वित्त मंत्रालय ‘कराधान और अन्य कानून अध्यादेश, 2020’ जारी किया   

  • वित्त मंत्रालय ने आज ‘कराधान और अन्य कानून (विभिन्न प्रावधानों में राहत) अध्यादेश, 2020’ जारी किया

दिल्ली : 31 MAR 2020

‘कोविड-19’ के प्रकोप के मद्देनजर अनेक सेक्‍टरों में वैधानिक और नियामकीय अनुपालन के बारे में किए गए कई महत्वपूर्ण राहत उपायों के संबंध में   केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा की गई घोषणाओं,  जिनके लिए दिनांक 24 मार्च, 2020 की प्रेस विज्ञप्ति देखें, को प्रभावी करने के लिए सरकार ने 31 मार्च, 2020 को एक अध्यादेश जारी किया है। इसमें कराधान और बेनामी अधिनियमों के तहत विभिन्न समय सीमाएं बढ़ाने के प्रावधान किए गए हैं। इसमें उन नियमों या अधिसूचना में निहित समय सीमाएं भी बढ़ाने के प्रावधान किए गए हैं जो इन अधिनियमों के तहत निर्दिष्‍ट/जारी किए जाते हैं।

उल्लेखनीय है कि दुनिया के कई देशों में नोवल कोरोना वायरस (कोविड-19) के फैल जाने से बड़ी संख्‍या में लोगों की मौत हो गई है, जिसे ध्‍यान में रखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन एवं भारत सरकार सहित विभिन्न सरकारों ने इसे महामारी करार दिया है। इसको फैलने से रोकने के लिए ‘सामाजिक दूरी बनाए रखने’ को स्‍पष्‍ट रूप से सबसे अच्छा तरीका माना गया है, जिसे ध्‍यान में रखते हुए देश में पूर्ण लॉकडाउन की घोषणा की गई है। इस तरह की परिस्थितियों में अनुपालन संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने में करदाताओं को पेश आ रही दिक्‍कतों या चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री ने 24 मार्च, 2020 को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कोविड-19 के प्रकोप के मद्देनजर अनेक सेक्‍टरों में वैधानिक और नियामकीय अनुपालन के बारे में कई महत्वपूर्ण राहत उपायों की घोषणा की थी।

इनमें से कुछ महत्‍वपूर्ण राहत उपाय और इस अध्यादेश के जरिए बढ़ाई गई समय सीमाएं निम्‍नलिखित हैं:-
प्रत्यक्ष कर और बेनामी:

वित्‍त वर्ष 2018-19 (आकलन वर्ष 2019-20) के लिए मूल के साथ-साथ संशोधित आयकर रिटर्न भी दाखिल करने की अंतिम तिथि बढ़ाकर 30 जून, 2020 कर दी गई है।

आधार कार्ड और पैन को आपस में जोड़ने की अंतिम तिथि बढ़ाकर 30 जून, 2020 कर दी गई है।

आईटी अधिनियम के अध्याय-VIए-बी, जिसमें धारा 80सी (एलआईसी, पीपीएफ, एनएससी इत्‍यादि), 80डी (मेडिक्लेम), 80जी (दान), इत्‍यादि शामिल हैं, के तहत कटौती का दावा करने के लिए विभिन्न निवेश/भुगतान करने की तिथि बढ़ाकर 30 जून, 2020 कर दी गई है। अत: वित्त वर्ष 2019-20 के लिए इन धाराओं के तहत कटौती का दावा करने के लिए 30 जून 2020 तक निवेश/भुगतान किया जा सकता है।

आईटी अधिनियम की धारा 54 से 54जीबी तक के तहत पूंजीगत लाभ के संबंध में रोलओवर लाभ/कटौती का दावा करने के लिए निवेश/निर्माण/खरीद करने की तिथि भी 30 जून 2020 तक बढ़ा दी गई है। अत: 30 जून 2020 तक किए गए निवेश/निर्माण/खरीद वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान होने वाले पूंजीगत लाभ से कटौती का दावा करने के पात्र होंगे।

आईटी अधिनियम की धारा 10एए के तहत कटौती का दावा करने वाली एसईजेड इकाइयों (यूनिट) के लिए परिचालन शुरू करने की तिथि भी उन इकाइयों के लिए 30 जून 2020 तक बढ़ा दी गई है, जिन्हें 31 मार्च, 2020 तक आवश्यक अनुमोदन प्राप्त हो गया है।

विभिन्न प्रत्यक्ष करों और बेनामी कानून के तहत अधिकारियों द्वारा आदेश या नोटिस जारी करने की तिथि भी 30 जून, 2020 तक बढ़ा दी गई है।

