शिकायकर्ता का SC-ST होने का मतलब ये नहीं कि उच्च जाति के व्यक्ति को अपराधी मान लिया जाए: सुप्रीम कोर्ट

*शिकायकर्ता का SC-ST होने का मतलब ये नहीं कि उच्च जाति के व्यक्ति को अपराधी मान लिया जाए: सुप्रीम कोर्ट*

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जाति के कारण SC/ST (अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति) समुदाय के व्यक्ति की जान-बूझकर प्रताड़ना नहीं हो तो SC/ST ऐक्ट लागू नहीं होगा. जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कहा अगर उच्च जाति के व्यक्ति ने SC/ST समुदाय के व्यक्ति को जान-बूझकर प्रताड़ित करने के लिए गाली दी हो तो उस पर SC/ST ऐक्ट के तहत कार्रवाई जरूर की जाएगी.
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि शिकायकर्ता के SC/ST (अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति) समुदाय से होने का मतलब यह नहीं कि उच्च जाति के व्यक्ति को अपराधी मान लिया जाए.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जाति के कारण SC/ST समुदाय के व्यक्ति की जान-बूझकर प्रताड़ना नहीं हो तो SC/ST ऐक्ट लागू नहीं होगा. जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कहा अगर उच्च जाति के व्यक्ति ने SC/ST समुदाय के व्यक्ति को जान-बूझकर प्रताड़ित करने के लिए गाली दी हो तो उस पर SC/ST ऐक्ट के तहत कार्रवाई जरूर की जाएगी.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उच्च जाति के व्यक्ति पर सिर्फ इसलिए केस नहीं दर्ज हो सकता क्योंकि उस पर SC/ST समुदाय के किसी सदस्य ने आरोप लगाया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर चारदीवारी के अंदर प्रताड़ित किया गया तो उच्च जाति के आरोपी पर SC/ST ऐक्ट नहीं लगाया जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला पुरुष और शिकायतकर्ता महिला के बीच उत्तराखंड में जमीन की लड़ाई के मामले में फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पुरुष पर घर की चारदीवारी के अंदर गाली-गलौज करने का आरोप है, न कि सार्वजनिक तौर पर. इसलिए उसके खिलाफ SC/ST ऐक्ट के तहत कार्रवाई करना उचित नहीं होगा.

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