सीएम के खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों में नारे लगाने वाले करणी सेना के कार्यकर्ताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए: पटेल

 

पिछड़ा वर्ग के भाजपा नेताओं की चुप्पी
आश्चर्यजनक, मौन स्वीकृति का संदेह
मप्र में पिछड़ा वर्ग की आबादी 52 प्रतिशत से अधिक, इस तथ्य को न भूले

भोपाल। मप्र पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति, जनजाति एवं अल्पसंख्यक कर्मचारी संघ (अपाक्स) के प्रांताध्यक्ष भुवनेश कुमार पटेल ने गुरुवार को जारी एक बयान में पिछड़ा वर्ग के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के बारे में आपत्तिजनक शब्दों में करणी सेना कार्यकर्ताओं द्वारा भोपाल में नारे लगाए जाने की भर्त्सना की है। पटेल ने कहा कि इस संगठन के खिलाफ पुलिस को एफआईआर दर्ज करना चाहिए। दोषियों को कानून के दायरे में लेकर वैधानिक कार्यवाही करने की मांग अपाक्स संगठन करता है।
श्री पटेल ने कहा कि ये अत्यंत दुखद है कि भाजपा के पिछड़ा वर्ग के मंत्री, सांसद, विधायक और अन्य पदाधिकारी, कार्यकर्ता आदि इस संबंध में मौन है। ये अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। इससे प्रतीत होता है कि इन सभी की अघोषित रूप में मुख्यमंत्री के विरुद्ध आपत्तिजनक नारे लगाने की हरकत को मौन स्वीकृति थीं। श्री पटेल ने कहा कि मध्य प्रदेश में आधे से अधिक विधानसभा सीटें पिछड़ा वर्ग बाहुल्य है। पिछड़े वर्ग के वोट से ही किसी भी दल की सरकार का गठन होता है। मध्य प्रदेश में पिछड़ा वर्ग की आबादी 52 प्रतिशत से अधिक है। इस तथ्य को किसी को नहीं भूलना चाहिए।
श्री पटेल ने कहा कि प्रजातंत्र में आंदोलन करना किसी भी संगठन, संस्था अथवा दल का मौलिक अधिकार है। उसे अपनी मांगों के समर्थन में शालीन, सभ्य भाषा में नारे लगाना चाहिए। ये हमारी सभ्यता और संस्कृति है लेकिन जाति सूचक एवं आपत्तिजनक शब्दों का उपयोग करना किसी भी रूप में स्वीकार करने योग्य नहीं है। ये पूर्णत: असभ्य, अशोभनीय और शालीन समाज के आचरण के विरुद्ध है।
पटेल ने कहा कि जंबूरी मैदान में आते समय और कार्यक्रम स्थल पर जिस प्रकार करणी सेना कार्यकर्ताओं ने अपने समाज के वरिष्ठजनों की मौजूदगी में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बारे में नारे लगाए हैं, उससे पिछड़ा वर्ग को ठेस पहुंची है। उसकी भावनाओं का अपमान हुआ है। इस आचरण एवं व्यवहार को किसी भी रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता है।
पटेल ने कहा कि अगर मुख्यमंत्री के विरुद्ध आपत्तिजनक नारे लगाने की हरकत पर पुलिस और प्रशासन ने कार्यवाही नहीं की कि तो अपाक्स पिछड़ा वर्ग के हक में खामोश नहीं रहेगा।

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