राजनीतिक दल कर रहे काले धन का खेल,सरकार और न्यायालय चुप

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पीटीआई के हवाले से चुनाव सुधारों पर काम कर रही एनजीओ एसोसिएशन आफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने आफिशियल डाटा को रिपोर्ट करते हुए बताया की ७ राष्ट्रीय दलों ने वर्ष २०२१-२२ में ३२९१ करोड़ रुपए का चंदा मिलना दिखाया है. ये ७ राष्ट्रीय दल है – भाजपा, कांग्रेस, टीएमसी, एनसीपी, सीपीआई, सीपीआई (एम) और नेशनल पीपुल्स पार्टी.

सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि उपरोक्त ३२९१ करोड़ रुपए के चंदे में ६६% यानि २१७२ करोड़ रूपए बेनामी स्त्रोतों से प्राप्त हुआ है.

ये बेनामी स्त्रोत हैं – इलेक्टोरल बांड, कूपन सेल, रिलीफ फंड, अन्य आय, स्वेच्छिक चंदा और मीटिंग एवं मोर्चे के लिए दान.

राजनीतिक दलों को इलेक्टोरल बांड के रूप में और २०००० रुपए से कम मिली राशि के बारे में जानकारी देने की कोई बाध्यता फिलहाल नहीं रखी गई है. साफ है इसका फायदा राजनीतिक दल जोर शोर से काले धन को चंदे के रूप में लेने के लिए कर रहे हैं.

बेनामी स्त्रोतों से मिला २१७२ करोड़ रुपए के चंदे में से १८१२ करोड़ रुपए यानि ८४% पैसे इन ७ राष्ट्रीय दलों को इलेक्टोरल बांड के रूप में मिले हैं, जिसकी न कोई जानकारी है और न ही अतापता.

वर्ष २०२१-२२ में मिलें बेनामी चंदे २१७२ करोड़ रुपए में से भाजपा को अकेले ११६१ करोड़ रुपए मिले हैं जो की कुल बेनामी चंदे का ५४% होता है और शेष १०११ करोड़ रुपए बाकी ६ राष्ट्रीय दलों को बेनामी चंदे के रूप में मिला है.

क्या आयकर विभाग और ईडी की कार्यवाही इन दलों पर नहीं होनी चाहिए?

क्या सत्तारूढ़ पार्टी ऐसे काले धन पर लगाम कसने पर कोई एक्शन नहीं लेगी?

क्या हमारे न्यायालय काले धन के इस खेल पर चुप रहेंगे?

सवाल बड़े सीधे और साफ है कि क्या कोई भी राजनीतिक दल ऐसी गलत नियम और कानून के खिलाफ आवाज नहीं उठायेगा जहां बेनामी और काला धन एलेक्टोरल बांड के माध्यम से राजनीतिक दलों द्वारा चंदे के रूप में उपयोग किया जा रहा है और वो भी बिना किसी रिकॉर्ड या जानकारी उपलब्ध कराए बिना!

क्या बेनामी संपत्ति और काले धन के कानून और नियम आम आदमी पर ही लागू होते हैं?

*जिस प्रकार आम आदमी पर कानून लागू होते हैं, उसी प्रकार राजनीतिक दलों पर भी लागू होने चाहिए अन्यथा देश में काले धन को रोक पाना या खत्म करना नामुमकिन होगा और सत्ताधारी दल बेनामी चंदे के नशे में चूर रहेंगे. चंदे मिलने की और उस चंदे द्वारा किए गए खर्च की पूरी जानकारी रिकॉर्ड पर लानी होगी तभी सही मायनों में काले धन के इस खेल को रोका जा सकता है.*

*सीए अनिल अग्रवाल

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