मध्यम और वेतनभोगी वर्ग के लिए बजट में स्लेब बढ़ाना मात्र एक छलावा

 

आज पेश बजट में सरकार द्वारा आयकर स्लेब में टेक्स छूट को ५ लाख से बढ़ाकर ७ लाख करने पर खूब वाहवाही लूटी जा रही है, लेकिन आइये इसकी असलियत समझिए:

१. पिछले २ साल से पुराना टैक्स स्लैब और नया टैक्स स्लैब दोनों चल रहे हैं और क्योंकि नए टैक्स स्लैब में बचत की कोई छूट नहीं है, इसलिए मात्र ५% करदाता द्वारा इसे उपयोग में लाया गया था.

२. इस बजट में सरकार द्वारा टैक्स छूट सिर्फ नए टैक्स स्लैब को प्रोत्साहित करने दी गई है और पुराना टैक्स स्लैब वैसे ही जारी रहेगा.

३. नए टैक्स स्लैब में ३००००० रुपए तक की आय करमुक्त रखी गई है.

४. पांच लाख तक की आय पर टैक्स रीबेट दोनों स्लैब पर लागू है.

५. रीबेट का मतलब टैक्स स्लैब बदलाव नहीं होता, इसका मतलब होता है यदि आपकी आय ५ लाख तक है तो आपको कोई टैक्स नहीं देना होगा अन्यथा ऊपर होने पर नार्मल टैक्स स्लैब जो कि २५००००/- रुपए है, उसी हिसाब से गणना होगी.

६. मतलब साफ है यदि आप ५ लाख रुपए या प्रस्तावित ७ लाख रुपए से नीचे है तो ही आपको टैक्स रीबेट का फायदा मिलेगा अन्यथा आपकी पूरी आय पर टैक्स लगेगा.

७. सात लाख रुपए तक का रीबेट सिर्फ नए आयकर स्लेब पर लागू होगा जिसमें कोई भी बचत की छूट नहीं मिलती है, मात्र ५२५००/- का स्टेंडर्ड डिड्क्शन वेतनभोगी के लिए प्रस्तावित है. यह डिडक्शन पुराने स्लेब पर पहले से ही लागू हैं.

८. एक वेतनभोगी को १५ लाख की आय पर पुराने स्लेब के आधार पर सभी छूटें लेने के बाद लगभग १.३४ लाख का टैक्स देय होगा वहीं दूसरी ओर नए टैक्स स्लैब में उसे आज की प्रस्तावित दर से १.३९ लाख रुपए का टैक्स देय होगा.

९. सरकार द्वारा बजट में छूट और राहत के नाम पर मात्र एक औपचारिकता की गई है.

*इसलिए टैक्स स्लैब बढ़ाने का प्रचार प्रसार करना या वाहवाही लूटना समझ से परे है और सही मायनों में मध्यम वर्ग को कोई राहत नहीं है.*

अनिल अग्रवाल (CA) जबलपुर

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