वात, पित्त, कफ के दोष तीनों को संतुलित करे इस आयुर्वेदिक उपाय से..
*शरीर 3 दोषों से भरा है।
वात ( GAS ) -लगभग 80 रोग
पित्त ( ACIDITY )- लगभग 40 रोग
कफ ( COUGH ) -लगभग 28 रोग
यहां सिर्फ त्रिदोषो के मुख्य लक्षण बताये जायेंगे और वह रोग घरेलू चिकित्सा से आसानी से ठीक होते है।
सभी परहेज विधिवत रहेंगे जैसे बताया जा रहा हैं।
जिस इंसान की बड़ी आंत में कचड़ा होता है बीमार भी केवल वही होता है।
एनीमा एक ऐसी पद्धति है जो बड़ी आंत को साफ करती है और किसी भी रोग को ठीक करती है
संसार के सभी रोगों का कारण इन तीन दोष के बिगड़ने से होता है।
वात ( GAS ) अर्थात वायु
–शरीर मे वायु जहां भी रुककर टकराती है, दर्द पैदा करती है, दर्द हो तो समझ लो वायु रुकी है
–पेट दर्द, कमर दर्द, सिर दर्द, घुटनो का दर्द ,सीने का दर्द आदि
–डकार आना भी वायू दोष है।
–चक्कर आना, घबराहट और हिचकी आना भी इसका लक्षण है।
*कारण:-
–गैस उत्तपन्न करने वाला भोजन जैसे कोई भी दाल आदि गैस और यूरिक एसिड बनाती ही है।
–यूरिक एसिड जहां भी रुकता है उन हड्डियों का तरल कम होता जाता है हड्डियां घिसना शुरू हो जाती है, उनमे आवाज आने लगती है, उसे डॉक्टर कहते है कि ग्रीस ख़त्म हो गई, या फिर स्लिप डिस्क या फिर स्पोंडलाइटिस, या फिर सर्वाइकल आदि
–प्रोटीन की आवश्यकता सिर्फ सेल्स की मरम्मत के लिए है जो अंकुरित अनाज और सूखे मेवे कर देते है।
–मैदा औऱ बिना चोकर का आटा खांना
–बेसन की वस्तुओं का सेवन करना
–दूध और इससे बनी वस्तुओं का सेवन करना
-आंतो की कमजोरी इसका कारण व्यायाम न करना
*निवारण :-
–अदरक का सेवन करें, यह वायु खत्म करता है, रक्त पतला करता है कफ भी बाहर निकालता है, सोंठ को लेकर रात में गुनगने पानी से आधा चम्मच खायेँ
–लहसुन किसी भी गैस को बाहर निकालता है,
यदि सीने में दर्द होने लगे तो तुरन्त 8-10 कली लहसुन खा ले, ब्लॉकेज में तुरंत आराम मिलता है
–लहसुन कफ के रोग और टीबी के रोग भी मारता है
–सर्दी में 2-2 कली सुबह शाम, और गर्मी में 1-1 कली सुबह शाम ले, और अकेला न खाये सब्जी या फिर जूस , चटनी आदि में कच्चा काटकर डालकर ही खायेँ
–मेथीदाना भी अदरक लहसुन की तरह ही कार्य करता है।
*प्राकृतिक उपचार:-*
गर्म ठंडे कपड़े से सिकाई करे, अब उस अंग को पहले छुएं यदि वो गर्म है तो ठंडे सिकाई करे और वह अंग अगर ठंडा है तो गर्म सिकाई करे औऱ अगर न गर्म है और न ठंडा तो गर्म ठंडी सिकाई करे एक मिनट गर्म एक मिनट ठंडा
*कफ ( COUGH ):
–मुंह नाक से आने वाला बलगम इसका मुख्य लक्षण है।
–सर्दी जुखाम खाँसी टीबी प्लूरिसी निमोनिया आदि इसके मुख्य लक्षण है
–सांस लेने में तकलीफ अस्थमा आदि या सीढी चढ़ने में हांफना
*कारण:-
–तेल एव चिकनाई वाली वस्तुओं का अधिक सेवन।
–दूध और इससे बना कोई भी पदार्थ
–ठंडा पानी औऱ फ्रिज की वस्तुये खाना।
–धूल, धुंए आदि में अधिक समय रहना।
–धूप का सेवन न करना।
*निवारण:-*
–विटामिन C का सेवन करे यह कफ का दुश्मन है यह संडास के रास्ते कफ निकालता है, जैसे आवंला
–लहसुन, यह पसीने के रूप में कफ को गलाकर निकालता है।
–Bp सामान्य हॉगा
–ब्लड सर्कुलेशन ठीक हॉगा
–नींद अच्छी आएगी
–अदरक भी सर्वश्रेष्ठ कफ नाशक है
*प्राकृतिक उपचार*
–एक गिलास गुनगने पानी में एक चम्मच नमक डालकर उससे गरारे करे
–गुनगने पानी मे पैर डालकर बैठे, 2 गिलास सादा पानी पिये और सिर पर ठंडा कपड़ा रखे, रोज 10 मिनट करे
–रोज 30-60 मिनट धूप ले।
*पित्त ( ACIDITY ) :- पेट के रोग*
–वात दोष और कफ दोष में जितने भी रोग है उनको हटाकर शेष सभी रोग पित्त के रोग है, BP, शुगर, मोटापा, अर्थराइटिस, आदि
–शरीर में कही भी जलन हो जैसे पेट में जलन, मूत्र त्याग करने के बाद जलन, मल त्याग करने में जलन, शरीर की त्वचा में कही भी जलन,
–खट्टी डकारें आना
–शरीर में भारीपन रहना
*कारण:
–गर्म मसाले, लाल मिर्च, नमक, चीनी, अचार
–चाय, काफी, सिगरेट, तम्बाकू, शराब,
–मांस ,मछली ,अंडा
–दिनभर में सदैव पका भोजन करना
–क्रोध, चिंता, गुस्सा, तनाव
–दवाइयों का सेवन
–मल त्याग रोकना
–सभी 13 वेग को रोकना जैसे छींक, पाद, आदि
*निवारण :
–फटे हुए दूध का पानी पिये, गर्म दूध में नीम्बू डालकर दूध को फाड़े, वह पानी छानकर पिए, पेट का सभी रोग में रामबाण है, सभी प्रकार का बुखार भी दूर करता है
–फलो व सब्जियों का रस, जैसे अनार का रस, लौकी का रस, पत्ता गोभी का रस आदि
–निम्बू पानी का सेवन
प्राकृतिक उपचार
–पेट को गीले कपड़े से ठंडक दे
–रीढ़ की हड्डी को ठंडक देना, लकवा इसी रीढ़ की हड्डी की गर्मी से होता है, गीले कपड़े से रीढ़ की हड्डी पर पट्टी रखें
–व्यायाम, योग करे
–गहरी नींद ले