सरकार के कामकाज में दखल पर क्या बोले CJI चंद्रचूड़?

Supreme Court News: चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़  ने कहा कि भले ही जनता जजों का चुनाव नहीं करती है, लेकिन उनकी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है. क्योंकि न्यायपालिका एक प्रगतिशील समाज के निर्माण में बहुत अहम रोल निभाती है.

जस्टिस चंद्रचूड़, वॉशिंगटन के जॉर्ज टाउन यूनिवर्सिटी लॉ सेंटर (Georgetown University Law Center) और दिल्ली स्थित सोसायटी फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे.

हर 5 साल में वोट भले न मांगते हों…
कार्यपालिका के कामकाज में न्यायपालिका के दखल से जुड़ी बहस का जवाब देते हुए मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि भले ही जजों का चुनाव नहीं होता हो, लेकिन उनकी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है. हम हर 5 साल में जनता के बीच वोट मांगने नहीं जाते हैं, लेकिन इसकी भी एक वजह है… मेरा मानना है कि न्यायपालिका हमारी सोसायटी के डेवलपमेंट में एक स्थाई प्रभाव डालती है. खासकर ऐसे वक्त में जब टेक्नोलॉजी तेजी से चेंज हो रही है.

हम दखल नहीं देते…
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि लोग सिर्फ किसी फैसले के लिए अदालत का रुख नहीं करते हैं, इस चीज को हमेशा आप को समझा होगा. तमाम लोग संवैधानिक बदलाव के लिए भी न्यायालय का दरवाजा खटखटाते हैं. चीफ जस्टिस ने कहा कि न्यायालयों के लिए यह महत्वपूर्ण है… अदालतें भीं सरकार की तमाम संस्थाओं में से एक हैं. हां सबके बीच अपनी शक्तियों का बंटवारा है. हम ना तो विधायिका के कामकाज में दखल देते हैं और न तो कार्यपालिका के कामकाज में.

और क्या-क्या कहा?
इसी कार्यक्रम में चीफ जस्टिस ने उच्चतम न्यायालय में बहुपक्षीयता के मुद्दे पर भी बात की. उन्होंने कि संवाद और विचार-विमर्श के लिए संविधान एवं न्यायिक मंचों का उपयोग करने की न्यायाधीशों की क्षमता एक स्थिर समाज की कुंजी है, क्योंकि दुनिया भर के कई समाजों में, कानून के शासन ने हिंसा के शासन का स्थान लिया है. सीजेआई ने आगे कहा- ‘बहुत सारे मामलों में हम निर्णय लेते हैं, जिनमें हालिया समलैंगिक विवाह का मामला भी शामिल है. मेरा मानना है कि परिणाम महत्वपूर्ण हैं, लेकिन प्रक्रिया भी परिणाम जितनी ही महत्वपूर्ण है’.

सीजेआई ने राज्य द्वारा सकारात्मक कार्रवाई के सिद्धांत पर भी चर्चा की और कहा कि इसका उद्देश्य व्यापक समानता हासिल करना है और यह समानता के अधिकार के खिलाफ नहीं है

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