राजगढ़ के बहाने भाजपा प्रदेश में साम्प्रदायिक उन्माद चाहती है:

भोपाल, 22 जनवरी 2020

प्रदेश कांग्रेस के मीडिया उपाध्यक्ष अभय दुबे ने जारी एक बयान में बताया कि भाजपा नेताओं को इस बात का साफ़ आभास हो गया है कि जिस प्रकार मध्यप्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री कमलनाथ जी अपराधियों और माफ़ियाओं को साफ़ कर रहे हैं , मिलावटखोरी का इंसाफ़ कर रहे हैं, किसानों का कर्ज माफ़ ,इंदिरा गृह ज्योति योजना में बिजली का बिल हाफ़ कर रहे हैं, भाजपा का प्रदेश में कोई नामलेवा नहीं बचेगा। तो फ़िर एकमात्र रास्ता भाजपा को दिखाई देता है, और वो है CAA के बहाने साम्प्रदायिक उन्माद और ध्रुवीकरण का ।
श्री दुबे ने कहा कि राजगढ़ की घटना पर कुछ ऐसे तथ्य जो अब तक प्रकाश में नहीं आए हैं, उन पर बात होनी चाहिए ,ताकि भाजपा की संकुचित और साम्प्रदायिक राजनीति का पर्दाफाश किया जा सके।
1) भाजपा CAA के समर्थन में दिसंबर माह के अंतिम सप्ताह में पहले ही राजगढ़ में प्रदर्शन कर चुकी है, जिसकी अनुमति कलेक्टर निवेदिता ने ही दी थी ।
2) दोबारा फ़िर जब प्रदर्शन की अनुमति भाजपा द्वारा चाही गई , तब कलेक्टर निवेदिता ने निवेदन किया कि 26 जनवरी के बाद अनुमति दी जा सकती है क्योंकि पिछले वर्ष भी 26 जनवरी को राजगढ़ में बड़ी साम्प्रदायिक घटना हुई थी। इस पर मीटिंग में भाजपा सहमत हो गई ।
3) मगर भाजपा की रुचि CAA पर प्रदर्शन में नहीं, सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने में थी । इसलिए इन्होंने सोशल मीडिया पर CAA के प्रदर्शन को लेकर दुष्प्रचार प्रारंभ किया । तब कलेक्टर निवेदिता ने धारा 144 लगाने की घोषणा की ।
4) साम्प्रदायिक दृष्टिकोण से संवेदनशील राजगढ़ के दौरे पर निकली महिला अधिकारी-द्वय ये देख कर हतप्रभ थीं कि कुछ लोग कानून का उल्लंघन करते हुए गैर-ज़रूरी प्रदर्शन पर आमादा हैं ।
5) दोनों महिला अधिकारियों ने क़ानून सम्मत तरीके से लोगों को समझाने की कोशिश की, मगर भाजपा नेताओं ने डिप्टी कलेक्टर प्रिया के बाल पकड़कर बदसलूकी करना प्रारंभ किया ।तब स्वयं कलेक्टर निवेदिता ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए हालात को काबू में किया ।
6) कलेक्टर निवेदिता को बल प्रयोग का कानूनी अधिकार है :
दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 129 में स्पष्ट प्रावधान है कि कोई कार्यपालक मजिस्ट्रेट किसी विधिविरुद्ध जमाव को, जिससे लोक शान्ति भंग होती हो, उसे तितर बितर होने के आदेश दे सकता है और तितर बितर न होने की स्थिति में बल प्रयोग कर सकता है ,जो विधिसम्मत तरीके से कलेक्टर निवेदिता ने किया ।
7) इतना ही नहीं, दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 132(2)( क) में स्पष्ट किया गया है कि धारा 129 के तहत किए गए बल प्रयोग के खिलाफ़ कोई अभियोजन किसी दंड न्यायालय में नहीं चलाया जा सकता । अर्थात् कलेक्टर निवेदिता के खिलाफ़ FIR का कोई प्रश्न ही खड़ा नहीं होता ।
8) अगर समय रहते प्रशासनिक अधिकारी तत्परता से कार्यवाही नहीं करते, तो भाजपा द्वारा राजगढ़ को सांप्रदायिक हिंसा की आग में झोंक दिया गया होता और उस आग की आँच में भाजपा प्रदेश भर में अपनी राजनैतिक रोटियाँ सेंक रही होती l

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