दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में शुक्रवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आम आदमी पार्टी (आप) के नेता और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर 290 करोड़ रुपये की साजिश रचने के आरोप लगाए।
इसके बाद अदालत ने मनीष को सात दिन के लिए ईडी की रिमांड में भेज दिया।
उधर, मनीष के वकीलों ने ईडी के आरोप को तथ्यहीन बताया और सवाल उठाया कि धन अर्जित कहां हुआ है। यह केवल सिसोदिया को लंबे समय तक हिरासत में रखने की साजिश है।
सिसोदया दिखे शांत, चुपचाप सुनते रहे दलीलें : प्रवर्तन निदेशालय ने मनीष सिसोदिया को दोपहर दो बजे अदालत में पेश किया। पेशी के समय सिसोदिया मुस्कुराते नजर आए। अदालत में दो घंटे चली सुनवाई के दौरान सिसोदिया शांत रहे और चुपचाप ईडी व बचाव पक्ष की दलीलें सुनते रहे। यहां तक की जब अदालत द्वारा उन्हें सात दिन की ईडी की रिमांड पर देने का निर्णय किया गया, तो उस समय भी वह मुस्कुरा रहे थे।
रिमांड के दौरान इन बातों का ध्यान रखने के निर्देश : विशेष न्यायाधीश एमके नागपाल की अदालत ने निर्देश दिया कि सीसीटीवी कवरेज वाले किसी स्थान पर सिसोदिया से पूछताछ की जाए। सीसीटीवी फुटेज को सुरक्षित रखा जाए। रिमांड अवधि के दौरान हर 48 घंटे में एक बार आरोपी की चिकित्सकीय जांच की जाएगी। रिमांड के दौरान रोजाना एक घंटे अपने अधिवक्ताओं से मिलने की अनुमति दी जाएगी। ईडी के अधिकारी उनकी बातचीत नहीं सुनेंगे। अदालत ने यह भी कहा कि अगर आरोपी चाहे तो उक्त घंटे के दौरान 15 मिनट की अवधि के लिए प्रतिदिन अपने परिवार के एक या दो सदस्यों से मिलने की अनुमति ले सकता है।
प्रवर्तन निदेशालय के आरोप
सरकार की आबकारी नीति दोषपूर्ण थी : ईडी ने कहा कि सिसोदिया ने अन्य लोगों के साथ मिलकर 290 करोड़ रुपये से अधिक की रिश्वत के जरिये अपराध की आय अर्जित करने के लिए दोषपूर्ण आबकारी नीति तैयार करने की साजिश रची। राउज एवेन्यू स्थित विशेष न्यायाधीश एम के नागपाल की अदालत के समक्ष ईडी ने कहा कि सिसोदिया के सचिव ने स्पष्टतौर पर अपने बयान में कहा है कि जीओएम की बैठक में निजी संस्थाओं को थोक लाभ मार्जिन के 12 प्रतिशत पर कभी चर्चा नहीं की गई। दक्षिण समूह के साथ जुगलबंदी करने में विजय नायर की मुख्य भूमिका रही, जोकि मनीष सिसोदिया का खास व्यक्ति था।
दस्तावेजों के लिए रिमांड लेनी जरूरी : ईडी के वकील जोहेब हुसैन ने सिसोदिया की रिमांड की मांग करते हुए कहा कि कम से कम 292.8 करोड़ रुपये के अपराध की आय (तारीख के अनुसार गणना की गई है, जो जांच के दौरान बढ़ने की संभावना है) मनीष सिसोदिया की भूमिका के संबंध में है। हालांकि ईडी ने यह भी माना कि इस अपराध से अर्जित आय से संबंधित फाइलों व दस्तावेजों को गायब किया गया है। इन्हें बरामद करना जरूरी है। इसके लिए अन्य आरोपियों से सिसोदिया का सामना कराना है।