यह प्रावधान किया गया है कि 9% का घटा हुआ ब्याज आयकर (जैसे अग्रिम कर, टीडीएस, टीसीएस), समकारी लेवी, प्रतिभूति लेन-देन कर (एसटीटी), कमोडिटी ट्रांजैक्शन टैक्स (सीटीटी) का भुगतान नहीं करने पर लिया जाएगा (जिनका भुगतान 20 मार्च 2020 से 29 जून 2020 तक किया जाना है), बशर्ते कि यह भुगतान 30 जून 2020 तक कर दिया जाएगा। इसके अलावा, इनका भुगतान न करने पर कोई जुर्माना नहीं लिया जाएगा/अभियोजन शुरू नहीं किया जाएगा।

‘विवाद से विश्वास योजना’ के तहत भी तिथि 30 जून 2020 तक बढ़ा दी गई है। अत: इस योजना के तहत घोषणा और भुगतान बगैर अतिरिक्त अदायगी के ही 30 जून 2020 तक किया जा सकता है।

अप्रत्यक्ष कर:

मार्च, अप्रैल और मई 2020 के लिए निर्दिष्‍ट केंद्रीय उत्पाद शुल्क रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि को बढ़ाकर 30 जून, 2020 कर दिया गया है।

केंद्रीय उत्पाद शुल्क अधिनियम, 1944 और इसके अंतर्गत बनाए गए नियमों के तहत जहां भी अपील दाखिल करने, रिफंड आवेदन करने, इत्‍यादि की अंतिम तिथि 20 मार्च 2020 से लेकर 29 जून 2020 तक है, उसे 30 जून 2020 तक बढ़ा दिया गया है।

सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 और उसके अंतर्गत बनाए गए नियमों के तहत जहां भी अपील दाखिल करने, रिफंड आवेदन करने, इत्‍यादि की अंतिम तिथि 20 मार्च 2020 से लेकर 29 जून 2020 तक है, उसे 30 जून 2020 तक बढ़ा दिया गया है।

जहां भी सेवा कर से संबंधित अपील, इत्‍यादि दाखिल करने की अंतिम तिथि 20 मार्च 2020 से लेकर 29 जून 2020 तक है, उसे 30 जून 2020 तक बढ़ा दिया गया है।

‘सबका विश्वास कानूनी विवाद समाधान

योजना 2019’ के तहत लाभ प्राप्त करने के लिए भुगतान करने की तिथि 30 जून 2020 तक बढ़ा दी गई है। अत: करदाताओं को अपने विवादों को हल करने के लिए अधिक समय दिया गया है।

उपर्युक्त कराधान और बेनामी अधिनियमों के तहत समय सीमा बढ़ाने के अलावा सीजीएसटी अधिनियम, 2017 में एक सक्षम धारा शामिल की गई है जिसके तहत बाह्य आपूर्ति का विवरण, रिफंड दावे दाखिल करने, अपील दायर करने, इत्‍यादि सहित विभिन्न अनुपालनों के लिए नियत तारीखों को बढ़ाने का अधिकार सरकार को दिया गया है, जैसा कि जीएसटी परिषद की सिफारिशों पर अधिनियम के तहत निर्दिष्ट, निर्धारित या अधिसूचित किया गया है।
पीएम केयर्स फंड

कोरोना वायरस के प्रकोप से प्रभावित लोगों को राहत प्रदान करने के लिए ‘आपात स्थितियों में प्रधानमंत्री नागरिक सहायता और राहत कोष (पीएम केयर्स फंड)’ के नाम से एक विशेष कोष बनाया गया है। अध्यादेश के तहत आयकर अधिनियम के प्रावधानों में भी संशोधन किया गया है, ताकि ‘पीएम केयर्स फंड’ के लिए भी ठीक वही कर राहत मिल सके जो ‘प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष’ के लिए उपलब्ध है। अत: पीएम केयर्स फंड में किया गया दान आईटी अधिनियम की धारा 80जी के तहत 100% कटौती का पात्र होगा।  इसके अलावा, सकल आय के 10% की कटौती की सीमा  भी पीएम केयर्स फंड में किए गए दान पर लागू नहीं होगी।

चूंकि आईटी अधिनियम की धारा 80जी के तहत कटौती का दावा करने की तिथि 30 जून 2020 तक बढ़ा दी गई है, इसलिए 30 जून 2020 तक किए जाने वाले दान भी वित्त वर्ष 2019-20 की आय से कटौती के पात्र होंगे। अत: नई व्‍यवस्‍था में वित्त वर्ष 2020-21 की आय पर रियायती कर अदा करने वाली कंपनियों सहित कोई भी व्यक्ति 30 जून 2020 तक पीएम केयर्स फंड में दान कर सकता है और वित्त वर्ष 2019-20 की आय पर धारा 80जी के तहत कटौती का दावा कर सकता है तथा इसके साथ ही वह वित्त वर्ष 2020-21 की आय के लिए रियायती कराधान व्‍यवस्‍था में कर का भुगतान करने की अपनी पात्रता भी नहीं गंवाएगा।

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