मप्र में विधानसभा चुनाव के पहले ही मंडी के चुनाव होंगे। हाई कोर्ट के पूर्व निर्देश के पालन में राज्य शासन ने जवाब पेश कर साफ किया कि प्रदेश में मंडी चुनाव की प्रक्रिया दो सप्ताह में शुरू कर दी जाएगी। बुधवार को शासन द्वारा पेश किए गए इस जवाब के बाद मंडी चुनाव का बिगुल तैयार हो गया है। फिलहाल, मतदाता सूची का पुनरीक्षण कार्य शुरू कर दिया गया है।

राज्य शासन पर लग चुका है जुर्माना

मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने जवाब को अभिलेख पर लेते हुए मामले की अगली सुनवाई 23 अगस्त को निर्धारित की है। पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राज्य शासन पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया था।

लगाई गई थी जनहित याचिका

जनहित याचिकाकर्ता नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के संयोजक मनीष शर्मा सहित अन्य की ओर से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि मंडी अधिनियम की धारा-11 में मंडी समितियों के गठन का प्रविधान है। धारा-13 में मंडी समितियों का कार्यकाल पांच वर्ष निर्धारित किया गया है। धारा-59 में राज्य शासन को यह शक्ति दी गई है कि वह पांच वर्ष की अवधि पूरी होने के बाद एक वर्ष के लिए चुनाव आगे बढ़ा सकता है। किंतु किसी भी सूरत में यह अवधि दो वर्ष से अधिक नहीं हो सकती। इसके बावजूद मध्य प्रदेश में मनमानी की जा रही है। राज्य में मंडी समिति का कार्यकाल जनवरी-2018 में समाप्त हो चुका है। जिसके बाद कार्यकाल बढ़ाया गया। इसीलिए व्यापक जनहित में हाई कोर्ट चले आए।

 जनवरी 2019 को भंग हो गई थी समितियां

प्रदेश भर की मंडियों के चुनाव नहीं होने से इसका भार प्रशासनिक अधिकारियों के पास आ गया था। ज्ञात हो कि कार्यकाल पूरा हो जाने के बाद कृषि उपज मंडियों में बनी समितियां 6 जनवरी 2019 को भंग हो गई थीं। इसके बाद मंडियों का कार्यभार प्रशासनिक अधिकारियों के पास आ गया था। अब तक प्रशासनिक अधिकारियों की ही निगरानी में प्रदेश की मंडियों में देखरेख, कामकाज और मंडियों से जुड़े निर्णय लिए जा रहे हैं।

दो बार बढ़ाया गया था कार्यकाल

उल्लेखनीय है कि 2012 में प्रदेश की मंडियों में मंडी समिति के चुनाव हुए थे। जिसके बाद 2017 में चुनाव होने थे, लेकिन मंडी समिति का कार्यकाल दो बार छह-छह माह के लिए बढ़ा दिया गया था। कार्यकाल एक साल बढऩे के बाद वर्ष 2018 में मंडी चुनाव होने के कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन तय समय से अधिक समय बीतने के बाद भी चुनाव नहीं होने के कारण 6 जनवरी 2019 को मंडियों में बनी समितियां भंग हो गई थीं।