के लिए तैयार हैं। हम वो गुरु हैं जो अब अपने शिष्यों को गुरु बनते देखेंगे।
शुभमस्तु..

–निधि नित्या

 

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