श्रावण मास महात्म्य 

 

शास्त्रों में श्रावण मास की विषय विस्तृत महिमा का प्रतिपादन किया गया है यह मास भगवान शिव को विशेष प्रिय है। इस मास में किया गया नियम पालन ,पूजन,व्रत आदि भगवान शिव की भक्ति व प्रीति प्रदान करने वाले हैं इस बार पुरुषोत्तम मास( अधिक मास )आने से इसकी महिमा और अधिक बढ़ गई है।

इस साल श्रावण मास 4 जुलाई से 31 अगस्त तक है (पुरुषोत्तम मास में भी श्रावण मास के सभी नियमों का पालन किया जाएगा l

शास्त्रों में भगवान शिव का स्पष्ट आदेश है कि बिना कुछ नियम के श्रावन मास किसी भी व्यक्ति को व्यतीत नहीं करना चाहिए l

स्कंद पुराण में वर्णित श्रावण मास में जो नियम दिए जा सकते हैं वह निम्नलिखित है आप उनमें से किसी भी एक दो या संपूर्ण नियमों को चयन करके पालन कर सकते हैं और शिव कृपा प्राप्त कर सकते हैं l

1) महीने भर प्रतिदिन रुद्राभिषेक का नियम

2) अपनी प्रिय खाद्य वस्तु का त्याग

*3) प्रतिदिन पार्थिव ( मट्टी की शिवलिंग निर्माण)शिवपूजन*

3) नित्य पंचामृत अभिषेक का नियम

4) मास पर्यंत ब्रह्मचर्य का पालन

5) मास पर्यंत भूमि शयन का नियम

6) मास पर्यंत पलाश के पत्ते पर भोजन

7) मास पर्यंत हरी सब्जियों का त्याग

8) प्रतिदिन शिव मंदिर दर्शन नियम

*9) प्रतिदिन पुरुष सूक्त का पाठ*

10) दुर्वा ,बिल्वपत्र और तुलसी पत्र से नित्य शिवार्चन

11) मास पर्यंत ब्रह्म मुहूर्त में स्नान का नियम

12) 1 महीने में 100 पाठ पुरुष सूक्त के करने का नियम

13) श्रावण में नक्त (एक समय भोजन)व्रत का नियम

( स्कंद पुराण में भगवान शिव का स्पष्ट आदेश है कि संन्यासियों को सूर्य के रहते ही भोजन कर लेना चाहिए और ग्रहस्थोको रात्रि में ही भोजन करना चाहिए तभी यह नक्त व्रत माना जाता है)

14) शिव महापुराण का मास पारायण

15) रामचरितमानस के मास पारायण का नियम

जिन नियमों के आगे * यह चिन्ह लगा हुआ है वह नियम श्रावन मास में अवश्य पालन करना चाहिए

इन 15 में नियमों में से 1 नियम तो प्रत्येक व्यक्ति को पालन करना चाहिए।साभार यश खंडेलवाल जी

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