भोपाल। प्रदेश में विधानसभा उप चुनाव की तैयारियों में दोनों ही प्रमुख दल जुट गए हैं। दोनों दलों की ओर से एक-एक सीट पर मंथन किया जा रहा है। इस बीच नेताओं के बयान भी सामने आ रहे हैं। सागर जिले की सुरखी की पूर्व विधायक पारुल साहू ने बयान जारी किया है कि वे उपचुनाव में पार्टी नहीं कार्यकर्ताओं के कहने पर काम करेंगी। पारुल के इस बयान से सुरखी से भाजपा के संभावित प्रत्याशी गोविंद राजपूत की मुश्किलें बढ़ सकती है। पारुल उपचुनाव में गोविंद सिंह राजपूत से अपना पुराना बदला ले सकती हैं।
पारुल साहू जब विधायक थीं, तब गोविंद सिंह राजपूत ने उनको लेकर (दारू वाली) विवादित बयान दिया था।इस बयान पर मध्य प्रदेश महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष लता वानखेड़े ने गोविंद सिंह राजपूत को नोटिस जारी किया था अलंकी। इस मामले में किसी तरह की कोई कार्यवाही नहीं की। बाद में सागर के स्थानीय नेताओं ने और भाजपा ने पारुल से दूरी बना ली। यही कारण था कि 2018 के चुनाव में पारुल साहू का टिकट काट दिया गया। उनकी जगह सागर के पूर्व सांसद लक्ष्मीनारायण यादव के बेटे सुधीर यादव को सुरखी से चुनाव लड़ाया गया था। इससे पहले 2013 के विधानसभा चुनाव में पारुल साहू ने कांग्रेस प्रत्याशी गोविंद सिंह राजपूत को हराया था।अब जब गोविंद सिंह राजपूत खुद सुरखी से भाजपा के प्रत्याशी होंगे तब यादव भी उनके विरोध में उतर सकते हैं। पारुल ने कार्यकर्ताओं के कहने पर उपचुनाव में काम करने का ऐलान करके राजपूत का विरोध करने के संकेत दे दिए हैं।
अजय सिंह हो सकते हैं प्रत्याशी!
खबर है कि सुरखी से भाजपा के संभावित प्रत्याशी गोविंद सिंह राजपूत के खिलाफ कांग्रेस पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह को प्रत्याशी उतार सकती है। कांग्रेस ने भाजपा नेता राजेंद्र सिंह मोकलपुर से भी संपर्क साधा है। अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि मोकलपुर गोविंद सिंह राजपूत के भाजपा में शामिल होने से नाराज हैं। वे उपचुनाव से पहले कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं। हालांकि वे गोविंद सिंह राजपूत की वजह से ही कांग्रेसी छोड़कर भाजपा में गए थे। राजेंद्र सिंह की सुरखी विधानसभा क्षेत्र में जनता के बीच अच्छी खासी पकड़ है और उनके पास वोट बैंक भी है।
तीनों बिगाड़ सकते हैं खेल
सुरखी विधानसभा उपचुनाव में भाजपा का उसके ही नेता खेल बिगाड़ सकते हैं। पारुल साहू, सुधीर यादव और राजेंद्र सिंह मोकलपुर ने फिलहाल अपने पत्ते नहीं खोले हैं। सिर्फ पारुल साहू ने कार्यकर्ताओं के कहने पर उपचुनाव में काम करने का बयान जारी किया है। ऐसे में भाजपा इन तीनों नेताओं को मनाने में सफल नहीं हुई तो उपचुनाव में पार्टी के संभावित प्रत्याशी? गोविंद सिंह राजपूत को नुकसान हो सकता है।