अन्य आरोपियों के साथ भी संबंधों का हवाला दिया : ईडी ने कहा कि उनके पास विजय नायर व तेलंगाना की मुख्यमंत्री की बेटी के कविता के बीच मुलाकात के साक्ष्य हैं। ईडी ने के कविता के चार्टर्ड एकाउंटेट बुची बाबू गोरंटला के बयानों का हवाला देते हुए कहा कि उसने कबूला है कि सिसोदिया व के कविता के बीच इस आबकारी नीति को लेकर साझेदारी थी। 2021-2022 की नई आबकारी नीति थोक विक्रेताओं के लिए असाधारण उच्च 12 प्रतिशत लाभ मार्जिन और खुदरा विक्रेताओं के लिए लगभग 185 प्रतिशत लाभ मार्जिन के साथ लाई गई थी। 12 प्रतिशत मार्जिन में से 6 प्रतिशत थोक विक्रेताओं से आप नेताओं को वापस मिलना था। दक्षिण समूह ने हालांकि इस रिश्वत का भुगतान 100 करोड़ रुपये के बराबर किया। कुछ निजी संस्थाओं को भारी लाभ मिले और दिल्ली में 30 प्रतिशत शराब कारोबार संचालित करने के लिए सबसे बड़े कार्टेलों में से एक बनाया जाए।
बचाव पक्ष की ओर से दी गई दलीलें
चुनी हुई सरकार को नीति बनाने का अधिकार : ईडी के आरोपों का विरोध करते हुए सिसोदिया के वकील दयान कृष्णन, मोहित माथुर व सिद्धार्थ अग्रवाल ने कहा कि किसी तरह की नीति बनाना चुनी हुई सरकार का अधिकार है। नीति कई विभागों से गुजरती है। नीति को केंद्र सरकार (उप-राज्यपाल) ने मंजूरी दी। उप-राज्यपाल की आपत्तियों में 12 फीसदी कमीशन का जिक्र नहीं है।
कई बार छापेमारी के बाद भी कुछ नहीं मिला : बचाव पक्ष के वकीलों ने अदालत में कहा कि उनके मुवक्किल को अफवाहों के आधार पर इस मामले में आरोपी बनाया गया है। जबकि खुद सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय आधा दर्जन से ज्यादा बार सिसोदिया के खुद के निवास पर और यहां तक की उनके पैतृक निवास (पिता के घर ) के कोने-कोने की तलाशी ले डाली है। उन्हें वहां से कुछ नहीं मिला। हर बार खाली हाथ दोनों जांच एजेंसियां लौटी हैं। फिर भी ईडी अपनी दलील में कभी सचिव तो कभी अन्य किसी अधिकारी का नाम ले सिसोदिया को जबरन इस मामले में घसीट रहे हैं। जांच एजेंसियों का यह तरीका सीधेतौर पर अमान्य है।
अर्जित धन कहां है… : ईडी के हिसाब से नीति दोषपूर्ण है, ऐसे में धनशोधन का मामला नहीं बनता है। अगर नीति दोषपूर्ण है तो धन अर्जित कहां हुआ। सिसोदिया की तरफ से कहा गया कि क्या ये प्रक्रिया सही है। ये सब धनशोधन अधिनियम के तहत सिसोदिया को लंबे समय तक हिरासत में रखने की कोशिश है। पहले अपराध साबित होना चाहिए। गलत इरादे से गिरफ्तारी की गई है। बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि हमारे देश और हमारी राजनीति में यह कहना इतना आसान है कि मैंने इस अधिकारी के लिए पैसे लिए।
अदालत का सवाल
जिस धन पर मामला है, उसका आधार क्या… : अदालत ने मामले की सुनवाई के दौरान जांच एजेंसी से पूछा कि जिस धन को लेकर यह सब मामला बना है। उसका कोई साक्ष्य है। इस पर जांच एजेंसी का कहना था कि वह इसी की जांच करने के लिए आरोपी सिसोदिया को रिमांड पर ले रहे हैं। उनके पास वह तमाम आधार मौजूद हैं जोकि धनशोधन को प्रमाणित करते हैं। लेकिन कुछ फाइलें व दस्तावेज जानबूझकर गायब किए गए हैं। जिन्हें बरामद कर मामले को और मजबूर किया जाना है।