सिंघाड़ा खाओ और सिंघम सी दहाड़ लगाओ…
सिंघाड़ा / सिंघाड़े का नाम तो सभी ने सुना होगा। आजकल तो यह फल की तरह कम और आटे की तरह ज्यादा खाया जा रहा है। खैर ये तो हुयी मजाक की बात, सिंघाड़ा है ही इतने कमाल की चीज की इसे #फलों की तरह, #ड्राईफ्रूट की तरह, पकवान की तरह और #फलाहार के तरह सभी रूपों में पसंद किया जाता है। नाश्ते में मेरी एक मुहबोली दीदी के घर सिंघाड़े परोसे गये तो थोड़ा आश्चर्य हुआ लेकिन जब इसे टेस्ट किया तो मजा आ गया।
सिंघाड़े की खेती तालाबों में की जाती है, और इस समय गांव के हाट बाज़ारो में फ़ास्ट फ़ूड की तरह सिंघाड़े बहुत अधिक मात्रा में बेचे जाते है। सिंघाड़े के फलों कांटेदार छिलके (केलिक्स) बहुत आकर्षक दिखाई देते हैं, जिसे हटाने पर स्वादिष्ट फल खाने के लिए मिलता है। इसके फलों को उबालकर खाया जाता है। बाजार में। सामान्यतः उबले और कटे हुए फल ही बेचे जाते हैं। बचपन में मेरे घर पर सभी लोग बाजार के थैले में सिंघाड़े ढूंढा करते थे और गिनती के आधार पर, माफ़ कीजियेगा साइज़ के भी विशेष मायने थे, तो गिनती और साइज के आधार ओर बराबर बराबर बाँट लिया करते थे। आज भी #सिंघाड़ा खाने से में अपने आप को रोक नहीं पाताहूँ। इसके लप्सी, हलुआ, पूरी, दलिया जैसे कई व्यंजन बनाये जाते हैं। और नाम आप भी जोड़िए देखते हैं कि कितना जुड़े हैं आप जड़ों से, टटोलिये जल्दी, मेरी तो मैं तलाश रहा हूँ।
सिंघाड़ा फ्राई विधि: फ्राइड सिंघाड़े बनाने के लिए सिंघाड़े के छिलके उतार लें, उंसके बाद इन्हें दो या चार टुकड़ों में काट लें। थोड़े तेल को कढ़ाई में लेकर जीरा, राई, मीठानीम, हरी मिर्च, लहसन,सौंफ, अजवाईन आदि के साथ फ्राई कर दें। अच्छी तरह भुन जाने पर इसमें सेंधानमक, पिसी हुई कालीमिर्च, धनियापावडर व थोड़ा चाट मसाला या जिरावन डाल दें। अब गर्मागर्म नाश्ते के लिए परोसें। अभी जितना मन करें खा लें, मौसमी चीजों को छोड़ना ठीक नही..
इसका सेवन शरीर को शक्ति प्रदान करता है और साथ ही शरीर में खून की कमी नहीं होने देता है। गर्भवती महिलाओं के लिए भी इसका सेवन बहुत लाभदायक है। सिंघाड़ा हमारे सम्पूर्ण सेहत के लिए बहुत अच्छा होता है क्योंकि इसमे मौजूद पोषक तत्व विटामिन ए, सिट्रिक एसिड, फॉस्फोरस, प्रोटीन, निकोटिनिक एसिड, विटामिन सी, मैंगनीज, थायमिन, कार्बोहाइड्रेट, डाइटरी फाइबर, कैल्शियम, जिंक, आयरन, पोटेशियम, सोडियम, आयोडीन, मैग्नीशियम हमारे शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। में तो जब मौका मिले खा लेता हूँ। छिंदवाड़ा जिले में यह अच्छी खासी मात्रा में साप्ताहिक बाजारों में बिकने आते हैं। दीवाली और ग्यारस (एकादशी) पूजा में सिंघाड़े का खास महत्त्व है। मड़ई मेलो में भी खूब सिंघाडा बिकने के लिये आता है। उम्मीद है, आपने भी सिंघाड़ा जरूर खाया होगा।
लेखक-डॉ. विकास शर्मा