सरकार और आयकर विभाग रूपी गुरु को आयकर दाताओं रूपी शिष्यों का कोटि कोटि नमन

 

 

जीवन में संघर्ष के बाद ही निखार आता है और सोना जितना तपता है, उतना ही चमकता है.

मोदी सरकार देश को सोने की चिड़िया बनाना चाहती है और जब देश के लोग थपेड़ों को सहन कर सोना बन जाऐंगे, तो देश अपने आप विश्व गुरु और सोने की चिड़िया बन जाएगा.

हमारी भलाई के लिए सरकार रूपी गुरु ने हमें विभिन्न परीक्षा से गुजारा जैसे नोटबंदी, जीएसटी, लाकडाउन, कड़े कानून, आदि जिसमें देश की जनता रूपी शिष्यों ने पास होकर दिखाया.

कई परिक्षाएं का सामना अभी हम कर रहे हैं- जैसे मंहगाई, बेरोजगारी, शिक्षा, स्वास्थ्य और व्यापार के क्षेत्र में संघर्ष, पेट्रोल डीजल गैस के आसमान छूते दाम, आदि.

और हाँ अभी हाल में ही आया नया इनकम टैक्स पोर्टल और नए टीडीएस के प्रावधान जिसने देश के 7 करोड़ हितधारकों को संघर्षशील बना दिया है कि थपेड़ों का सामना कर अपने आप को निखारें.

नए आयकर पोर्टल को शुरू हुए डेढ़ माह हो गए हैं, लेकिन अभी तक इसकी तकनीकी कमियों को दूर नहीं किया जा सका है।

वित्त मंत्री ने भी एक माह पहले इस पोर्टल के कामकाज की समीक्षा की थी।

इस पोर्टल पर कई चीजें मसलन ई-प्रॉसेसिंग और डिजिटल हस्ताक्षर प्रमाणपत्र ने अभी तक काम करना शुरू नहीं किया है।

इसके अलावा कुछ विदेशी कंपनियों को भी पोर्टल पर लॉगिंग करने में समस्या आ रही है।

काफी जोरशोर से नए नए आयकर पोर्टल डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू.इनकमटैक्स.जीओवी.इन की शुरुआत सात जून को की गई थी।

शुरुआत से ही पोर्टल पर तकनीकी दिक्कतें आ रही है। इसी के चलते वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 22 जून को इन्फोसिस के अधिकारियों के साथ बैठक की थी।

इन्फोसिस ने ही इस नई वेबसाइट को तैयार किया है। इन्फोसिस को 2019 में अगली पीढ़ी की आयकर दाखिल करने की प्रणाली विकसित करने का ठेका दिया गया था। इसके पीछे उद्देश्य रिटर्न के जांच के समय को 63 दिन से घटाकर एक दिन करना और रिफंड की प्रक्रिया को तेज करना था।

इस बैठक के एक माह और पोर्टल की शुरुआत के डेढ़ महीने के बाद भी प्रयोगकर्ताओं को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

वे पिछले वर्षों का आयकर रिटर्न दाखिल नहीं कर पा रहे हैं।

आकलन वर्ष 2019-20 और उससे पहले के वर्षों के लिए इंटिमेशन नोटिस डाउनलोड नहीं कर पा रहे हैं।

साथ ही विवाद से विश्वास योजना के तहत फॉर्म-3 पोर्टल पर दिख नहीं रहा है।

आईटी पोर्टल में गड़बड़ियों के बारे में पूछे जाने पर न ही इन्फोसिस और न ही वित्त मंत्रालय कोई जवाब दे रहा है.

ई-प्रक्रियाओं से संबंधित टैब पूरी तरह काम नहीं कर रहा। ऑनलाइन सुधार विकल्प उपलब्ध नहीं है।

5, 6, 7 में आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए जेएसओएन सुविधा उपलब्ध नहीं है।

पिछली वेबसाइट की तरह इस पोर्टल में विवाद से विश्वास के बारे में व्यापक जानकारी देने के लिए कोई टैब नहीं है। साथ ही लंबित कार्रवाई टैब के बारे में भी कोई जानकारी नहीं है।

रेमिटेंस से संबंधित फॉर्म 15सीए/सीबी यूटिलिटी उपलब्ध नहीं है। हालांकि, इसे भौतिक रूप से भरने की अनुमति है, लेकिन यह काफी समय लेने वाली प्रक्रिया है।

हितधारक पिछले 14 सालों से पुराने पोर्टल पर अभ्यास करते करते सहज एवं सरल हो गए थे.

लेकिन गुरु ही समझता है कि सरलता से काम नहीं चलेगा, यदि लोगों में सोने सा निखार लाना है और देश को 5 ट्रिलियन डालर अर्थव्यवस्था बनानी है तो थपेड़े तो देने पड़ेंगे और इसलिए नये आयकर पोर्टल का लाना आयकर दाताओं और हितधारकों की संघर्ष क्षमता बढ़ाने का प्रयास है.

*साफ है हमारे गुरु की मंशा हम जनता रूपी शिष्यों में निखार लाना है और इसलिए विभिन्न थपेड़ों को हम अपनी परीक्षा समझ उत्तीर्ण करें, इसी में हम सबकी और देश की भलाई है.

*लेखक एवं विचारक: सीए अनिल अग्रवाल जबलपुर

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