वह कहती हैं, ”जब मैं 10 साल की थी तो मेरे गांव में एक नेता हेलिकॉप्टर से आए थे. सब उन्हें देखने जा रहे थे. मैं भी अपने नाना के साथ गई थी. तब मैनें हेलिकॉप्टर उड़ते देखा और सोचा कि मैं भी पायलट बनूंगी.
शिवांगी सिंह के पिता हरिभूषण सिंह कॉलेज में प्रिंसिपल और मां हाउसवाइफ हैं. उनकी शुरुआती पढ़ाई-लिखाई मुजफ्फरपुर से ही हुई. उन्होंने सिक्किम मणिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया है. शिवांगी बताती हैं, ”जब मैं फोर्थ ईयर में थी तो यूनिवर्सिटी एंट्री स्कीम के लिए नेवी आई थी. तब मुझे पता लगा कि बतौर पायलट नेवी में वुमेन की एंट्री शुरू हुई है. फिर तो तय कर लिया कि अब पायलट ही बनना है.
शिवांगी सिंह ने बीटेक करते हुए एससबी की परीक्षा दी लेकिन सेलेक्शन नहीं हुआ. इसके बाद उन्होंने मालवीय नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में एमटेक कोर्स में दाखिला लिया. फिर 2018 में एसएसबी एग्जाम दिया और इस बार सफल रहीं. इसके बाद उन्होंने लगातार दो कोर्स किए; पहला भारतीय नौसेना अकादमी में नेवल ओरिएंटेशन कोर्स और दूसरा वायुसेना अकादमी में विमान उड़ाने की ट्रेनिंग. इसके बाद उन्होंने भारतीय नौसेना के एयर स्क्वॉड्रन 550 में डोर्नियर 228 विमान उड़ाना सीखा.
शिवांगी सिंह एक इंटरव्यू में बताती हैं कि जब उनकी सोलो फ्लाइट स्टार्ट हुई थी उस वक्त बहुत डर लगा था. लेकिन टेक ऑफ के बाद सारा डर जाता रहा. वह अलग ही अनुभव होता है जब आप ऊपर से देखते हो पूरी दुनिया छोटी दिखती है.
भारतीय नौसेना में अभी भी जहाज (वार शिप) पर महिलाओं को जाने की मनाही है. इस पर शिवांगी सिंह ने 2019 में एक इंटरव्यू में कहा था कि अभी भले ही महिलाएं नौसेना में जहाज पर नहीं जा सकतीं, लेकिन आने वाले वक्त में मौके आएंगे. जिन्हें वह हासिल करना चाहेंगी