सूक्ष्म, लघु व मध्यम स्तर के उद्योगों (एमएसएमई) को बिना कुछ गिरवी रखे आसान शर्तों पर ऋण मुहैया कराने वाली मुद्रा योजना के तहत आठ वर्ष में 40 करोड़ से ज्यादा लाभार्थियों को 23.2 लाख करोड़ रुपये का ऋण दिया गया है।
इसके लाभार्थियों में 51 आदिवासी, दलित और पिछड़े वर्ग के लोग हैं। 68 फीसदी ऋण खाते महिलाओं के नाम खुले हैं। एमएसएमई के जरिये अर्थव्यवस्था को मजबूती देने और जमीनी स्तर पर रोजगार के अवसर पैदा करने के मकसद से शुरू की गई इस ऋण योजना से प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से 1.12 करोड़ लोगों को रोजगार मिला है।
आठ करोड़ लोग पहली पीढ़ी के उद्यमी
योजना के कुल लाभार्थियों में से आठ करोड़ (21 फीसदी) पहली पीढ़ी के उद्यमी हैं। ये वे लोग हैं, जिनकी कारोबारी या व्यावसायिक पृष्ठभूमि नहीं रही है। इस योजना में शिशु ऋणों के त्वरित पुनर्भुगतान पर ब्याज में दो फीसदी की छूट भी मिलती है।
तीन तरह के ऋण
योजना के तहत व्यवसाय की परिपक्वता स्थिति के आधार पर शिशु, किशोर व तरुण श्रेणियों में ऋण दिया जाता है। शिशु श्रेणी में 50,000 रुपये, किशोर श्रेणी में 5 लाख रुपये तक और तरुण श्रेणी में 10 लाख रुपये तक के ऋण दिए जाते हैं।
इन गतिविधियों को मिलता है ऋण
कृषि से संबद्ध गतिविधियों जैसे- पोल्ट्री, डेयरी, मधुमक्खी पालन। इसके अलावा विनिर्माण, व्यापार और सेवा क्षेत्रों की गतिविधियों के लिए इस योजना के तहत ऋण दिया जाता है।
भारतीयों का जीवन समृद्ध करने में निभाई भूमिका
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को योजना को भारतीयों के लिए अपना उद्यमिता कौशल दिखाने का जरिया बाताते हुए कहा, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना ने अनफंडेड की फंडिंग कर अनगिनत भारतीयों के लिए सम्मान के साथ-साथ समृद्धि का जीवन सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाई है। आज, मुद्रा योजना के आठ वर्ष पूरे होने पर उन सभी लोगों की उद्यमशीलता और उत्साह को सलाम है, जो इससे लाभान्वित हुए और धन सृजक बने।
मेक इन इंडिया में दिया व्यापक योगदान
केंद्रीय वित्त और कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, प्रधानमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व में शुरू की गई इस योजना से एमएसएमई के विकास ने मेक इन इंडिया में व्यापक योगदान दिया है, क्योंकि मजबूत घरेलू एमएसएमई की बदौलत घरेलू बाजारों के साथ-साथ निर्यात भी काफी अधिक बढ़ गया है। भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने और रोजगार सृजन के लिहाज से यह गेम चेंजर साबित हुई। वित्त मंत्रालय के मुताबिक योजना का लक्ष्य हासिल कर लिया गया है।
छोटे कारोबारियों को साहूकारों के चंगुल से बचाना मकसद
वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड ने कहा, पीएमएमवाई का उद्देश्य एमएसएमई को औपचारिक अर्थव्यवस्था का हिस्सा बनाना और छोटे कारोबारियों को साहूकारों के चंगुल से बाहर निकालना है। उन्होंने बताया कि योजना के तीन प्रमुख आधार हैं। पहला, बैंकिंग सेवाओं से वंचितों को बैंकिंग सुविधाएं मुहैया कराना। दूसरा, असुरक्षित को सुरक्षित करना और तीसरा वित्त से वंचितों का वित्त पोषण करना।