मप्र की शिवराज सरकार 21 सितंबर से होने वाले विधानसभा के तीन दिवसीय सत्र में कृषि उपज मंडी अधिनियम में संशोधन के लिए विधेयक लाएगी। इसके तहत प्रदेश में निजी मंडियां भी स्थापित की जा सकेंगी। इनमें जो खरीद होगी, उसका भुगतान किसान को उसी दिन करना होगा। एक लाइसेंस से व्यापारी पूरे प्रदेश में उपज की खरीद कर सकेंगे। मंडियों के बाहर अब कोई नाके नहीं होंगे।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रस्तावित मंडी अधिनियम संशोधन विधेयक-2020 के प्रस्तावित मसौदे पर बुधवार को सहमति दे दी। उन्होंने अधिकारियों से यह भी कहा कि केंद्र सरकार द्वारा नया मंडी अधिनियम बनाए जाने के बाद देश में सबसे पहली निजी मंडी मध्य प्रदेश में स्थापित होनी चाहिए।
मंत्रालय में मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई उच्च स्तरीय बैठक में बताया गया कि नए अधिनियम में कोई भी ऐसा व्यक्ति, जिसके पास मंडी स्थापित करने के लिए दो हेक्टेयर भूमि के साथ बुनियादी सुविधाएं हों, उसे मंडी, उप मंडी या फिर खरीद केंद्र खोलने की अनुमति मिलेगी। इसके लिए निर्धारित शुल्क चुकाकर लाइसेंस लेना होगा। व्यापारी को किसान से फसल खरीदने के दिन ही भुगतान करना होगा।
इसके बाद ही उसे उपज ले जाने की अनुमति होगी। प्रमुख सचिव कृषि अजीत केसरी ने बैठक में बताया कि मंडी समितियों के अधिकार अब सिर्फ मंडी प्रांगण तक सीमित होंगे। आयात कर लाई जाने वाली उपज पर मंडी शुल्क नहीं लगेगा। मंडियों के लाइसेंस सहित अन्य सभी व्यवस्थाओं को देखने के लिए संचालक कृषि विपणन पद बनाया जाएगा।
संशोधित अधिनियम लागू होने के बाद मंडी बोर्ड का अधिकार सिर्फ मंडी प्रांगण तक सीमित हो जाएगा। बाजार दर शासन तय करेगा। सभी तरह की मंडियों में खरीद-बिक्री नीलामी के माध्यम होगी। बैठक में मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से निजी खरीद केंद्र खोलने की अनुमति देने और व्यापारियों को किसानों से सीधे उपज लेने का अधिकार देने से मंडियों को हुए आर्थिक नुकसान के बारे में पूछा। अधिकारियों ने बताया कि इस बार गेहूं की अधिकांश खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य पर हुई है, इसलिए नुकसान हुआ है। इसका आकलन कराया जा रहा है।
30 दिन में मिलेगा लाइसेंस, 20 साल रहेगी अवधि
निजी मंडी खोलने के लिए लाइसेंस तीन दिन में मिलेगा। यदि इस अवधि तक आवेदन का निराकरण नहीं किया जाता है तो स्वतः अनुमति मिल जाएगी। निजी मंडी और उप मंडी के लिए लाइसेंस की अवधि 20 साल और किसान से उपज सीधे खरीद केंद्र खोलने के लिए 10 साल की होगी।
खरीद केंद्र के लिए लाइसेंस सात दिन में मिलेगा। लाइसेंस मिलने के बाद मंडी का निर्माण कार्य तीन साल में पूरा करना होगा। अभी जितने भी निजी खरीद केंद्र के लाइसेंस जारी किए गए हैं, वे नए प्रावधान आने के बाद समाप्त नहीं होंगे, बल्कि उनका नवीनीकरण किया जाएगा।
निजी मंडी के लिए आवेदन शुल्क पांच हजार रुपये, लाइसेंस शुल्क 50 हजार रुपये और परफार्मेंस गारंटी 10 लाख रुपये जमा करनी होगी। -इसी तरह उप-मंडी के लिए आवेदन शुल्क पांच हजार, लाइसेंस शुल्क 25 हजार रुपये और पांच लाख रुपये परफार्मेंस गारंटी देनी होगी। -खरीद केंद्र के लिए एक हजार रुपये आवेदन, 10 हजार रुपये लाइसेंस शुल्क और पांच लाख रुपये परफार्मेंस गारंटी जमा करनी होगी।