सहकारी क्षेत्र आधारित नया आर्थिक माडल समय की मांग और जरुरत

 

 

सहकारी क्षेत्र पर आधरित आर्थिक मॉडल की मुख्य चुनौतियां ग्रामीण इलाकों में कार्य कर रही जिला केंद्रीय सहकारी बैकों की शाखाओं के सामने हैं।

इन बैंकों द्वारा ऋण प्रदान करने की योजना में समय के साथ परिवर्तन नहीं किया गया, जबकि अब ग्रामीण क्षेत्रों में आय का स्वरूप बदल गया है।

ग्रामीण इलाकों में अब केवल 35 प्रतिशत आय कृषि आधारित कार्य से होती है, शेष 65 प्रतिशत आय गैर कृषि आधारित कार्यों से होती है।

अतः ग्रामीण इलाकों में कार्य कर रहे इन बैकों को अब नए व्यवसाय मॉडल खड़े करने होंगे।

*सहकारिता में इन क्षेत्रों में असीम संभावनाएं:*

1. भारत विश्व में सबसे अधिक दूध उत्पादन और पशुपालन करने वाले देशों में शामिल हो गया है।

पर देश के सभी भागों में डेयरी उद्योग को बढ़ावा दिए जाने की जरूरत है।

केवल दुग्ध सहकारी समितियां स्थापित करने से इस क्षेत्र की समस्याओं का हल नहीं होगा।

2. पशुधन और पशुपालन क्षेत्र जिसमें केन्द्र सरकार की अगले 5 सालों में 58000 करोड़ रुपये के निवेश लाने की योजना है.

3. किसानों की आय दोगुना करने के लिए सहकारी क्षेत्र में खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां गठित करनी होगी।

4. शहरी क्षेत्रों में गृह निर्माण सहकारी समितियों का गठन किया जाना भी जरूरी है, क्योंकि वहां मकान के अभाव में बड़ी आबादी झुग्गी-झोपड़ियों में रहने को विवश है।

5. आवश्यक वस्तुओं को उचित दामों पर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से उपभोक्ता सहकारी समितियों का भी अभाव है। जबकि पहले इस तरह के संस्थानों ने अच्छा काम किया था।

6. आयुष्मान सहकार योजना के अन्तर्गत ग्रामीण इलाकों में प्राथमिक चिकित्सा केंद्र और अस्पतालों का निर्माण संभावनाओं से भरा है.

7. सहकारी साख समितियों का गठन जो वित्तीय व्यवस्था और जरूरतों पर ध्यान दे सकें ताकि एक मजबूत आर्थिक माडल तैयार किया जा सकें.

ईज ऑफ डुइंग बिजनेस को सहकारी संस्थानों पर भी लागू किया जाना चाहिए।

इन संस्थानों को पूंजी की कमी न हो, इस दिशा में भी प्रयास होने चाहिए।

ऐसी व्यवस्था की जानी चाहिए, जिससे सहकारी क्षेत्र के संस्थान भी पूंजी बाजार से पूंजी जुटा सकें।

विभिन्न राज्यों के सहकारी क्षेत्र में लागू किए गए कानून बहुत पुराने हैं।

इन कानूनों में परिवर्तन करने का समय आ गया है।

*इस क्षेत्र में पेशेवर लोगों की भी कमी है, पर नए मंत्रालय के गठन के बाद आशा की जानी चाहिए कि सहकारी क्षेत्र में भी पेशेवर लोग आकर्षित होने लगेंगे और अमूल जैसे अन्य क्षेत्रों में भी सहकारी समितियों द्वारा सफलता की कहानियां लिखी जाएंगी।*

*आर्थिक सलाहकार: सीए, अनिल अग्रवाल ,जबलपुर

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