अदालत ने कहा है कि मायके पक्ष के लोगों को महिला के परिवार का ही हिस्सा माना जाएगा. धारा 15(1)(d) का जिक्र करते हुए जस्टिस अशोक भूषण और आर सुभाष रेड्डी की बेंच ने कहा कि हिंदू महिला के पिता के उत्तराधिकारियों को महिला की संपत्ति में उत्तराधिकारियों के तौर पर शामिल किया गया है. महिला के इस फैसले को लेकर उसके देवर के बच्चों ने अदालत में याचिका दायर की थी.
महिला ने पारिवारिक समझौते के तहत अपने भाई के बेटों के नाम अपने हिस्से की जमीन कर दी थी. इस बात का विरोध महिला के देवर के बच्चों ने किया. देवर के बच्चों की तरफ से दायर याचिका में इस समझौते के फैसले को रद्द करने की अपील की गई थी. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत और हाईकोर्ट के फैसले को सही माना है. उन्होंने कहा है कि दोनों अदालतों ने इसी प्रावधान के तहत फैसला सुनाया है.
क्या था मामला?
गुड़गांव के बाजिदपुर तहसील के गढ़ी गांव का है. यहां गांव में बदलू के पास खेती की जमीन थी. बदलू की बाली राम और शेर सिंह दो संतानें थीं. 1953 में शेर सिंह की मौत हो जाने बाद उनकी पत्नी जगनो ने अपने हिस्से की जमीन भाई के बेटों को दे दी थी. पारिवारिक समझौते के तहत मिली जमीन को लेकर भाई के बेटों ने अदालत में सूट फाइल किया और 19 अगस्त 1991 में अदालत ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया. इसके बाद महिला के देवर के बच्चों ने इस बात का विरोध करते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था.