सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर स्टे से दिल्ली हाईकोर्ट का इनकार, याचिकाकर्ता पर भी लगाया एक लाख का जुर्माना

दिल्ली हाईकोर्ट  ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है. इसी के साथ याचिकाकर्ता पर एक लाख का जुर्माना लगाया गया है. याचिका में कोरोना महामारी को आधार बनाकर रोक लगाने की मांग की गई थी.

हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस ज्योति सिंह की बेंच ने याचिका खारिज कर दी है. दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि यह राष्ट्रीय महत्व की एक अनिवार्य परियोजना है, लोगों की सार्वजनिक परियोजना में महत्वपूर्ण रुचि है.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही सेंट्रल विस्टा के निर्माण को हरी झंडी दी है. दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि निर्माण कार्य में लगे मज़दूर उसी जगह पर रह रहे हैं, ऐसे में निर्माण कार्य को रोकने का कोई औचित्य नहीं बनता. कंस्ट्रक्शन में DDMA के 19 अप्रैल के आदेश का उल्लंघन नहीं हो रहा.

2022 तक संसद की नई बिल्डिंग बनाने का लक्ष्य

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले साल 10 दिसंबर को इस परियोजना की आधारशिला रखी थी. इस प्रोजेक्ट के तहत संसद भवन की नई बिल्डिंग और राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक 3 किलोमीटर के क्षेत्र को नए सिरे बसाया जा रहा है. ये पूरी परियोजना करीब 20,000 करोड़ रुपए की है. संसद भवन की नई बिल्डिंग का निर्माण टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड के तहत किया जा रहा है. इस परियोजना पर 971 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है. नया संसद भवन त्रिकोणीय आकार का होगा. साल 2022 में देश के 75वें स्वतंत्रता दिवस तक इसके तैयार होने की उम्मीद है.

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