बारिश के समय देश में टमाटर व हरी सब्जियों के साथ साथ जीरा भी महंगाई का तड़का लगा रहा है। दाल में मिर्ची तीखापन दे रही है। यहां तक कि सब्जी से टमाटर तो पूरी तरह से गायब हो चुका साथ ही जीरा के दाने भी सब्जी में कम हो गए। क्योंकि जीरा का भाव 1000 रुपये किलो जा पहुंचा है। लाल मिर्च 350 किलो हो चुकी है ।
जानकारी के लिएबता दें कि जीरे ने महंगाई के 70 वर्षों के सारे रिकॉर्ड तोड़कर वर्ष 22 जुलाई 2023 जुलाई में अधिकतम मूल्य प्रति क्विंटल 73000 रुपये पर पहुंचकर तिजोरी में अपना राज कर लिया है। हर घर में पाया जाने वाला एक चुटकी जरा जो हर खाने को सुगंधित और स्वादिष्ट बना देता है उसके औषधीय गुण, मांग और खपत के चलते अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जुलाई के महीने में जीरे ने एक चुटकी जीरा रसोई में इस्तेमाल करने को सोने के बराबर बना दिया है। जीरा अब रसोई में नहीं तिजोरी में रखा जाएगा। इस छोटे से जीरे की कहानी ऊंट के मुंह से यह जरा तिजोरी तक कैसे पहुंचा उसके बारीकियां पर हम चलते हैं।
बाजारों से जुड़े जानकारों का कहना जो जीरा 100 150 रुपये प्रति किलो तक बिकता था वह जुलाई के महीने में वह 1000 रुपये किलो तक जा पहुंचा है। जिस जीरे की कीमत 15000 प्रति क्विंटल से भी कम थी वह 22 जुलाई के मंडी भाव में न्यूनतम मूल्य 33000 और उच्चतम मूल्य 73000 को पार कर गया।अगर हम ऊंझा मंडी से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सर्वेक्षण करें तो जनवरी 2013 से अब तक की खबरों में लगातार हीरे के भाव बढ़ने की चिंता व्यक्त की गई जिसमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जीरे की मांग बढ़ी।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सीरिया के गृहयुद्ध के चलते 2011 के बाद से सीरिया से जीरे की आवक कम हुई। अफगानिस्तान से भी आवक कम हुए और विदेशों में भी जीरे के औषधि गुण को लेकर भारत और भारत के बाहर जीरे की मांग बढ़ी, लेकिन उत्पादन प्रभावित हुआ।