कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सूरत कोर्ट में दाखिल अपील में खुद को मानहानि का दोषी करार दिए जाने को साफतौर से गलत बताया और कहा कि निचली अदालत ने उनके साथ गलत व्यवहार किया.
राहुल गांधी की अर्जी पर अब सूरत कोर्ट का आदेश आया है. इस आदेश में अदालत ने उनकी सजा पर रोक लगा दी है.
इसके साथ ही उनकी अपील पर सुनवाई लंबित रहने तक उन्हें जमानत भी दे दी गई है. अदालत ने उनसे 15 हजार का मुचलका भरने को भी कहा है. इसके अलावा अदालत ने कंडीशन रखते हुए कहा कि जब भी इस अपील पर सुनवाई होगी याचिकाकर्ता को मौजूद रहना होगा. हालांकि ये आदेश तो अदालत ने सोमवार (03 अप्रैल) को ही दे दिया था लेकिन इसकी कॉपी मंगलवार (04 अप्रैल) को सामने आई है.
राहुल गांधी की अर्जी में क्या?
राहुल गांधी ने तर्क दिया कि हिंदू समाज के अतिरिक्त मोदी सरनेम का इस्तेमाल मुसलमान और पारसी समाज में भी किया जाता है. याचिका में कहा गया कि 13 करोड़ मोदी हैं और साफ है कि सभी 13 करोड़ लोगों को शिकायत दर्ज करने का अधिकार नहीं होगा, क्योंकि यह पहचान योग्य, निश्चित, निर्धारित समूह या व्यक्तियों का संग्रह नहीं है.
राहुल गांधी ने शिकायत पर सवाल उठाते हुए कहा कि पूर्णेश मोदी इस मामले में पीड़ित व्यक्ति नहीं हैं. उन्होंने मोदी समाज के रूप में किसी को बदनाम नहीं किया. यह भी दावा किया कि शिकायतकर्ता ने ऐसा कोई साक्ष्य या रिकॉर्ड पेश नहीं किया जिसमें पूरे मोदी समाज को बदनाम किया गया हो.
राहुल गांधी ने कहा, ”मोध वणिक समाज और मोध घांची समाज ऐसे समुदाय हैं जो सालों से एक साथ मौजूद हैं. मोध घांची समाज या मोध वणिक समाज से संबंधित संविधान और अन्य दस्तावेजों को रिकॉर्ड पर लाया गया है और यह दिखाने का प्रयास किया गया है कि वे लंबे समय से मौजूद हैं लेकिन प्रतिवादी/शिकायतकर्ता द्वारा पेश किए गए इन दस्तावेजों में कहीं भी मोदी समाज का जिक्र नहीं है.”
राहुल गांधी ने कोर्ट से कहा, “व्यक्तिगत रूप से श्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ जो कथित लांछन लगाया गया है, उसके लिए केवल नरेंद्र मोदी को मानहानि के अपराध से पीड़ित व्यक्ति के रूप में माना जा सकता है और केवल नरेंद्र मोदी ही इसके लिए शिकायत दर्ज कर सकते हैं. पूर्णेश मोदी प्रतिवादी/शिकायतकर्ता को कोई अधिकार नहीं है उनकी ओर से शिकायत दर्ज करें.”