सरकार के सारे दावे हवा-हवाई, जमीन पर कुछ नहीं : कमलनाथ

 

 

सरकार ने गेहूं खरीदी की तारीख जरूर बढ़ायी लेकिन खरीदी केन्द्र कम कर दिये, आज भी कई केंद्रो पर खरीदी बंद, किसान हो रहा परेशान
भोपाल, 4 जून 2020,

प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने आज जारी अपने एक बयान में प्रदेश की शिवराज सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार की लापरवाही से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदा गया, खुले आसमान के नीचे पड़ा लाखों मिट्रीक टन गेहूं भीग गया है, खराब हो गया है, जिससे करोड़ों का नुकसान हुआ है, बड़ी बर्बादी हुई है। देश भर में निसर्ग तूफान की चेतावनी व प्रदेश के कई हिस्सों में भारी बारिश की चेतावनी को भी सरकार ने नजरअंदाज किया, जिससे यह नुकसान हुआ है, इसकी जिम्मेदार सरकार है।
नाथ ने बताया कि मध्य प्रदेश में इस वर्ष गेहूं की बंपर पैदावार हुई है। कोरोना महामारी के लाॅकडाउन के कारण न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी इस बार 15 अप्रैल को देरी से प्रारंभ हुई।सरकार ने खरीदी को लेकर शुरू दिन से बड़े-बड़े दावे किए, बड़े-बड़े आंकड़े जारी किए लेकिन वास्तविकता इसके विपरीत होकर सभी के सामने हैं। इस बार किसान अपनी उपज बेचने के लिए सबसे ज्यादा परेशान हुआ है। कई खरीदी केंद्रों पर बारदानो की कमी रही ,तुलाई की व्यवस्था नहीं रही, भंडारण की व्यवस्था नहीं रही, इससे समय पर खरीदी नहीं हो पाई। किसानो को मेसेज देकर बुला लिया गया और उनकी खरीदी कई-कई दिन तक नहीं की गयी, जिससे किसानों को कई-कई दिन तक कई किलोमीटर लंबी लाइनों में इस भीषण गर्मी व लू में लगना पड़ा। खरीदी की अव्यवस्थाओं से व भीषण गर्मी में लंबी लाइनों में लगने से होने वाले तनाव व अव्यवस्थाओं से 4 किसानों की मौत प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में हुई। जिसमें आगर मालवा में किसान प्रेम सिंह की ,देवास में किसान जयराम मंडलोई की, अशोकनगर में किसान रामसिंह की व बैतूल में एक किसान श्रीनिवास की मौत हुई।
नाथ ने बताया कि देरी से 15 अप्रैल से प्रारंभ खरीदी 31 मई तक चली।इस अवधि में भी हजारों किसानों की उपज की खरीदी नहीं हो पाई। हमने सरकार से मांग की थी कि आज भी हजारों किसान ट्रैक्टर-ट्राली में अपना गेहूं लेकर खरीदी केंद्रों के बाहर लाइन लगाकर खड़े है। खरीदी की तारीख को आगे बढ़ाया जावे। सरकार ने इंदौर ,भोपाल देवास, उज्जैन और शाजापुर के जिलों सहित कुल 350 केंद्रो के लिए खरीदी की तारीख 5 जून तक बढ़ायी लेकिन सरकार ने तारीख तो आगे बढ़ा दी, लेकिन खरीदी केंद्र कम कर दिए, जिससे किसानो को और अधिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। आज भी किसान इन खरीदी केंद्रों पर लंबी-लंबी लाइन लगाकर खड़ा है। तारीख भले आगे बढ़ा दी गई है लेकिन कई खरीदी केंद्रों पर आज भी खरीदी बंद पड़ी है। कहीं बारदानो की कमी, कई भंडारण का अभाव, कहीं परिवहन व्यवस्था नहीं होने से, कहीं तुलाई की व्यवस्था नहीं होने से, कही सूचना का अभाव होने से खरीदी बंद पड़ी है।

बड़ा ही आश्चर्यजनक है कि हम सरकार से निरंतर मांग कर रहे थे कि किसानों से खरीदा गया लाखों मैट्रिक टन गेहूं व चना खुले आसमान के नीचे पड़ा हुआ है। बारिश की संभावना को देखते हुए यह भीग सकता है, खराब हो सकता है। जिससे करोड़ों रुपए की बर्बादी होगी। देश में निसर्ग तूफान की चेतावनी और उसके कारण मध्य प्रदेश के कई जिलों में भारी बारिश की चेतावनी के बावजूद इस लाखों मैट्रिक टन गेहूं के परिवहन व भंडारण की सरकार ने कोई व्यवस्था नहीं। इन्हें सुरक्षित गोदामों व वेयर हाउस तक नहीं पहुँचाया। प्रदेश के कई जिलो में पिछले 2 दिन से जारी बारिश से खुले में पड़ा यह लाखों मीट्रिक टन गेहूं व चना भीग गया, खराब हो गया।जिससे करोड़ों रुपए की बर्बादी हुई, इसकी जवाबदार सरकार है। जिसने समय पर मिली तमाम चेतावनियों को भी नजरअंदाज किया, जमकर लापरवाही बरती। सरकार के जिम्मेदार सिर्फ कमरों में बैठकर खरीदी के ,परिवहन के व भंडारण के बड़े-बड़े आंकड़े जारी करते रहे।जमीनी स्तर पर गेहूं व चने को खुले आसमान के नीचे से उठाने की व परिवहन की कोई व्यवस्था नहीं की गई।
आज भी किसान बड़ी संख्या में खरीदी केंद्रों के बाहर लाइन लगाकर खड़ा है।बारिश की संभावना से उसका गेहूं भीगने की आशंका है।गेहूं भीगने पर उसके गेहूँ की खरीददारी नहीं होगी, इसका जवाबदार कौन है? हम सरकार से माँग करते है कि जब तक सभी किसानो का पूरा गेहूँ नहीं खरीद लिया जाता, तब तक खरीदी चालू रहे। खरीदी केंद्रो पर जो खरीदी बंद पड़ी है, उसे चालू किया जावे, खरीदी केंद्रो पर बारदानो की कमी दूर की जावे, अव्यवस्थाओं को दूर किया जावे।बारिश में भीगा किसान का गेहूं भी खरीदा जावे।
खरीदे गये गेहूँ व चने का शीघ्र परिवहन कर उसका सुरक्षित भंडारण किया जावे।गेहूँ-चने के भीगने से व खराब होने से हुई करोड़ों की बर्बादी की जिम्मेदारी तय हो। जिन किसानो की खरीदी केंद्रों पर उपज बेचने के दौरान अभी तक मौत हुई है, उनके परिवार को एक-एक करोड़ का मुआवजा दिया जावे।

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