जामवंत के बचन सुहाए।
सुनि हनुमंत हृदय अति भाए॥
यह प्रसंग श्री रामचरितमानस के सुंदरकांड का है। जब जामवंत जी हनुमान जी को उनकी शक्तियों का स्मरण कराते हैं और कहते हैं –
कवन सो काज कठिन जग माहीं।
जो नहीं होय तात तुम पाहीं।।
अतः पहली चौपाई में बाबा गोस्वामी तुलसीदास यह संदेश देते हैं की जामवंत जी के द्वारा कहे गए वचन अति सुहाने थे। उनके गूढ़ रहस्य और तार्किक पक्ष को, तथ्यों को जाना तो यह वचन हनुमान जी के मन को भी भाने लगे। तात्पर्य है कि वचन सुहाने भी हों और लोगों की मन को भा जाएं, यह तभी होता है जब व्यक्ति की कथनी और करनी में अंतर शेष ना रहे तथा वे देश काल परिस्थिति अनुसार अंततः सकारात्मक परिणाम देने का सामर्थ्य रखते हों। यही वजह है कि जामवंत जी का कहना सुहावना है और हनुमान जी द्वारा उक्त कथन को ग्रहण करना मनभावन है। यदि कलयुग की बात की जाए तो इस प्रकार के शुद्ध और सात्विक कृतित्व और कथनीय गुण एक व्यक्ति में, एक साथ कम ही देखने सुनने को मिलते हैं। यही वजह है कि ना तो कहने वाला अपनी बात का प्रभाव छोड़ पाता है और ना ही सुनने वाला कहे गए भाव को समझ पाता है। नतीजा यह है कि मानव समाज दिग्भ्रमिता का शिकार होता जा रहा है। किंतु निराशा का कोई कारण इसलिए उपस्थित नहीं होता, क्योंकि कथनी और करनी में फर्क ना करने वाले महा मानवों का अस्तित्व समाप्ति को प्राप्त नहीं हुआ है। आज भी दुनिया में ऐसे लोग हैं जो अपने सात्विक कथन और कृतित्व में भेद ना करते हुए जन कल्याण के कार्य में बगैर विश्राम के लगे हुए हैं। ऐसा ही एक नाम मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का ध्यान में आता है। यह इसलिए, क्योंकि वे मध्य प्रदेश राज्य के ऐसे मुख्यमंत्री के रूप में स्थापित हो चले हैं जो राज्य की सेवा में अधिकतम समय देने का इतिहास रच चुके हैं। कुछ विद्वान उनके व्यक्तित्व को ग्रह नक्षत्रों और जन्म कुंडली का प्रभाव भी बताते हैं लेकिन मैं इससे पूरी तरह सहमत नहीं हो सकता क्योंकि एक ही तिथि और समय पर अनेक शिशुओं का जन्म होता है किंतु हर कोई शिवराज सिंह चौहान नहीं बन जाता तब मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचता हूं कि शिवराज सिंह बनने के लिए केवल श्रेष्ठ घड़ी में जन्म लेना ही पर्याप्त नहीं होता। बल्कि इसके लिए बेहद अथक और निरंतर झंझावतों से जूझने की जिजीविषा का बने रहना तथा परिस्थितियों पर हर हाल में विजय पाने का जुनून आवश्यक होता है। संयोगवश उक्त सभी विशेषताएं श्री शिवराज सिंह चौहान में कूट-कूट कर भरी हुई हैं। उन्हें सेवा का यह दीर्घ अवसर इसलिए भी मिला क्योंकि सत्ता में आने से पहले और सत्ता में बने रहने के दौरान उन्होंने जो कुछ भी कहा, उसे क्रियान्वित करके ही दम लिया। यदि संयोग, परिस्थितिवश कोई कार्य अधूरे रह गए तो उन्हें संपूर्ण करने की जिजीविषा सदैव बनी रही तथा प्रयासों ने भी हिम्मत नहीं हारी। नतीजा सबके सामने