सेकेंड हैंड कार खरीदते समय लाेग अक्सर काम हाे चुके इंजन और एक्सीडेंटल कार ना खरीद ले सिर्फ इस पर ध्यान रखते है. लेकिन उसके अलावा भी ऐसी कई चीजें रहती है जिन पर ध्यान न देते हुए यदि आपने सेंकड हैंड कार खरीद ले ताे आपकाे भविष्य में सिर्फ परेशान ही हाेना पड़ेगा. यही नहीं इसका खामियाजा आपकाे बार-बार माेटी रकम खर्च करके भी चुकाना पड़ेगा. तो काैन से ही वह चीजें जिन्हें यदि आप किसी सेंकड हैंड कार में देखें ताे उसे कभी भी ना खरीदे फिर भले ही कार कितनी भी आकर्षक या कम पैसाें में क्याें ना मिल रही हाे.
1 – जिसमें लगा हाे आफ्टरमार्केट सनरूफ
कभी भी उस कार काे ना ही खरीदे ताे अच्छा हाेगा जिसमें आफ्टर मार्केट यानि बाहर से सनरूफ लगवाया गया हाे. यह सही है कि सनरूफ वाली कार का सपना हर काेई संजाेता है लेकिन बाहर से लगे सनरूफ वाली कार काे क्याें नहीं खरीदना चाहिए उसकी वजह भी जान लीजिए. दरअसल मुख्य वजह यह है कि कार इंजीनियरिंग डिजाइन है. इससे गाड़ी का बैलेंस पहले जैसा नहीं रहता जो कि खतरनाक साबित हाे सकता है. वैसे भी सनरूफ च्वाइस की बात नहीं है डिजाइन की बात है. बाहर से लगवाने पर उसका असर पूरे कार के इंजीनियरिंग फ्रेम पर पड़ता है.
2 – जीराे सेफ्टी रेटिंग वाली कार कभी ना ले
यदि आप सेंकड हैंड कार खरीद रहे है ताे उन काराें काे बिलकुल ना खरीदे जिन्हें जीराे स्टार सेफ्टी रेटिंग मिली हाे. टू स्टार रेटिंग वाली कार भी लेंगे ताे चलेगा. जीराे स्टार सेफ्टी रेटिंग से मतलब विदाउद एयर बैग वाली काराें से है. बजट कम भी हाे तब भी चलेगा लेकिन जीराे सेफ्टी रेटिंग कारें खरीदने का मतलब रिस्क ही लेना है.
3- वीडियाे व्लॉग के चक्कर में ना पड़े
आजकल कई लाेग कार डीलर्स के वीडियाे शूट कर रहे है और बता रहे है कि उनके पास कम कीमत में काैन-काैन सी गाड़ी है. पहली बात ताे आपकाे यह समझना होगा कि ऐसे ज्यादातर वीडियाे पेड हाेते है. इसलिए सिर्फ किसी के कहने से ऐसी काेई भी कार ना खरीद ले जब तक उसके बारे में अच्छे से पड़ताल ना कर ले. बेहतर हाेगा कि कार काे पहले शाे-रूम के वर्कशाप में चैक करवा ले इसके लिए एक से दाे हजार रुपए ही खर्च हाेंगे लेकिन यदि बाद में दिक्कत समझ में आई ताे हजाराें रुपए खर्च करने पड़ सकते है.
4 – सर्विस हिस्ट्री ना हाे तब भी बचे
सेंकड हैंड कार खरीदते समय एक और जरूरी बात जिसे ध्यान देना चाहिए वाे है कि कार की सर्विस रिकॉर्ड है या नहीं. या कहे सर्विस हिस्ट्री जरूर हाे. ऐसा इसलिए क्याेंकि इससे आपकाे पता चलता है कि कार की मेंटेनेंस समय पर हुई है या नहीं, इंजन ऑयल टाइम पर चेंज किया गया या नहीं. काराें में मीटर टेम्परिंग ज्यादा हाेती है इसका पता भी आप सर्विस हिस्ट्री से आसानी से कर सकते है.
5- जिन काराें काे कंपनी ने बंद कर दिया हाे
पुरानी कार खरीदते समय चाहे किसी भी कंपनी की कार ले लेकिन यह जरूर ध्यान रखे कि कार के स्पेयर पार्ट्स अब भी आसानी से मिल रहे हाे. कई बार कंपनियां अपने पुराने मॉडल्स बंद कर देती है जिसके बाद उसके पार्ट्स मिलना मुश्किल हाे जाते है. ताे यदि आपने भी काेई ऐसी कार खरीद ली ताे आगे जाकर इसमें दिक्कतें ही दिक्कतें आ सकती है. भले ही यह कारें आपकाे सस्ते में मिले लेकिन इनके जरूरी पार्ट्स ना मिलने से आप आगे बेहद परेशान हाे सकते है.