मुख्यमंत्री की 16 साल पहले की घोषणा का 16 साल बाद अमल नहीं ,कर्मचारियों को 16 माह से वेतन नहीं !

 

“श्याम सुन्दर शर्मा”
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मध्य प्रदेश सड़क परिवहन निगम देश की
ऐसी एक संस्था है जिसको परिसमापन करने का निर्णय अब से ठीक 16 साल पहले 2 जनवरी 2005 को तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारा घोषणा के तहत लिया गया !
18 फरवरी 2005 को मध्य प्रदेश की तत्कालीन सरकार की कैबिनेट द्वारा इस निर्णय पर मुहर(सहमति दी) लगाई !
इसके बाद निगम के कार्यरत कर्मचारियों में से लगभग 14500 से भी अधिक को सेवानिवृत्ति एवं स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के तहते नौकरी से चलता कर दिया गया !
सड़क परिवहन निगम की वाहनों को शनै-शनै कम करते हुए 30 जून 2010 को संपूर्ण निगम की बसों का संचालन बंद कर प्रदेश में पूर्ण रूप से परिवहन उद्योग को निजी मोटर मालिकों के हवाले सौंप दिया गया!
16 साल में सरकारें बदलती रही पांच मुख्यमंत्री दो राजनीतिक संगठन की सरकार 12 प्रमुख “सचिव परिवहन” 17 प्रबंध निर्देशकों के द्वारा की गई घोषणा एवं लिए गए निर्णय का आज तक पालन नहीं हो सका!
निगम की वर्तमान स्थिति में छह हजार करोड़ की संपत्ति न्यायिक प्रक्रिया में उलझती चली गई ! निगम के जिम्मेदार अपने आप को बचते हुए अपील पर अपील कर अपने दायित्व की इतिश्री करते रहे !
मध्य प्रदेश सड़क परिवहन का समापन का निर्णय सड़क परिवहन निगम के निरंतर घाटे में होने के कारण से लिया गया लेकिन घाटे के कारण मंत्रिपरिषद की संक्षिप्त में जो दिखाए गए वह अपने आप में ही यह बता रहे हैं कि इसके लिए व्यवस्था और इसमें जिम्मेदार पद पर रहने वालों का दोष है! लेकिन आज तक कभी भी घाटे के कारणों के दोषियों के विरुद्ध ना तो कार्रवाई की गई ना ही विचार किया गया इसके उल्टे उन पर हमेशा पर्दा डालने की कोशिश की गई! करोड़ों रुपए प्रति वर्ष न्यायिक प्रक्रिया में खर्च किए जाते रहे और सैद्धांतिक रूप से आज तक सड़क परिवहन निगम बंद करने की वैधानिक अनुमति केंद्र सरकार के श्रम एवं रोजगार मंत्रालय तथा भूतल मंत्रालय द्वारा प्राप्त नहीं हो सकी ! परिवहन विभाग के जिम्मेदार प्रदेश के परिवहन माफियाओं गिरफ्त में आ गए और कई अप्रत्यक्ष रूप से व्यक्तिगत हित लाभ के लिए परिवहन उद्योग से जुड़ गए ! प्रदेश का परिवहन उद्योग पुरी तरह से निजी संचालकों के हाथ में आने से सार्वजनिकता परिवहन क्षेत्र के आम यात्रीयो का मानसिक आर्थिक शोषण आरंभ हो गया वहीं निगम के कर्मचारीयो आर्थिक मानसिक पारिवारिक पिडा का सामना करना हेतु मजबूर होना पड़ा! स्थिति यह निर्मित हो गई कि कभी कर्मचारियों को 36 माह का वेतन नहीं कभी 12 माह का नहीं और कभी 4 माह का नहीं और वर्तमान में 16 माह का नहीं !
सड़क परिवहन निगम के कर्मचारियों के साथ एक ही तरह का भेदभाव नहीं अनेक तरह से भेदभाव किए जा रहे हैं शासन द्वारा अपने कर्मचारियों को सातवां वेतनमान दिया जा रहा है वहीं सड़क परिवहन निगम के कर्मचारियों को चौथा वेतनमान शासन द्वारा एवं अन्य निगम मंडल के कर्मचारियों को 62 वर्ष में सेवा निर्वत किया जा रहा है वहीं सड़क परिवहन निगम के कर्मचारियों को 58 वर्ष में सेवा निर्वत किया जा रहा है ! और अन्य वैधानिक सुविधाओं से वंचित रखा जा रहा है सेवानिवृत्त होने के उपरांत दो 2 साल तक देयक भुगतान नहीं किए जा रहे हैं ! भविष्य निधि फंड की राशि समय तक जमा नहीं की जा रही ! सेवा निर्मित के साथ-साथ कार्यरत कर्मचारियों को भी आर्थिक भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है! आज जहां तक के समय देश के सभी राज्यों में सड़क परिवहन निगम के अस्तित्व के जारी रहते हुए सार्वजनिक परिवहन क्षेत्र की वाहनों का संचालन किया जाता आम यात्री को परिवहन सेवा उपलब्ध कराई जा रही है वहीं मध्य प्रदेश शासन के समक्ष प्रदेश के बस ऑपरेटर के मांग पत्र के साथ यह अवगत करा दिया गया कि जब तक हमारी मांगों का निराकरण नहीं होगा तब तक वाहनों का संचालन नहीं किया जाएगा! और सरकार के जिम्मेदारों द्वारा 15 जून को एक आदेश जारी कर वाहनों के संचालन करने के निर्देश प्रसारित कर अपने दायित्वों की इतिश्री कर ली है ! 16 साल पूर्व लिए गए निर्णय के कारण से जहां सड़क परिवहन निगम के कर्मचारी परेशान हैं वहीं आम जनता !आखिरकार इस सब का हाल क्या होगा कैसे होगा और कब होगा कैसे होगा और कब होगा कैसे होगा और कब होगा किसी को कुछ पता नहीं और ना ही कोई जिम्मेदार इसका जवाब देने को तैयार है सब के सब मौन और चुप्पी साधे हुए हैं लॉकडाउन के दौरान सरकार द्वारा अन्य राज्यों की सीमा से यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने निजी वाहन स्वामियों को ₹60 किलो मीटर के हिसाब से भुगतान किया गया ! यदि वास्तव में सरकार बेहतर परिवहन व्यवस्था कराना चाहती है तो मध्य प्रदेश सड़क परिवहन निगम के माध्यम से निजी वाहन स्वामियों की वाहनों का अधिग्रहण किया जा कर अनुबंध नीति के तहत संचालन किया जा सकता है ! श्याम सुन्दर शर्मा

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