राष्ट्रीय स्वयं संघ (RSS) के अनुशांगिक संगठन भारतीय किसान संघ ने प्रदेश के किसानों की समस्याओं को लेकर जिस तरह से अपनी ही भाजपा सरकार के खिलाफ आंदोलन का ऐलान किया और उग्र तेवर दिखाते हुए जिस तरह से भोपाल में हजारों किसानों का मजमा लगाया, उससे यह लग रहा था कि, अब तो सरकार की मुसीबत होने वाली है। 2023 का गणित बिगड़ने वाला है। लेकिन अचानक सीएम शिवराज सिंह चौहान ने किसान आंदोलन के मंच पर पहुंचकर किसान नेताओं के मंसूबों पर पानी फेर दिया। सीएम ने चतुराई से किसानों की सारी जायज मांगों को मानने का ऐलान कर आंदोलन की हवा निकाल दी। नारदजी कहते हैं कि इसके बाद से किसानों के तो चेहरे खिले और किसान नेताओं के चेहरे लटके हुए हैं।
लेखक-महेश दीक्षित