है। एक से अनेक बार उनके नेतृत्व में विधानसभा के चुनाव लड़े गए और जीते भी गए। किसी नेता को यह कामयाबी सहज ही प्राप्त नहीं हो जाती। इसके लिए जन कल्याण और सामाजिक विकास के लिए भागीरथी प्रयास करने होते हैं, जो श्री चौहान द्वारा पूरी ईमानदारी और लगन के साथ किए गए हैं। फल स्वरूप मध्यप्रदेश में हर वर्ग के हित की योजनाएं जमीनी स्तर पर फलीभूत हो रही हैं। गर्भस्थ होने से जन्म लेने तक शिशुओं का संरक्षण, जन्म से परिपक्व होने तक बालिकाओं का संरक्षण, विवाह से लेकर प्रौढ़ होने तक महिलाओं का संरक्षण और फिर जीवन रहने तक वृद्धों का संरक्षण, युवाओं को रोजगार, किसानों को सम्मान के साथ आर्थिक लाभ, छोटे और मझोले उद्योग पतियों का संवर्धन, आरक्षित वर्ग के लिए सुरक्षा का वातावरण, समूचे राज्य के लिए विकास, उपरोक्त कार्य प्रणाली यह सिद्ध करती है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जो कहते हैं, उसे जमीनी स्तर पर लागू करने हेतु संकल्पबद्ध नजर आते हैं। उदाहरण के लिए उनके इस कथन को समझने की आवश्यकता है- अपने हर वक्तव्य में शिवराज सिंह स्वयं को बच्चियों का मामा और उनकी माताओं का भाई होने का दावा करते हैं। यदि कहा है तो इसे पूरा करने के लिए उन्होंने अपनी और अपनी कैबिनेट की पूरी ताकत झोंक कर दिखाई है। फल स्वरूप बालिका शिशु के रूप में जन्म लेने से लेकर जीवन रहने तक बालिकाओं और महिलाओं के संरक्षण व उनके प्रत्यक्ष लाभ ही इतनी योजनाएं अस्तित्व में आ चुकी हैं, जो भारत के किसी भी प्रदेश को पीछे छोड़ती नजर आती हैं। एक और उदाहरण – पिछले लंबे समय से उन्होंने भांजियों के लिए तो अनेक योजनाएं लागू कर ही रखी थीं, अब बहनों के लिए भी लाडली बहना योजना लागू कर बच्चों की माताओं के लिए भी प्रत्यक्ष आर्थिक लाभ पहुंचाने की कवायद शुरू कर दी है। इससे एक बार पुनः यह बात सत्यापित होती है कि वह जो कहते हैं सो करते हैं। यही वजह है कि उनके द्वारा कही गई बात लोगों को सुहाती भी है और भाती भी है। प्रमाण यह कि भाजपा जब जब उनके नेतृत्व में चुनावी मैदान में उतरती है, तब तब आम आदमी उनके पीछे उनके अनुसरण करता और समर्थक के रूप में लामबंद हो जाता है। यानि शिवराज सिंह चौहान पार्टी जनों को सुहाते हैं तो आमजन को भाते भी हैं। विश्वसनीयता का यह दर्जा व्यक्ति विशेष के लिए किसी भी प्रादेशिक अथवा राष्ट्रीय सम्मान से कम नहीं आंका जा सकता। क्योंकि आमजन के भीतर किसी व्यक्तित्व विशेष के प्रति यह सम्मान उसे जननेता के रूप में स्थापित करने का सामर्थ्य रखता है और यह सम्मान निर्विवाद रूप से हासिल करने में मध्य प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री सफल साबित हो रहे हैं। भारत के हृदय प्रदेश की धड़कनों में रच बस रहे जनता के लाडले मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के जन्मदिन की सर्वजन को अनंत बधाइयां।
लेखक- डॉ राघवेंद्र शर्मा वरिष्ठ पत्रकार हैं।