कोई भी नगर निगम, नगर पालिका या फिर नगर परिषद उस शहर की सरकार होती है और और महापौर व अध्यक्ष उसके मुख्यमंत्री का रुतबा रखते हैं जबकि आयुक्त या फिर मुख्य नगर पालिका अधिकारी नगर सरकार के मुख्य सचिव होते हैं! आजकल मुरैना नगर पालिक निगम सरकार के मुख्य सचिव महापौर के हर उस नेक काम अथवा ऊनके द्वारा घोषित शहर को विकासमय बनाने के काम में जी भर कर पलीता लगा रहे हैं! इसमें उनकी अनुभवहीनता और अपने आका को खुश करने की कबायद झलक रही है! नहीं तो क्या कारण है कि उनके द्वारा वर्षों से निगम में जल,नल का कार्य देख रहे अनुभवी विभाग के प्रमुख को विभाग से हटाकर शमसान सहायक प्रभारी बना दिया गया? मतलब अगर इसको सरल तरीके से समझा जाये तो हजरत ने एक विभाग प्रमुख को सजा के तौर पर आई जी से सीधे सिपाही जी बना दिया! एक तरफ जहां कल तक उसके अन्तगर्त कई सहायक नियुक्त थे वही अब वे मुक्तिधाम बड़ोखर शमसान में आने वाले मुर्दों का हिसाब रखेंगेऔर सहायक प्रभारी के तौर पर केवल पर्ची काटने का काम करेंगे! इतनी बड़ी सजा विभाग प्रमुख को महज इसलिये दी गयी कि वे महापौर की बैहिसाब परिक्रमा कर रहे थे!उस व्यक्ति का उपयोग उसके बैसुमार अनुभव के आधार पर अन्यंत्र कही और लिया जा सकता था?यह चिंताजनक स्थिति जनता से सीधे जुड़े अन्य व जरुरी के विभागों में भी विधमान है!
अपनी विवादग्रस्त कार्यशैली को लेकर काफी कम समय में ही आयुक्त हीरो की कतार से विलेन की श्रेणी में आ खड़े हुये हैं! श्रीमान आयुक्त से वार्ड क्रमांक 23 के लोगों द्वारा ये पूछा जाना लाजिमी है कि” आखिर हमने ऐसा क्या गुनाह किया? कि मर रहे हैं हम”!दरअसल एम एस रोड से गोपीनाथ की पुलिया तक आने-जाने वाली सड़क स्व. श्रीजाहर सिंह शर्मा मार्ग के डिवाइडर के दोंनो तरफ जान लेबा बनी हुई थी हालात इतने भयानक थे कि गड्डों में तब्दील हुई सड़क के दोंनो तरफ कार,बाइक व पैदल चलने पर भी धूल का गुबार दिन भर उड़ता था जिससे यहां रहने वाले सैकड़ों लोग सांस व दमा के मरीज बन गये! चूंकि यह डिवाइडर वार्ड क्रमांक 18 व 23 की सीमा रेखा भी है और यह सड़क चुनाव पूर्व महापौर के चुनावी ऐजेंडे में शुमार थी!बहरहाल करीब तीन महिने पूर्व डिवाइडर के बांई और वार्ड क्रमांक 18 की तरफ की रोड एक रात में एम एस रोड से लेकर गोपीनाथ की पुलिया से होकर श्री दिगम्बर जैन बड़ा मंदिर तक बनकर तैयार हो गयी जबकि गोपीनाथ की पुलिया से डिवाइडर के दायीं और वार्ड क्रमांक 23 से आने वाले सड़क आज भी उसी मरणासन्न अवस्था में पड़ी हुई हैं जहां से दुर्भाग्य से किसी गर्भवती महिला को प्रसव हेतु जिला अस्पताल ले जाया गया तो इतने दचके व धक्के लगेंगे कि प्रसव उक्त सड़क पर ही हो जायेगा?आयुक्त से पूछा जाना लाजिमी है कि आखिर उनकी नजरें दांयी और की उबड़-खाबड़ सड़क पर इनायत क्योंकर नहीं हुई? जबकि उक्त वार्ड की सम्मानित पार्षद शहर की सरकार में महापौर परिषद की सदस्य होकर औहदा प्राप्त मंत्री हैं!इतना ही नहीं सीवर लाइन के नाम पर चला सड़क तोड़ो अभियान से आज दो साल बाद भी पूरा वार्ड हलकान है और सड़कें गड्डों में तब्दील होकर रोज दुर्घटना का कारण बन रही हैं!जबकि निगम में सबसे ज्यादा राजस्व उक्त वार्ड से ही कार्यालय में समय पर जमा होता है!
गोपाल गुप्ता ( पत्रकार)