सजा पर रोक से क्‍या संसद में हिस्‍सा लेंगे राहुल

सजा पर रोक से कांग्रेस और गठबंधन को मिली नई ताकत, क्‍या संसद में हिस्‍सा लेंगे राहुल

 

सजा  पर रोक से कांग्रेस  और इंडिया ( गठबंधन को नई ताकत मिली है। सजा पर रोक के बाद लोकसभा  की सदस्यता  बहाल होना, लगभग तय है। ऐसे में वह सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर बहस में हिस्सा ले सकते है।

आज नहीं तो कल सच्चाई की जीत होती है। मुझे अपना लक्ष्य पता है, मैं जानता हूं मुझे क्या करना है। मानहानि के मामले में दो साल की सजा पर रोक के बाद राहुल गांधी का यह बयान कांग्रेस और इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस (इंडिया) की भविष्य की रणनीति का साफ संकेत देता है। उन्होंने साफ कर दिया है कि वह संसद के बाहर रहें या संसद में, वह अपना निशाना और भूमिका नहीं बदलेंगे।

राहुल गांधी की सजा पर रोक से कांग्रेस और इंडिया गठबंधन को नई ताकत मिली है। सजा पर रोक के बाद लोकसभा की सदस्यता बहाल होना, लगभग तय है। ऐसे में वह सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर बहस में हिस्सा ले सकते हैं। संसद के अंदर राहुल गांधी उन्हीं मुद्दों को फिर से धार देंगे, जिनके जरिये वह सरकार को घेरते रहे हैं। इससे विपक्षी खेमा मजबूत होगा।

इंडिया गठबंधन पर भी इस फैसले का सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। क्योंकि, कांग्रेस जितनी मजबूत होगी गठबंधन उतना मजबूत होगा। इंडिया गठबंधन के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि राहुल गांधी की सदस्यता बहाली से कांग्रेस के साथ गठबंधन को भी ताकत मिलेगी। विपक्षी एकता मजबूत होगी और आक्रामकता भी बढ़ेगी। राहुल भाजपा के खिलाफ सबसे मजबूत आवाज है।

जेडीयू महासचिव केसी त्यागी कहते हैं कि राहुल गांधी गठबंधन में शामिल सबसे बड़ी पार्टी के सबसे बड़े नेता हैं। इंडिया के घटकदल पहले तय कर चुके हैं कि चुनाव में कोई चेहरा सामने नहीं लाया जाएगा। हम एकजुट होकर सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ेंगे। गठबंधन 272 का जादुई आंकड़ा हासिल करेगा, तब नेता के बारे में सोचेंगे। इस वक्त हमारा लक्ष्य भाजपा को हराना है।

यह बयान इसलिए अहम है, क्योंकि राहुल गांधी की सदस्यता बहाल होने के बाद यह अटकलें लगाई जा रही है कि इंडिया गठबंधन में नेतृत्व को लेकर झगड़ा बढ़ सकता है। कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि पार्टी पहले ही साफ कर चुकी है कि वह किसी पद की दौड़ में नहीं है। इसलिए इस तरह की अटकलें एकदम बेमानी है।

राहुल गांधी की सजा पर रोक से कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ा है। क्योंकि, विपक्षी खेमे में राहुल अकेले नेता हैं, जो विचारधारा के आधार पर भाजपा पर सीधा निशाना साध रहे हैं। पार्टी के एक नेता के मुताबिक, वर्ष 2024 का लोकसभा चुनाव भी दो पार्टियों या गठबंधन के बीच नहीं, बल्कि दो विचारधाराओं के बीच है। राहुल गांधी के मैदान में रहने से पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ेगा।

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