सौतेले भाई ने मुँहबोली बहन को रुपये का लालच देकर परिवार को लुटा

 

✍️अशोक रघुवंशी इंदौर:
इन्दौर गरीब परिवार जैसे तैसे तंगहाली में जीवन गुजार रहा था कि तभी उनकी *बहू का भाई बन प्रकट हुए मसीहा ने एक हजार रुपये महीने आर्थिक मदद का वायदा किया।* पूरे घर मे मंगल गीत बजने लगे सभी खुश चलो बहु को एक हजार रुपये महीना घर बैठे मिलेंगे। घर मे बहु का vip ट्रीटमेंट शुरू हो गया। 15 दिन की भागदौड़ के बाद ये सुनिश्चित हो गया कि एक हजार रुपये की हकदार हो गई बहु।
फिर निश्चित तारीख को एक हजार आ गए बैंक खाते में पूरे घर मे भाई की तारीफों के पुल बंधने लगे। भाई हो तो ऐसा हो। *कुछ ही दिन बीते थे कि खुशियों में जहर घुल गया। घर मे सब माथा पकड़ के बैठे थे ? क्यों अरे साहेब भैया ने बिल भेजा था और बिल हर माह के एवरेज से 3 गुना बड़ा हुआ था।* अब क्या था पूरा घर बहू को ओर उसके भाई को गालियां दे रहा था। एक हजार देकर पाँच हजार वसूली बात यही खत्म हो जाती तो ओर बात थी पड़ोसी भी गाली देते हुए आ है अरे भीया हमारे यहाँ तो कोई भाई बहन का लफड़ा नही है ये तुम्हारी बहु के भाई ने हमसे क्यों वसूली शुरू कर दी हमारा बिल भी पाँच हजार के आंकड़े को पार करने की कोशिश में है। *धीरे धीरे पूरा मुहल्ला इकठ्ठा हुआ और भाई और बहन दोनों को ही भला बुरा कहने लगा। तभी उनमें से एक समझदार व्यक्ति ने सबको चुप कराते हुए सांत्वना दी और कहा चिंता मत करो में आपको बिल के झंझट से ही मुक्ति दिलवा दूंगा। बस तुम अपने आप की सुनो हम आम आदमी है और हमे अपने आप की ही सुनना चाहिए।* फिर मेने वहाँ से निकलना ही ठीक समझा।

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