*मैहर देवी दर्शन में अराजकता, भ्रष्ट और कमजोर प्रबंधन का बोलबाला

 

परिवार के साथ व्यक्ति मान्यता प्राप्त धार्मिक स्थल पर छुट्टी के दिन दर्शन करने के लिए जाता है, इस उम्मीद से की दर्शन कर मानसिक शांति मिलें.

लेकिन यही दर्शन यदि मानसिक प्रताड़ना बन जाएं तो धिक्कार है ऐसे प्रबंधन को, सरकार को और प्रशासन को. इतना चंदा और पैसे बटोरने के बावजूद प्रबंधन आम भक्तों के साथ जानवरों जैसी सलूक किया जाता है, धक्का देकर – चिल्लाकर भगा दिया जाता है, पांच घंटे बाद पांच सेकंड भी दर्शन नहीं करने दिया जाता. लोग खड़े रहते हैं – पैसे दो तो दर्शन करवा देंगे, रोपवे में जल्दी पहुंचा देंगे.

आम भक्त बड़े बूढ़ों और बच्चों के साथ धूप में तड़पता रहें, लेकिन हम तो वीआइपी लाइन बनाकर सैंकड़ों की तादाद में प्रशासनिक अधिकारियों के पहचान के, पंडों के पहचान के, कर्मियों के पहचान के, पुलिस के पहचान के, दुकान और कैंटीन चलाने वाले के पहचान के, विधायकों पार्षदों के पहचान के, राजनीतिक दलों के पहचान के लोगों को दर्शन करवाने में प्रंबधन लगा रहता है.

कोई नियम कायदों का पालन नहीं किया जाता, बस चाबुक आम भक्तों पर चलाया जाता है जिनके चंदे से व्यवस्था चलती है और इसका उपयोग ये मनोरोगी वीआइपी कल्चर वालों का भार उठाने के लिए किया जाता है.

यही अराजकता और भ्रष्ट व्यवस्था शारदा देवी मंदिर मैहर में गुड फ्राइडे ०७/०४/२३ को देखने मिली. प्रबंधन और प्रशासन को आम भक्तों की कोई परवाह नहीं, बस परवाह पिछले गेटों से घुसने वाले पहचान के लोगों की.

१. क्या रोपवे में एक व्यक्ति से १५० रुपए लेकर ५ घंटे लाइन में लगवाकर ५ सेकंड दर्शन करवाकर धक्के और चिल्लाकर भगा देना न्यायोचित है?

२. क्या वीआइपी कल्चर को भीड़ भाड़ वाले दिनों में बंद नहीं किया जा सकता?

३. क्या भीड़ अधिक होने पर रोपवे का टिकट बंद नहीं किया जा सकता?

४. क्या मंदिर में भक्तों की संख्या अधिक होने पर नीचे नहीं रोका जा सकता?

५. क्या आम भक्त दर्शन अच्छे से करें और उसे मानसिक शांति मिलें, इसके लिए प्रवेश की संख्या निर्धारित नहीं की जा सकती?

६. क्या प्रबंधन और प्रशासन का काम सिर्फ पैसे बटोरने का रह गया है?

७. क्या आप वीआइपी हो, तभी आप आसानी से दर्शन कर सकते हैं – यह मापदंड क्या उचित है?

८. बड़े बड़े मान्यता प्राप्त मंदिरों में आम भक्तों को प्रताड़ना और वीआईपी को प्रोत्साहन देना उचित है?

– व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए कि कोई भी भक्त हो सिर्फ राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल और मुख्यमंत्री को छोड़कर सभी के लिए आधे से एक घंटे का वेटिंग समय होना चाहिए.

– छुट्टी और त्यौहार के दिन वीआइपी व्यवस्था पूर्णतः बंद होनी चाहिए और व्यवस्था ऐसी हो सभी को दर्शन लाभ बिना किसी परेशानी के हो सकें.

– बुजुर्गो बच्चों के लिए अलग व्यवस्था होना जरूरी है और खासकर ऐसे समय जब भीड़-भाड़ बिमारी बढ़ाती है, तो हर दर्शानार्थी और प्रबंधन के लिए स्टेंडर्ड प्रक्रिया होना जरूरी है.मैहर मंदिर में फैली अराजकता, अव्यवस्था, वीआइपी कल्चर, भ्रष्ट व्यवस्था, आदि पर नियंत्रण होना जरूरी है नहीं तो आम भक्त प्रताड़ित होता रहेगा और प्रबंधन अपनी जेबें भरने में लगा रहेगा.।इस लेख की समस्त जिम्मेदारी लेखक की है।

*सीए अनिल अग्रवाल जबलपुर

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