सत्यपाल मलिक के आरोपों पर प्रधानमंत्री मोदी को चुप्पी तोड़नी चाहिए

सत्यपाल मलिक के आरोपों पर प्रधानमंत्री मोदी को चुप्पी
तोड़नी चाहिए:

कांग्रेस ने मांग करते हुए पुलवामा हमले के
वख्त जिमकार्बेट में शूटिंग में व्यस्त होने पर भी सवाल उठाए
-द वायर स्टाफ

नई दिल्ली: कांग्रेस ने बीते शनिवार 2019 के पुलवामा आतंकवादी हमले को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा, जिसमें 40 जवान शहीद हो गए थे.
एक दिन पहले ही जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने द वायर को दिए गए एक इंटरव्यू में कहा था कि अगर सरकार की लापरवाही और अक्षमता नहीं होती तो इस घटना को रोका जा सकता था.

कांग्रेस नेता जयराम रमेश, पवन खेड़ा और सुप्रिया श्रीनेत ने द वायर को दिए इंटरव्यू में मलिक द्वारा लगाए गए कई आरोपों पर प्रधानमंत्री से अपनी चुप्पी तोड़ने का आग्रह किया.

मलिक ने कहा कि तत्कालीन राजनाथ सिंह के अधीन केंद्रीय रक्षा मंत्रालय ने सीआरपीएफ जवानों को जम्मू से श्रीनगर ले जाने के लिए पांच विमानों की अनुमति देने से इनकार कर दिया था.

पूर्व राज्यपाल मलिक के कार्यकाल के दौरान ही जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया गया था.

इंटरव्यू में मलिक ने कहा कि जब उन्होंने पुलवामा में सैनिकों के नरसंहार को रोकने में सरकार की विफलता की ओर इशारा किया, तो उन्हें प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने इस मामले में न बोलने को कहा था, यहां तक कि पुलवामा हमले पर बोलने पर बहिष्कार करने की धमकी भी दी गई थी.

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि मोदी सरकार का सिद्धांत ‘न्यूनतम शासन, अधिकतम मौन’ है, जबकि पवन खेड़ा ने हाल ही में लोकसभा में प्रधानमंत्री के बयान ‘एक अकेला कितनो (विपक्ष) पर भारी पड़ रहा है’, में बदलाव करते हुए कहा कि पुलवामा हमले पर उनकी चुप्पी और सत्यपाल मलिक द्वारा लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों से साबित होता है कि ‘एक अकेला पूरे लोकतंत्र पे भारी पड़ रहा है’.

कांग्रेस नेताओं ने बारी-बारी से केंद्र सरकार की आलोचना की और प्रधानमंत्री से घातक पुलवामा हमले के बारे में भ्रम के बादल को जल्द से जल्द दूर करने का आग्रह किया, क्योंकि यह एक गंभीर राष्ट्रीय सुरक्षा मामला है.

खेड़ा ने कहा कि मलिक के आरोपों को खारिज नहीं किया जा सकता, क्योंकि वह भाजपा के एक वरिष्ठ नेता हैं, जिन्होंने महत्वपूर्ण कार्यालयों में काम किया और उनकी आलोचनात्मक टिप्पणियों के बावजूद उन्हें अभी तक भाजपा से निष्कासित नहीं किया गया है.

जयराम रमेश ने कहा, ‘उन्होंने (मलिक) चार राज्यों के राज्यपाल के रूप में कार्य किया. जब उन्होंने भाजपा शासित गोवा में व्यापक भ्रष्टाचार के खिलाफ बात की, तो उन्हें तुरंत राज्य से बाहर कर दिया गया और मेघालय के राज्यपाल के रूप में नियुक्त कर दिया गया.

खेड़ा ने कहा कि समाचार एंकरों और फिल्म निर्माताओं को सरकार द्वारा ‘एक्सवाईजेड’ सुरक्षा दी गई है, मलिक को केवल एक निजी सुरक्षा अधिकारी दिया गया है और वह दिल्ली में किराये के घर में रह रहे हैं, इस तथ्य के बावजूद कि वह खतरे में हो सकते हैं, क्योंकि उनके कार्यकाल के दौरान तत्कालीन जम्मू कश्मीर राज्य से अनुच्छेद 370 को हटाया गया था.

खेड़ा ने यह भी आरोप लगाया कि मलिक के दावों को मुख्यधारा के मीडिया द्वारा जान-बूझकर नजरअंदाज किया जा रहा है. ऐसा संभवत: मोदी सरकार के निर्देश पर हो रहा है, जो चाहती है कि इन ‘अपनी विफलता के गंभीर आरोपों’ को दबा दिया जाए.उन्होंने मीडिया से पुलवामा हमले से जुड़े कुछ सवालों को उजागर करने का आग्रह करते हुए कहा, ‘सच्चाई को जान-बूझकर छिपाया जा रहा है.’

सुप्रिया श्रीनेत ने याद दिलाया कि 14 फरवरी, 2019 की दोपहर को पुलवामा नरसंहार की जानकारी होने के बाद प्रियंका गांधी और राहुल गांधी ने अपने कार्यक्रमों को रद्द कर दिया था, वहीं मोदी जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में एक डॉक्यूमेंट्री की शूटिंग पूरी करने में व्यस्त थे और अमित शाह ने भी पहले से निर्धारित एक राजनीतिक रैली को संबोधित किया था.

केंद्र सरकार से पुलवामा मुद्दे पर सफाई देने को कहा.
उन्होंने कहा, ‘सीआरपीएफ के काफिले की ओर जाने वाली मुख्य सड़कों को खाली क्यों नहीं रखा गया था? 300 किलो आरडीएक्स ले जा रहे आतंकी किसी की नजर में क्यों नहीं आए? तत्कालीन राज्यपाल सत्यपाल मलिक द्वारा अनुरोध करने के बावजूद रक्षा मंत्रालय ने हमारे सैनिकों को ले जाने के लिए विमान देने से मना क्यों किया? हम इस तथ्य को भुला नहीं सकते कि सरकार की लापरवाही के कारण 40 जवान शहीद हो गए.’

द वायर के इंटरव्यू के दौरान मलिक द्वारा उठाए गए अन्य आरोपों पर बोलते हुए खेड़ा ने कहा कि उनका रहस्योद्घाटन कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिलना चाहिए या नहीं, प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा निर्धारित किया जाता है, चौंकाने वाला है और भारत के सर्वोच्च संवैधानिक कार्यालय की स्वतंत्रता पर अतिक्रमण करता है.खेड़ा ने कहा, ‘इस तरह के नियंत्रण के बारे में भारत में पहले कभी नहीं सुना गया.’

जयराम रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री सबसे अहम मुद्दों पर लगातार चुप रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री सीमा पर चीनी की आक्रामकता, पुलवामा हमले, अडानी समूह द्वारा वित्तीय धोखाधड़ी के आरोपों और अन्य भ्रष्टाचार और यहां तक कि काले धन के मुद्दे पर भी चुप हैं. यह उस चुप्पी को तोड़ने का समय है.’

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